मोदी की हैट्रिक की राह में कांग्रेस नहीं, कांग्रेस के दोस्त तो कहीं उसके दुश्मन बन सकते हैं रोड़ा
नई दिल्ली। 44 दिन तक चले लोकसभा चुनाव, 2024 का महायज्ञ पूरा हो चुका है। अब सबको इंतजार है 4 जून का, जब नतीजे आएंगे। सबके जेहन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करेगी? भाजपा खुद 400 पार के दावे कर रही है, मगर उसके दावे की राह में 5 राज्य ऐसे हैं, जो कुछ भी उलटफेर कर सकते हैं। दरअसल, इन 5 राज्यों में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी से नहीं है। उसे इन राज्यों पर रीजनल पार्टियों से कड़ी टक्कर मिलती दिख रही है। इस मामले में बस यूपी ही अपवाद है, जहां क्षेत्रीय पार्टियों से मुकाबला होने के बाद भी भाजपा को बड़ी जीत हासिल होती रही है। इन पांचों राज्यों में प्रदर्शन के आधार पर ही भाजपा की किस्मत तय होगी। वहीं, कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन भी अपनी जीत के दावे कर रहा है। देखना यह है कि जीत का यह ऊंट किस करवट बैठता है।
5 राज्यों में खिलेगा कमल या कुम्हला जाएगा, बड़ा सवाल…
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा और महाराष्ट्र के इन 5 राज्यों में ही भाजपा का पेच फंसा है। आशंका जताई जा रही है कि इन्हीं 5 राज्यों पर भाजपा का दारोमदार टिका है। क्योंकि बाकी जगहों पर या तो भाजपा पूरी तरह से बढ़त बनाती दिख रही है या फिर पिछले लोकसभा चुनावों में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा है। इन 5 राज्यों की 165 सीटें ही भाजपा की किस्मत तय करेंगी।
कांग्रेस से जहां सीधी टक्कर, वहां पर भाजपा को ज्यादा फायदा…
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और सियासी रुझानों पर करीब से नजर रखने वाले राजीव रंजन सिंह के अनुसार, लोकसभा चुनाव, साल-2019 और साल-2014 के नतीजों का आकलन करें तो जिन राज्यों में भाजपा की कांग्रेस के साथ सीधी टक्कर थी, वहां पर भाजपा को काफी फायदा मिला। मसलन, साल-2019 के लोकसभा चुनाव में ऐसे राज्यों की कुल 138 सीटों में पूरी की पूरी भाजपा ने जीत ली थी। वहीं, साल-2014 के चुनाव में 138 में से 121 सीटें हासिल हुई थीं।
आमने-सामने की लड़ाई में कांग्रेस को तगड़ा नुकसान…
लोकसभा चुनाव, साल-2019 के जीत के आंकड़ों का आकलन करने पर पता चलता है कि साल-2019 के चुनाव में 190 लोकसभा सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस की भाजपा से सीधी लड़ाई थी। इन 190 में से महज 15 सीटों पर ही कांग्रेस कब्जा कर पाई। वहीं, बाकी की 175 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की।
144 सीटों में भाजपा का जीत का अंतर 10 फीसदी से ज्यादा…
खास बात यह है कि भाजपा ने कांग्रेस से सीधी टक्कर वाली जिन 175 सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से 144 साटों पर जीत का अंतर 10 फीसदी से ज्यादा का रहा। यानी भाजपा ने बाकी की जो 31 सीटें जीती थीं, उनमें जीत का मार्जिन 10 फीसदी से कम रहा था।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल से मिल सकती है कांटे की टक्कर…
पश्चिम बंगाल में भाजपा की लड़ाई सीधे तौर पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से रही है। बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं। साल-2019 के चुनाव में यहां पर भाजपा को तृणमूल से कड़ी टक्कर मिली थी। तृणमूल के खाते में जहां 22 सीटें आई थीं। भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बार भी बंगाल पर काफी फोकस किया है। इसलिए यहां पर कांटे की टक्कर बताई जा रही है।
बिहार में इस बार राजद दे सकता है बड़ी चुनौती…
बिहार की कुल 40 लोकसभा सीट हैं। यहां पर भी भाजपा का मुकाबला क्षेत्रीय पार्टी राजद से है। पिछली बार भाजपा ने यहां पर 40 में से 39 सीटें जीत ली थीं। मगर, राजद के तेजस्वी यादव ने इस बार जितनी सक्रियता से चुनावी कमान संभाली है, उससे भाजपा के लिए यहां पिछला प्रदर्शन दोहराना भी बेहद मुश्किल होगा। भले ही भाजपा को इस बार जदयू का साथ मिला हो, मगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरह से पाला बदलते रहे हैं, उससे जदयू के वोटर्स बिखर सकते हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा का महा विकास अघाड़ी से कड़ा मुकाबला…
महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं। साल-2019 में एनडीए ने 41 सीटें जीती थीं। यहां भाजपा ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और 23 पर जीत हासिल की। वहीं उस समय उसकी सहयोगी रही शिवसेना ने भी 23 सीटों पर चुनाव लड़ा और 18 पर जीत दर्ज की। मगर, अब परिदृश्य बदल चुका है। इस बार भाजपा के साथ महायुति गठबंधन है, जिसमें भाजपा के साथ एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना और अजीत पवार वाली एनसीपी है। महायुति का मुकाबला महा विकास अघाड़ी के साथ है, जिसमें कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ शरद पवार की एनसीपी है। ऐसे में मतदाताओं का मन किस तरफ होगा, ये कहना बड़ा मुश्किल है।
असम में क्या पिछला रिकॉर्ड तोड़ेगी भाजपा…
असम में साल-2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 14 सीटों में से 9 सीटें जीत ली थीं। कांग्रेस ने 3 सीटें ही जीती थीं। वहीं साल-2014 में यहां पर भाजपा ने साल-2014 के चुनाव में असम में 7 सीटें जीती थीं। और कांग्रेस को महज 3 सीटें ही मिली थीं। इस बार असम में लड़ाई इसलिए भी मुश्किल मानी जानी जा रही है, क्योंकि वहां पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) बड़ा मुद्दा बना रहा है। वहां भी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट भी टक्कर दे रही है।
ओडिशा में बीजद से कांटे का मुकाबला…
ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजद के साथ भाजपा का सीधा मुकाबला है। साल-2019 में भाजपा का बीजद के साथ गठबंधन था, तब भाजपा को ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में से 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं, बीजद ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया था। कांग्रेस को बस 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा था।