Loksabha_Election_2024: आईये जाने फर्रुखाबाद लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से फर्रुखाबाद एक सीट है। फर्रुखाबाद को लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर- 40 माना गया है। फर्रुखाबाद को पोटैटो सिटी यानी आलू के शहर के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार साल- 1952 में चुनाव हुआ और कांग्रेस के मूलचंद दूबे ने इस चुनाव में जीत हासिल की। साल-1957 में कांग्रेस के मूलचंद दूबे बाजी मार ले गए। 

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास

साल- 1962 में भी मूलचंद ने इस सीट पर अपना परचम लहराया, लेकिन साल- 1962 में ही हुए उपचुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राममनोहर लोहिया ने जीत हासिल की। गौरतलब है कि कांग्रेस ने फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर 7 बार जीत हासिल की है। इसके अलावा बीजेपी 3, सपा  2 और जनता पार्टी 2 बार जीत हासिल की है, जबकि जनता दल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार जीत मिली। वहीं अगर बात पिछले तीन लोकसभा चुनावों की करें तो साल- 2004 में समाजवादी पार्टी, साल- 2009 में कांग्रेस और साल- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकेश राजपूत 20 साल बाद फर्रुखाबाद सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रहे।

‘फर्रुखाबाद’ महान कवयित्री महादेवी वर्मा की जन्मभूमि है 

ऐतिहासिक, साहित्यिक, पौराणिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद जनपद हिंदी साहित्य की महान कवयित्री महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) की जन्मभूमि और समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया (Dr. Ram Manohar Lohia) की कर्मभूमि है। वहीं, देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन (Dr Zakir Hussain) का नाम भी यहां की मिट्टी से जुड़ा है। इसके अलावा फर्रुखाबाद तबला घराना के संस्थापक हाजी विलायत अली (Ustad Haji Vilayat Ali Khan), ठुमरी सम्राट ललन पिया (Pandit Lalan Piya) और गीतकार अनवर फर्रुखाबादी (Anwar Farrukhabadi) भी इस मिट्टी के अंग हैं।

आजादी से अब तक आठ बार जीती कांग्रेस है, फर्रुखाबाद लोकसभा सीट का चुनाव 

आजादी से बाद साल- 1952 से लेकर अब तक यहां कुल 18 बार लोकसभा के लिए चुनाव व उपचुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस ने आठ बार, सोशलिस्ट पार्टी (लोहिया) ने एक बार, जनता पार्टी ने दो बार, जनता दल ने एक बार, भारतीय जनता पार्टी ने चार बार और समाजवादी ने दो बार जीत हासिल की है। पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद साल- 1991 में यहां से सांसद बने। उन्होंने साल- 2009 में फिर से जीत हासिल की। उनके पिता खुर्शीद आलम खान भारत के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के दामाद थे। वह साल- 1984 में इस सीट से चुने गए थे। सलमान की पत्नी लुईस खुर्शीद साल- 2002 में फर्रुखाबाद के कायमगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं।

फर्रुखाबाद से मौजूदा सांसद मुकेश राजपूत (Mukesh Rajput) को भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, इंडिया गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के पास है। सपा ने डॉ. नवल किशोर शाक्य (Dr. Naval Kishore Shakya) को अपना प्रत्याशी बनाया है जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने फर्रुखाबाद से क्रांति पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। क्रांति पांडेय कांग्रेस सेवादल के जिला संगठक के साथ ही यूएनएसआइ के जिलाध्यक्ष भी रह चुके है। पेशे से क्रांति पांडेय व्यावसायी है।

पांच विधानसभा सीट से मिलकर बनी है फर्रुखाबाद लोकसभा

लोकसभा सीट फर्रुखाबाद के अंतर्गत वर्तमान में 5 विधानसभा सीट आती हैं। अलीगंज, कैमगंज, अमृतसर,भोजपुर और फर्रुखाबाद विधानसभा सीटें शामिल हैं। जिसमें एटा जिले की अलीगंज और फर्रुखाबाद जिले की कैमगंज, अमृतसर, भोजपुर और फर्रुखाबाद विधानसभा सीटें शामिल हैं।

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या

इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद में कुल मतदाताओं की संख्या- 16 लाख, 88 हजार, 871 है। जिसमें  मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की संख्या- 9 लाख, 17 हजार, 257 महिला मतदाताओं की संख्या- 7 लाख, 71 हजार, 536 और ट्रांस जेंडर के कुल 78 मतदाता शामिल हैं।

