Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की गाजीपुर लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Loksabha Election 2024: प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक सीट है, गाजीपुर। इस सीट की संसदीय संख्या- 75 है। इतिहासकारों के मुताबिक गाजीपुर की स्थापना तुगलक वंश के शासन काल में सैय्यद मसूद गाजी ने की थी। लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इसका प्राचीन नाम गाधिपुर था, जिसे बाद में बदल कर गाजीपुर किया गया। गाजीपुर में ही अंग्रेजों ने साल- 1820 में विश्व में सबसे बड़े अफीम के कारखाने की स्थापना किया, जिसे इस शहर ने आज भी संजो कर रखा है।
लोकसभा गाजीपुर सीट का संसदीय इतिहास
बात करें इस सीट के राजनैतिक इतिहास की तो पहला चुनाव यहां साल- 1957 में हुआ और इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हर प्रसाद सिंह संसद पहुंचे। साल- 1962 के चुनाव में कांग्रेस के विश्वनाथ सिंह गहमरी संसद पहुंचे। साल- 1967 के चुनाव में सीपीआई सूरज पांडेय यहां से चुनाव जीते। साल- 1971 में सीपीआई के सरजू पांडेय दूसरी बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। साल- 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के गौरी शंकर राय चुनाव जीते। साल- 1980 और साल- 1984 के चुनाव में कांग्रेस से जैनुल बशर चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। साल- 1989 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जगदीश कुशवाहा ने यहां चुनाव जीता।
वहीं साल- 1991 के चुनाव में सीपीआई के विश्वनाथ शास्त्री यहां से जीते। साल- 1996 के चुनाव में पहली बार यहां बीजेपी का खाता खुला और मनोज सिन्हा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। जिसके बाद साल- 1998 के चुनाव में सपा का भी खाता खुला और ओम प्रकाश सिंह यहां से सांसद बने। साल- 1999 के चुनाव में मनोज सिन्हा दूसरी बार गाजीपुर से सांसद चुने गए। साल- 2004 में अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के खाते से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। साल- 2009 के चुनाव में सपा के राधे मोहन सिंह यहां से संसद पहुंचे थे।
देश में मोदी की सुनामी आई और यूपी की 73 सीटों भाजपा अपनी झोली में बहा ले गई। साल- 2014 में मोदी लहर में मनोज सिन्हा तीसरी बार यहां से जीत कर संसद पहुंचे थे और मोदी मंत्रिमंडल में प्रभावशाली मंत्रियों में से एक रहे। साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने मनोज सिन्हा को गाजीपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारा और इस बार उन्हें बसपा के अफजाल अंसारी से शिकस्त खाना पड़ा और साल-2019 के चुनाव बसपा ने भी माफिया मुख़्तार अंसारी के भी अफजाल अंसारी के भरोसे गाजीपुर से अपना खाता खोल लिया।
लोकसभा गाजीपुर सीट की 5 विधानसभा सीटें
गाजीपुर लोकसभा के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें जखनियां, सैदपुर, गाजीपुर, जमनियां और जंगीपुर विधानसभा शामिल है। अगर साल- 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के आंकडों पर नजर डालें तो। यहां की चार विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी ने अपना कब्जा जमाया तो वहीं भाजपा की गठबंधन साथी सुभासपा ने जखनियां विधानसभा सीट पर अपना परचम लहराया था। इससे पहले हुए साल- 2017 के विधानसभा चुनाव में जमनियां और गाजीपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी, सैदपुर और जंगीपुर सीट पर समाजवादी पार्टी और जखनियां सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने चुनाव जीता।
लोकसभा सीट गाजीपुर में मतदाताओं की संख्या
लोकसभा चुनाव में गाजीपुर सीट पर कुल वोटरों की संख्या- 18 लाख, 51 हज़ार, 875 है। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 10 लाख, 9 हज़ार, 99 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 8 लाख, 42 हज़ार, 712 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या- 64 है।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2004 के लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी सपा के सिंबल पर चुनाव लड़े और चुनाव जीते। इस चुनाव में अफजाल अंसारी को कुल 4 लाख, 15 हज़ार, 687 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बीजेपी के मनोज सिन्हा रहे, मनोज सिन्हा को कुल 1 लाख, 88 हज़ार, 910 वो मिले, तीसरे नंबर पर बसपा के उमा शंकर रहे। उमा शंकर को कुल 1 लाख, 85 हज़ार, 120 वोट मिले।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा के राधे मोहन सिंह चुनाव जीते थे। राधे मोहन सिंह को कुल 3 लाख, 79 हज़ार, 233 वोट मिले थे। तो वहीं दूसरे नंबर पर बसपा से अफजाल अंसारी रहे थे। अफजाल को कुल 3 लाख, 9 हजार, 924 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बीजेपी के प्रभुनाथ रहे। प्रभुनाथ को कुल 21 हज़ार, 679 वोट मिले थे।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
