Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की बांसगांव सुरक्षित लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Loksabha_Election_2024: यूपी के गोरखपुर जिले का दूसरा लोकसभा क्षेत्र है बांसगांव. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बांसगांव में प्रसिद्ध कुलदेवी का मंदिर हैं। यहां हर साल शारदीय नवरात्रि के नवमी के दिन बड़ा मेला लगता है, जिसमें दुर्गा मां को खुश करने के लिए भक्त रक्त अर्पित करते हैं। सालों से चली आ रही इस परंपरा को लोग आज भी निभा रहे हैं। बांसगांव में भी गोरखधाम मंदिर और सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रभाव है। राममंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी यहां ज्यादातर बार जीत दर्ज करती रही है।
लोकसभा बांसगांव सुरक्षित सीट का संसदीय इतिहास
गोरखपुर जिले के अंतर्गत आने वाली दूसरी लोकसभा सीट बांसगांव है। यह सीट साल- 1962 में अस्तित्व में आई थी। 80 लोकसभा सीटों में बांसगांव सीट संख्या 67 है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरिक्षत भी है। इस सीट पर श्रीनेत राजपूतों का दबदबा है। लेकिन दलितों के बड़े नेताओं में शुमार महावीर प्रसाद यहीं से 4 बार चुनाव जीते।
महावीर प्रसाद का नाम प्रदेश के बड़े नेताओं में शामिल किया जाता है। अगर बात करें इस सीट के लोकसभा इतिहास की तो यहां अब तक 15 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। पहली बार साल- 1962 में इस सीट पर चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस नेता महादेव प्रसाद चुनाव जीते। साल- 1967 के चुनाव में एसएसपी के टिकट पर मोलाहू यहां से सांसद चुने गए। वहीं साल- 1971 के चुनाव में कांग्रेस के रामसूरत यहां से सांसद बने।
साल- 1977 भारतीय लोकदल के फिरंगी प्रसाद यहां से सांसद बने। साल- 1980 के चुनाव में महावीर प्रसाद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। इसके बाद साल- 1984 और साल- 1989 के चुनाव में भी महावीर प्रसाद यहां से सांसद चुने गए। साल- 1991 के चुनाव में यहां बीजेपी ने एंट्री मारी और राजनारायण यहां से सांसद बने। साल- 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी की सुभ्रावति देवी यहां से चुनाव जीती। साल- 1998 और साल- 1999 के चुनाव में बीजेपी के राजनारायण सांसद बने। साल- 2004 के चुनाव में महावीर प्रसाद चौथी बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। वहीं साल- 2009, साल- 2014 और साल- 2019 के चुनाव में बीजेपी के कमलेश पासवान सांसद बने।
लोकसभा बांसगांव सुरक्षित सीट की 5 विधानसभा सीटें
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती है। ये सीटें रूद्रपुर, बरहज, चौरी-चौरा, बांसगांव और चिल्लूपार सीटें हैं। जिनमें 2 सीटें देवरिया जिले से ली गई हैं और तीन सीटें गोरखपुर जिले से आती हैं। देवरिया जिले के अंतर्गत आने वाली सीटें रूद्रपुर और बरहज है। वहीं चौरी-चौरा, बांसगांव और चिल्लूपार सीटें गोरखपुर में आती है। साल- 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी पार्टियों का सूफड़ा साफ करते हुए पाचों सीटों पर कब्जा जमाया था।
लोकसभा सीट बांसगांव सुरक्षित में मतदाताओं की संख्या
लोकसभा चुनाव में बांसगांव सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या- 17 लाख, 27 हजार, 798 थी। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 9 लाख, 47हज़ार, 139 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 7 लाख, 80 हज़ार, 564 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या- 95 है।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजों पर डालें तो साल- 2019 में इस सीट पर बीजेपी के कमलेश पासवान ने जीत की हैट्रिक लगाई थी। कमलेश पासवान को कुल 5 लाख, 46 हजार, 673 वोट मिले। वहीं बसपा के सदल प्रसाद 3 लाख, 93 हजार, 205 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि पीएसपी के सुरेंद्र प्रसाद भारती को 8 हजार, 717 वोट मिले थे, जो तीसरे स्थान पर रहे।