लखनऊ। लोकसभा चुनाव- 2024 का परिणाम आते ही सूबे की कानून ब्यवस्था बेपटरी हो गई। सपा राज में अखिलेश यादव की सरकार में जनपद प्रतापगढ़ जो कभी अपराधगढ़ बन गया था और सूबे में योगी सरकार बनने के बाद दो से तीन साल बाद जिले की कानून ब्यवस्था चुस्त दुरुस्त हो सकी थी, लोकसभा चुनाव परिणाम आते ही अचानक बिगड़ गई और शेयर सूचकांक की तरह धड़ाम हो गई है। चुनाव परिणाम आते ही मानों अपराधियों के हौसले बुलन्द हो गए और ताबड़तोड़ जिले में हत्याओं से जिले में कोहराम मच गया।
हत्या किसी की भी हो, बहुत ही गलत कार्य है। किसी के जीवन को लेने का अधिकार सिर्फ ईश्वर को है और संविधान के मुताविक न्यायिक ब्यवस्था के तहत अदालत में आरोपी के आरोप का ट्रायल चलने के बाद अदालत ही किसी को मौत की सजा सुना सकती है। परन्तु राजनीति में नफे नुकसान को दृष्टिगत समाजवादी पार्टी अपराध और अपराधियों सहित पीड़ित परिवार के साथ राजनीति का घिनौना खेल खेलती है। प्रतापगढ़ में एक सप्ताह के अंदर कई हत्याएं हुई और समाजवादी पार्टी को सिर्फ एक वर्ग और सम्प्रदाय में हुई हत्या दिखी, जिससे वह सहन न कर सके और उसे संज्ञान में लेकर एक प्रतिनिधि मंडल का गठन कर प्रतापगढ़ भेजने का निरनय लिया गया है।
इस तरह के निर्णय से समाजवादियों के चाल, चेहरे और चरित्र का पता चलता है कि वह पार्टी हित के लिए अपने वोट बैंक बचाने के लिए कितने निचले स्तर तक गिरकर हत्या जैसे जघन्य अपराध पर राजनीति करती है। सपा के इस रवैये से समाज में गतिरोध उत्पन्न होता है। ऐसे में तो दूसरे राजनीतिक दलों को भी अपने वोट बैंक के लिए हत्या जैसे जघन्य अपराध पर राजनीति करने के लिए कुछ सीखना पड़ेगा। अपने कार्यकर्ताओ और अपने वोटरों के साथ खड़ा होना पड़ेगा।सबका साथ सबका विकास होना मुश्किल। क्योंकि राजनीति में भी देखी देखा पुण्य और देखी देखा पाप करने का भाव शुरू हो चुका है।
प्रतापगढ़ के अंतू थाना अंतर्गत विकास सरोज की हत्या अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा दो दिन पूर्व प्रेम प्रसंग में की जाती है। जेठवारा थाना अंतर्गत मौलाना फारूक की हत्या हिंदू समुदाय के द्वारा जमीनी विवाद और रूपये के लेनदेन में की जाती है। समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों को जनपद की अन्य घटनाओं से उनका कोई लेना देना नहीं है। उनको केवल अपना वोट बैंक ही दिखता है। तभी तो एक परिवार को आर्थिक सहायता जांच के लिए प्रतिनिधिमंडल और आगे संघर्ष की बात की जा रही है, किंतु दूसरे परिवार के लिए संवेदना भी जताने का साहस समाजवादी पार्टी नहीं कर पाई है। क्योंकि वहां जाने पर उसका वोट बैंक नाराज हो जाता है।
समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के जाने से वहां का वातावरण खराब होगा। बड़ी मुश्किल से जिला प्रशासन की सक्रियता ने सौहार्द का वातावरण बनाये रखा है। प्रशासन को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष कार्यवाही करने के लिए किसी दबाव की जरूरत नहीं होती है। प्रशासन को अपना कार्य करने देना चाहिए। हत्या किसी की भी हो निंदनीय है और अपराधी किसी भी जाति समुदाय का हो उसको सजा मिलनी ही चाहिए। परन्तु राजनैतिक दलों द्वारा किसी एक विशेष वर्ग अथवा समुदाय के लिए वोट बैंक के निहितार्थ कार्य करना चिंतनीय है और सामाजिक दृष्टिकोण से निंदनीय भी है।