विधायक कृष्णानंद राय सामूहिक नरसंहार के मास्टर माइंड मुख़्तार अंसारी के हर्टअटैक से निधन पर कृष्णानंद राय के बेटे ने कहा कि पिता के हत्यारे की मौत से आज उन्हें मिला न्याय
गांजीपुर। माफियाओं के जनक मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में पूरब से लेकर पश्चिम तक माफियाओं का बोलबाला था। यूपी में गैंगवार के जनक भी मुलायम सिंह यादव को कहना गलत न होगा। सबसे अधिक असर पूर्वांचल में देखने को मिला। दिनांक- 29 नवंबर, 2005 में BJP विधायक कृष्णानंद राय (भूमिहार ब्राह्मण) की हत्या ने यूपी की सियासत को हिलाकर रख दिया था। इस नरसंहार ने मुख़्तार अंसारी को जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बना दिया। मुख़्तार अंसारी की दहशत का दास्तान विधायक कृष्णानंद राय के परिवार वाले और तंग आकर सीओ शैलेन्द्र सिंह अपने पद से त्याग पत्र दे दिया और उनका पूरा परिवार आज तक झेल रहा था। मुख़्तार अंसारी के मृतक होने के बाद दोनों परिवार ने राहत की सांस ली।
मुख्तार अंसारी की मौत पर कृष्णानंद राय के बेटे Piyush Rai ने पहली प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने कहा कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं
नब्बे के दशक में सियासत की राह पकड़ी, उसने 1996 में विधानसभा चुनाव लड़ा और राजनीति पारी की शुरुआत की, सियासी ताकत के साथ आने से मुख़्तार का कद बढ़ता गया। जिस वक्त मुख़्तार की तूती बोल रही थी, उसी वक्त गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट से साल- 2002 में BJP की टिकट पर कृष्णानंद राय ने माफिया डॉन मुख़्तार के भाई अफजाल अंसारी को शिकस्त देते हुए चुनाव जीत लिया। कृष्णानंद राय से मुख्तार अंसारी की चुनौती बढ़ने लगी और उनका कद बढ़ता देख अंसारी को ये बात हजम नहीं हुई। अपने भाई की हार को मुख़्तार अंसारी हजम न कर सका। उसे लगा कि विधायक कृष्णानंद राय कहीं उसकी राजनीतिक जमीन ही न खिसका दें। इसलिए माफिया डॉन मुख़्तार अंसारी, विधायक कृष्णानंद राय को रास्ते से हटाने का मन बनाया और उसे अंजाम तक पहुँचा कर ही दम लिया।
उस समय राजनीति के के क्षेत्र में बहुबल और धनबल का जमाना था। माफिया डॉन मुख़्तार अपना दबदबा बनाये रखने के लिए BJP विधायक कृष्णानंद राय को खत्म कर देने का मानो दृढ संकल्प ले लिए। सर्विलांस पर यूपी STF को जानकारी मिली कि मुख्तार अंसारी सेना के किसी भगोड़े सिपाही से एक करोड़ में लाइट मशीन गन खरीदना चाहता है, यह सौदा मुख्तार अंसारी का गनर मुन्नर यादव करवा रहा था और यह सेना की LMG मुन्नर यादव का भगोड़ा भांजा सिपाही बाबू लाल यादव बेचने वाला था, बाबू लाल यादव J&K में सेना की 35 राइफल्स से LMG चुरा कर भाग आया था। मुख्तार अंसारी यह LMG कृष्णानंद राय की बुलेट प्रूफ गाड़ी को भेदने के लिए खरीद रहा था और अगर यूपी STF इस सौदे को न रोकती तो कृष्णानंद राय की हत्या एक साल पहले ही हो जाती।
मुख्तार अंसारी की मौत के बाद कृष्णानंद राय का परिवार बोला कि उन्हें मिली आत्मिक संतुष्टि
गाजीपुर जेल में मुख्तार का दरबार लगता था और जिसमें दरबानी करने जिले के कप्तान से लेकर तमाम बड़े अफसर तक जाते थे, जिसकी शिकायतें DGP मुख्यालय भी पहुंचती थी। विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड से कुछ दिन पहले मुख्तार ने रणनीति के तहत जेल से अपना ट्रांसफर करा लिया और फतेहगढ़ जेल चला गया। जब कृष्णानंद राय की हत्या की जा रही थी तो फतेहगढ़ जेल में बंद मुख्तार मौके से गोलियों की तड़तड़ाहट को सुन रहा था। कृष्णानंद राय की हत्या से मुख्तार अंसारी इतना खुश हुआ कि उसने खुशी में फैजाबाद के बाहुबली माफिया को फोन कर विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की जानकारी दी, मुख्तार की यह खुशी यूपी STF सर्विलांस पर सुन रही थी।