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अब एक नजर साल- 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल- 2014 में इस सीट पर बीजेपी के कमलेश पासवान ने दूसरी बार जीत दर्ज की थी। कमलेश को कुल 4 लाख, 17 हज़ार, 959 वोट मिले। जबकि दूसरे नंबर पर बसपा के सदल प्रसाद रहे। सदल को कुल 2 लाख, 28 हज़ार, 443 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के गोरख प्रसाद पासवान रहे। गोरखप्रसाद को कुल 1 लाख, 33 हज़ार, 675 वोट मिले।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 की बात करें तो बीजेपी के युवा नेता कमलेश पासवान पहली बार यहां से सांसद चुने गए थे। इस चुनाव में कमलेश को कुल 2 लाख, 23 हज़ार, 11 वोट मिले। दसरे नंबर पर बसपा के श्रीनाथ जी रहे। श्रीनाथ को कुल 1 लाख, 70 हज़ार, 224 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के शारदा द्विवेदी रहे। शारदा को इस चुनाव में कुल 1 लाख, 13 हज़ार, 170 वोट मिले।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के महावीर प्रसाद यहां से चौथी बार सांसद चुने गए। इस चुनाव में महावीर प्रसाद को कुल 1 लाख, 80 हज़ार, 388 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के सदल प्रसाद रहे। सदल प्रसाद को कुल 1 लाख, 63 हज़ार, 947 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर सपा से सभापति पासवान रहे। सभापति को कुल 1 लाख, 35 हज़ार, 501 वोट मिले।
सांसद कमलेश पासवान बांसगांव की पिच पर चौका लगा पाते हैं अथवा इंडी गठबंधन उन्हें कैच आउट कर पवेलियन पहुँचाने में सफल होता है ?
बांसगांव सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले कमलेश पासवान शायद अकेले सांसद हैं जिनपर बीजेपी ने चौथी बार दाव खेला है। यहां लगातार बीजेपी के जीत दर्ज करने की बड़ी वजह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का इस सीट पर मजबूत प्रभाव है। योगी आदित्यनाथ की इस क्षेत्र में बड़ी लोकप्रियता है। बांसगांव लोकसभा सीट पर भले ही लगातार दो बार पूर्व मंत्री सदल प्रसाद भाजपा के कमलेश पासवान से हारे हों, लेकिन वोट का अंतर कम हुआ है। इंडी गंठबंधन से कांग्रेस के टिकट पर सदल प्रसाद चुनावी मैदान में उतरे हैं तो वहीं बसपा ने राम समुझ सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।
कमलेश पासवान यहां सांसद हैं। बीजेपी ने यहां ने इस बार भी कमलेश पासवान पर ही भरोसा जताया है और अपनी पहली सूची में ही उनका नाम घोषित किया है। इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले कमलेश पासवान शायद ऐसे अकेले सांसद हैं, जिनपर बीजेपी ने चौथी बार विश्वास जताया है। बांसगांव में लगातार बीजेपी के जीत दर्ज करने की बड़ी वजह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का इस सीट पर मजबूत प्रभाव है। योगी आदित्यनाथ की इस क्षेत्र में बड़ी लोकप्रियता है। देखना होगा कि इस बार कमलेश पासवान बांसगांव की पिच पर चौका लगा पाते हैं अथवा इंडी गठबंधन उन्हें कैच आउट कर पवेलियन पहुँचा देती है।
लोकसभा सीट बांसगांव सुरक्षित पर जातीय समीकरण
बांसगांव लोकसभा सीट उत्तरप्रदेश की 67 नंबर सीट है। बांसगांव सीट पर जातीय समीकरणों की बात करें, तो इस सीट पर सबसे ज्यादा मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी) के बताए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या करीब 8 लाख, 34 हजार है। जबकि 2 लाख, 50 हजार मतदाता अनुसूचित जाति के हैं। वहीं सवर्ण मतदाताओं की संख्या भी करीब 5 लाख है और डेढ़ लाख मुस्लिम मतदाता हैं। अनुसूचित जाति में पासवान जाति के लोग काफी मजबूत है। अब बात अगर साल- 2024 के लोकसभा चुनावों की करें तो भाजपा ने एक बार फिर कमलेश पासवान पर भरोसा जताया है। कमलेश पासवान पिछले डेढ़ दशक से इस सीट पर काबिज हैं। वहीं इंडिया गठबंधन ने सदल प्रसाद को मैदान में उतारा है। सदल प्रसाद बीते डेढ़ दशक से इस सीट पर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े हैं। लेकिन हमेशा ही उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा है।