राजा भैया की ‘मौन साधना’ ने बिगाड़ दिया BJP का समीकरण, प्रतापगढ़ और कौशांबी सपा के पाले में
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ और कौशांबी लोकसभा सीट पर पूरे देश की नजर बनी हुई थी। यह इलाका कुंडा से विधायक और जनसत्ता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का गढ़ माना जाता है। प्रतापगढ़ सीट से बीजेपी के संगम लाल गुप्ता को हार का मुंह देखना पड़ा है। पहली बार चुनाव लड़े सपा प्रत्याशी शिवपाल सिंह पटेल ने जीत हासिल की है। उन्होंने बीजेपी को 66206 वोटों से हराया। इसी तरह, दस साल बाद कौशांबी संसदीय सीट पर सपा ने एक बार फिर साइकिल में रफ्तार भर दी। सपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज ने सीधे मुकाबले में एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से बीजेपी के विनोद सोनकर को हैट्रिक लगाने से रोक दिया। प्रतापगढ़ और कौशांबी दोनों सीटों पर बीजेपी के हार के पीछे राजा भैया की ‘मौन साधना’ को बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। दरअसल मतदान से पहले उन्होंने जनता से अपने आत्मा की आवाज पर वोटिंग करने का आह्वान किया था।
सपा-कांग्रेस गठबंधन को हुआ फायदा…
राजा भैया के समर्थकों की तरफ से इस बार सपा प्रत्याशियों का समर्थन किया गया। यही वजह से प्रतापगढ़ और कौशांबी सीट पर सपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। गौरतलब है कि इससे पहले हुए चुनावों में इन दोनों सीटों पर राजा भैया का खासा असर देखने को मिला है। इस बार उनकी चुप्पी का सीधा फायदा सपा-कांग्रेस गठबंधन को हुआ है।
जनसत्ता दल ने एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा…
इस बार के चुनाव में राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने न तो अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा और न ही किसी दल के प्रत्याशी का समर्थन किया। उनकी मौन साधना ने बीजेपी का समीकरण बिगाड़ दिया है। राजा भैया के गढ़ सहित आसपास की संसदीय सीटों पर इंडिया गठबंधन दल के प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है। सत्ता पक्ष के प्रत्याशी का विरोध और एनडीए नेताओं की गलत बयानबाजी भी बीजेपी के हारने की प्रमुख वजह बनी। यही कारण रहा कि प्रतापगढ़, कौशांबी और इलाहाबाद में बीजेपी प्रत्याशी को शिकस्त मिली।
राजा से मिलने पहुंचे थे सपा और बीजेपी के प्रत्याशी…
वोटिंग से पहले केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के साथ कौशांबी के बीजेपी प्रत्याशी विनोद सोनकर बेंती कोठी में राजा भैया से मिलने पहुंचे थे, लेकिन बात नहीं बन सकी। सपा उम्मीदवार पुष्पेंद्र सरोज भी मुलाकात करने आए थे। इसके बाद राजा भैया ने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की मीटिंग बुलाई। मीटिंग में कहा कि मुझसे मिलने के लिए दोनों (सपा, भाजपा) दलों के प्रत्याशी आए थे, मैंने किसी को समर्थन नहीं दिया है। आप लोग जिसे चाहें वोट कर सकते हैं। कोई प्रत्याशी ऐसा नहीं है कि हम गारंटी ले सकें कि वह आपके सुख दुख में खड़ा रहेगा। इसके बाद अगले दिन बड़ी संख्या में एकजुट जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के कार्यकर्ता सपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज के काफिले में शामिल होकर प्रचार करने लगे। सपा प्रत्याशी भी अपनी पार्टी के साथ जनसत्ता दल का पटका पहनकर प्रचार करने लगे।
अनुप्रिया पटेल ने राजा भैया पर साधा था निशाना…