पूर्व DGP बृजलाल की माने तो सरकार के दबाव में अफसर विधायक कृष्णानंद राय के हत्या की आहट को सुनकर भी अनसुना कर रही थी। जिस वक्त कृष्णानंद राय हत्याकांड को अंजाम दिया गया उस वक्त UP में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुख्यमंत्री हम सबके प्यारे बबुआ के पप्पा जी यानी कि मुलायम सिंह यादव थे। BJP विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की 29 नवंबर, 2005 को ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी गई। हमला उस वक्त हुआ जब कृष्णानंद राय बसनिया चट्टी के सियारी गांव में क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर अपनी गाड़ी से लौट रहे थे।
कृष्णानंद राय की पत्नी पहुंची श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर, बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में किया दर्शन पूजन
बुलेट प्रूफ जैकेट और बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलने वाले कृष्णानंद राय घटना वाले दिन बुलेट प्रूफ गाड़ी से नहीं थे। कृष्णानंद राय का काफिला जैसे ही बसनिया चट्टी गांव के कच्चे रास्ते पर पहुंचा कि सामने से आई सिल्वर ग्रे कलर की टाटा सुमो से उतरे हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इस हत्याकांड को अंजाम देने वालों में मुन्ना बजरंगी जो मुख्तार अंसारी के मुख्य शूटर थे, कहा जा रहा है कि मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय की हत्या को पुख्ता करने के लिए Toyota Qualis की बोनट पर चढ़कर एके-47 से फायरिंग की थी। हत्याकांड में कृष्णानंद राय के साथ उनके सरकारी गनर निर्भय नारायण राय, अखिलेश राय, मुन्ना यादव, श्याम शंकर राय, शेषनाथ सिंह भी मारे गए थे। इसलिए इसे सामूहिक नरसंहार कहा गया।
विधायक कृष्णानंद राय को मारने के बाद मुख्तार अंसारी के आदेशानुसार उनकी चुटिया (टिकी) काट ली गई थी, क्योंकि ब्राह्मण अपने चुटिया को अपना इज्जत समझते हैं और पहचान के तौर पर मुन्ना बजरंगी उनकी अंगूठी खोलकर ले गया था। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पूरे पूर्वांचल में इतनी लोकप्रियता था कि 10 से 15 दिनों तक पूर्वांचल जलता रहा। इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए एके-47 से 400 से अधिक राउंड फायरिंग की गई। पोस्टमार्टम के दौरान लाशों से 60 से 70 गोलियां बरामद हुई थी। इस सामूहिक नरसंहार में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी, संजीव जीवा, मुन्ना बजरंगी, एजाज उल हक, अताउल रहमान, फिरदौस, रामू मल्लाह, विश्वास नेपाली, जफर, अफरोज खान और मंजूर अंसारी समेत कुल 13 लोग नामजद किए गए।
इस सामूहिक नरसंहार में सीबीआई जाँच हुई। सीबीआई ने कोर्ट में 475 पन्ने की चार्जशीट और 53 गवाह पेश किए, 13 साल से ज्यादा ट्रायल चला और कोर्ट ने ट्रायल के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। इस सामूहिक नरसंहार में नामजद 13 आरोपियों में तीन आरोपी विश्वास नेपाली, जफर और अताउल रहमान फरार हैं, संजीव जीवा माहेश्वरी भी अदालत से निकलते वक्त विजय यादव द्वारा ठोक दिया गया। फिरदौस को मुंबई पुलिस ने मुठभेड़ में ठोक दिया। मुन्ना बजरंगी की जुलाई, 2018 में बागपत जेल में बंद दूसरा माफिया ठोक दिया गया, अब दह्शत गर्द माफिया मुख्तार अंसारी भी तड़प-तड़प कर कई दिनों से अपनी जान की अदालत से भीख मांग रहा था। दूसरे में अपने नाम का खौफ पैदा करने वाला माफिया डॉन मुख़्तार अंसारी बांदा जेल से मेडिकल कालेज में ऐसे मर जायेगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था।