गाजीपुर लोकसभा सीट पर साल- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खाते से मनोज सिन्हा तीसरी बार सांसद बने। मनोज सिन्हा को इस चुनाव में कुल 3 लाख, 6 हज़ार, 929 वोट मिले। जबकि दूसरे नंबर पर सपा की शिव कन्या कुशवाहा रही। शिवकन्या को कुल 2 लाख, 74 हजार, 477 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव रहे। कैलाश को कुल 2 लाख, 41 हजार, 645 वोट मिले।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अगर साल- 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो बसपा के अफजाल अंसारी ने भाजपा के मनोज सिन्हा को 1 लाख, 19 हजार, 392 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी। बसपा के अफजाल अंसारी को कुल 5 लाख, 66 हजार, 82 वोट मिले थे तो वहीं भाजपा के मनोज सिन्हा को कुल 4 लाख, 46 हजार, 690 वोट मिले थे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के रामजी 33 हजार 877 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।
गाजीपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता की अहम भूमिका
गाजीपुर लोकसभा सीट पर हुए 16 चुनावों में 4 बार कांग्रेस तो वहीं 3 बार भाजपा और 3 बार समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया है। सीपीआई को भी इस सीट पर तीन बार सफलता मिली है तो वहीं एक-एक बार जनता पार्टी, बसपा और स्वतंत्र पार्टी भी एक-एक बार यहां से जीते है। जिन्हें अफजाल अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद अगले ही साल मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उप-राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था।
लोकसभा सीट गाजीपुर पर जातीय समीकरण
गाजीपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता एक अहम भूमिका निभाते हैं। इस क्षेत्र में उनकी आबादी लगभग 3 लाख बताई जाती है। यादव, दलित और मुस्लिम वोटरों को मिला लिया जाए तो गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के कुल वोटरों की आधी आबादी हो जाती है। मुस्लिम वोटरों के बाद कुशवाहा समाज के वोटर आते है, जिनकी संख्या तकरीबन ढाई लाख मानी जाती है। यादव मतदाता पहले पायदान पर हैं तो गैर यादव पिछड़े और दलित मतदाता दूसरे नंबर पर। मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं। राजपूत ब्राह्मण, भूमिहार, वैश्य आदि मतदातों की संख्या कुल मिलाकर यादव मतदाताओं के आसपास है।
लोकसभा सीट गाजीपुर में विकास पर नहीं, बल्कि जातिवाद और सम्प्रदाय के नाम पर होती है, वोटिंग
पूर्वांचल में वाराणसी के बाद दूसरी हॉट सीट गाजीपुर है। अंसारी परिवार के प्रभाव वाली यह सीट मुख्तार अंसारी की जेल में मौत के कारण पूरे देश में चर्चा में है। इस सीट से साल- 2019 में मनोज सिन्हा जैसे कद्दावर नेता को हार का सामना करना पड़ा था। यह हार भी तब हुई थी, जब मनोज सिन्हा मोदी सरकार के रेल राज्य मंत्री रहे और गाजीपुर में विकास के तमाम कार्य उनके ही कारण हुए। यानि गाजीपुर में मनोज सिन्हा की हार ने तय कर दिया कि विकास और रोजगार चुनाव में कोई मुद्दा नहीं हो सकता, यदि होता तो गाजीपुर को चमकाने वाले मनोज सिन्हा चुनाव न हारते।
गाजीपुर में माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने मनोज सिन्हा को एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था। अफजाल इस बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में फिर मैदान में हैं तो उनके मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से दशकों से जुड़े शिक्षक पारसनाथ राय को उतारा है। भाजपा प्रत्याशी पारस नाथ राय जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के करीबी माने जाते हैं। पूर्वांचल की बदहाली को देश-दुनिया के सामने लाने और संसद को झकझोरने वाले वी पी गहमरी की कर्मभूमि गाजीपुर में समय के साथ बहुत कुछ बदला, लेकिन मतदाताओं की जातिवादी सोच न बदलने का का असर चुनाव परिणामों में हमेशा देखने को मिलता रहा है।
गाजीपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के पारस नाथ राय और सपा से माफिया का भाई अफजाल अंसारी आमने-सामने की लड़ रहे हैं, लड़ाई
गाजीपुर से मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी साल- 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के उम्मीदवार हैं। वहीं भाजपा ने इस सीट पर पारस नाथ राय को चुनावी मैदान में उतारा है। देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस बार भूमिहार जाति पारस नाथ राय और बसपा के उम्मीदवार उमेश कुमार सिंह के सामने सपा और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार अफजाल अंसारी कैसे चुनावी समीकरण साधते हैं ?
हाल ही में माफिया मुख्तार अंसारी के निधन के बाद बड़े भाई अफजाल अंसारी का लोकसभा चुनाव में पलड़ा भारी होता दिखाई दे रहा है। लेकिन अफजाल के लिए राह इतनी आसान नहीं होने वाली, क्योंकि पिछली बार के गठबंधन में बसपा और रालोद शामिल थी और बसपा इस बार अलग से उम्मीदवार के रूप में उमेश कुमार सिंह को चुनावी मैदान में उतार चुकी है, जो सीधे तौर पर अफजाल अंसारी के वोट बैंक में चोट कर सकता है।