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल कुंडा विधानसभा के मानिकपुर मिलिट्री ग्राउंड पहुंची। जनसभा में उन्होंने कौशांबी से बीजेपी प्रत्याशी विनोद सोनकर को भारी मतों से जिताने की अपील की। साथ ही राजा भैया के गढ़ कहे जाने वाले कुंडा में उनका नाम लिए बगैर टिप्पणी की। अनुप्रिया ने कहा कि राजा किसी की कोख से पैदा नहीं होते हैं, अब लोकतंत्र में ईवीएम से राजा पैदा होते हैं। अब ना कोई राजा रह गया है और ना ही कोई रानी, जिसे आप मतदाता चाहें राजा बना दें और चाहे रंक। ऐसे स्वघोषित राजाओं को जिन्हें लगता है कुंडा हमारी जागीर है। उनके इस भ्रम को तोड़ने का आप सबके पास एक बहुत बड़ा सुनहरा अवसर आ चुका है। अब मतदाता ही सर्वशक्तिमान है। अब कुंडा और बाबागंज की जनता गुलामी की जंजीर से बाहर निकल चुकी है। इसके बाद राजा भैया ने अनुप्रिया को जवाब दिया था। राजा ने कहा था कि ईवीएम से जनता के सेवक पैदा होते हैं।
संगम लाल ने भी क्षत्रियों पर उठाया था सवाल…
प्रतापगढ़ संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता ने भी चुनावी मंच से क्षत्रिय वर्ग पर टिप्पणी की थी। संगम लाल गुप्ता ने अनुप्रिया पटेल की पट्टी में आयोजित चुनावी जनसभा में कहा था- ‘क्या तेली सांसद नहीं हो सकता है। राजाओं के गढ़ में क्या क्षत्रिय ही सांसद हो सकता है।’
साल-2002 विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर जीती थी जनसत्ता दल
साल-2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कुंडा सीट पर बीजेपी का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा था। बाबागंज विधानसभा में भी बीजेपी उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा था। कुंडा में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया की जीत हुई थी। उन्होंने सपा के गुलशन यादव को 30315 वोटों से मात दी थी। यहां से बीजेपी की सिंधुजा मिश्रा सेनानी तीसरे नंबर पर रही थीं। बाबागंज से जनसत्ता दल के विनोद सरोज 15767 वोटों से जीते थे। सपा के गिरीश चंद्र दूसरे नंबर पर रहे। बीजेपी से केशव प्रसाद ने चुनाव लड़ा जो तीसरे नंबर पर रहे थे।
साल-2019 में कौशांबी पर राजा भैया के प्रत्याशी को मिले थे इतने वोट…
साल-2019 के लोकसभा चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से शैलेंद्र कुमार को कौशांबी से उतारा था तो उनको 156406 वोट हासिल हुए थे। तब भारतीय जनता पार्टी की लहर चल रही थी। बीजेपी को इस बात का भली भांति एहसास है कि यदि रघुराज प्रताप सिंह उनके प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करते हैं तो ये वोट उनको मिल सकते थे। हालांकि 2024 चुनाव में ऐसा नहीं हो पाया।
प्रतापगढ़ सीट पर ठाकुर सांसदों का रहा है दबदबा…
आपको बता दें कि प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से अभी तक 16 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। दो बार ब्राह्मण समाज से आने वाले मुनीश्वर दत्त उपाध्याय सांसद बने, जबकि 12 बार ठाकुर वर्ग से सांसद रहे। साल-1962 और 1967 में अजीत प्रताप सिंह जीते। साल-1971 में राजा दिनेश सिंह यहां के सांसद बने। वह वो लगातार दो बार इस सीट पर जीतकर विदेश मंत्री बने। साल-1980 में अजीत सिंह जीतने में सफल रहे। साल-1984 में कांग्रेस ने फिर से दिनेश सिंह को मैदान में उतारा तो वे लगातार दो बारे जीते। साल-1991 में जनता दल से राजा अभय प्रताप सिंह सांसद बने। साल-1996 में राजकुमारी रत्ना सिंह प्रतापगढ़ की पहली महिला सांसद बनीं। साल-1998 में बीजेपी से राम विलास वेदांती यहां कमल खिलाने में कामयाब रहें। साल-1999 में राजकुमारी रत्ना सिंह जीतीं, लेकिन साल-2004 में सपा के अक्षय प्रताप सिंह ने यहां की सीट पर जीत दर्ज की। साल-2009 के चुनाव में कांग्रेस की रत्ना सिंह फिर जीत गईं। साल-2014 में अपना दल एस के कुंवर हरिबंश सिंह सांसद चुने गए। इस तरह प्रतापगढ़ सीट से 12 बार ठाकुर समुदाय से लोकसभा सांसद चुने गए।