साल- 2004 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर एक नजर

अगर बात साल- 2004 में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो सपा के चंद्रा भूषण सिंह ने 1 लाख, 76 हजार, 129 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस की खुर्शीद लुईस 1 लाख, 73 हजार, 384 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं जबकि बीजेपी के मुकेश राजपूत 1 लाख, 36 हजार, 120 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहना पड़ा।

साल- 2009 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर एक नजर

साल 2009 की बात करें तो कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने 1 लाख, 69 हजार, 351 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। वहीं बसपा के नरेश चंद्र अग्रवाल 1 लाख, 42 हजार, 152 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि सपा के चंद्रा भूषण सिंह 1 लाख, 27 हजार, 347 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

साल- 2004 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर एक नजर

अगर बात साल- 2004 में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो सपा के चंद्रा भूषण सिंह ने 1 लाख, 76 हजार, 129 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस की खुर्शीद लुईस 1 लाख, 73 हजार, 384 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं जबकि बीजेपी के मुकेश राजपूत 1 लाख, 36 हजार, 120 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहना पड़ा।

साल- 2014 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर एक नजर

अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल- 2014 में इस सीट पर बीजेपी के मुकेश राजपूत ने जीत हासिल की थी और उन्हें 4 लाख, 06 हजार, 195 वोट मिले थे। वहीं सपा के रामेश्वर सिंह यादव 2 लाख, 55 हजार, 693 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि बसपा के जयवीर सिंह को 1 लाख, 14 हजार, 521 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर रहे थे।

साल- 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर एक नजर

फर्रुखाबाद लोकसभा चुनाव- 2019 के परिणाम पर भाजपा के उम्मीदवार मुकेश राजपूत-जीते-वोट 5 लाख, 69 हजार 880 मत मिले थे। वहीं बसपा के मनोज अग्रवाल 3 लाख, 48 हजार, 178 मत मिले थे और वह दूसरे नमबर थे। कांग्रेस के सलमान खुर्शीद को महज 55 हजार, 258 मत ही मिले और वह तीसरे स्थान पर उन्हें संतोष करण पड़ा।

लोकसभा चुनाव- 2024 में भाजपा और सपा के उम्मीदवार में सीधी टक्कर   

इस सीट पर बात करें तो साल- 2014 से फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है। दो बार से मुकेश राजपूत सांसद हैं। एक बार फिर पार्टी ने मुकेश राजपूत पर  एक बार फिर पार्टी ने मुकेश राजपूत पर दांव लगाया है। जबकि इंडिया गठबंधन की तरफ से समाजवादी पार्टी ने डॉ. नवल किशोर शाक्य को उम्मीदवार बनाया है। बीएसपी ने क्रांति पांडे को मैदान में उतारा है।

भाजपा के सांसद मुकेश राजपूत की बात करें तो वह साल- 2000 से लेकर 2005 तक फर्रूखाबाद जिला पंचायत के अध्‍यक्ष पद को संभाला। बीजेपी ने साल- 2014 और साल- 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए फर्रूखाबाद से टिकट दिया। इस तरह मुकेश राजपूत दूसरी बार सांसद बने और अब तीसरी बार चुनाव मैदान में है। सपा की तरफ से नवल किशोर शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा गया है। नवल किशोर शाक्य इससे पहले बसपा में थे।

साल- 2018 के बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया। स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी से उनका विवाह हुआ था। पर बाद में उन दोनों का तलाक भी हो गया। बसपा ने फर्रुखाबाद से क्रांति पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। क्रांति पांडेयकांग्रेस सेवादल के जिला संगठक के साथ ही यूएनएसआइ के जिलाध्यक्ष भी रह चुके है। पेशे से क्रांति पांडेय व्यावसायी है और कांग्रेस के पूर्व विधायक पं. विमल प्रसाद तिवारी के करीब के तौर पर इनके पिता ब्रजेश पांडेय को जाना जाता है।

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट जातीय समीकरण

गंगा नदी के किनारे बसा फर्रुखाबाद कभी पांचाल साम्राज्य का हिस्सा था। कंपिल और संकिसा जैसे शानदार स्थलों से इसकी पहचान थीं। उत्तर प्रदेश की फर्रुखाबाद लोकसभा सीट का जातीय समीकरण की बात करें तो यह सीट पिछड़ा बहुल सीट मानी जाती है, जहां पर निर्णायक भूमिका में शाक्य, लोध, राजपूत, ब्राह्मण व यादव वोटर होते हैं। फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर शाक्य वोटरों की संख्या भी लगभग डेढ़ लाख है। लोध मतदाताओं की संख्या यहां पर डेढ़ लाख है। यहां पर लगभग 1 लाख, 80 हजार ब्राह्मण व राजपूत वोटर हैं।

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