दरोगा के हत्यारे को मिली उम्र कैद, 3 साल पहले दो भाइयों के झगड़े को सुलझाने मौके पर गए थे, उन्हीं को मारी दी थी गोली
आगरा: भाईयों के विवाद को सुलझाने गए एक दरोगा की गोली मारकर हत्या करने वाले दोषी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जिला जल विवेक संगल ने आरोपी को दोषी मानते हुए सोमवार को अपना निर्णय सुनाया था। निर्णय के दौरान खास बात यह रही कि जिस भाई ने पुलिस को सूचना देकर बुलाया था वह कोर्ट में अपने बयान से मुकर गया। इसके बावजूद कोर्ट ने आरोपी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी। इसके अलावा उस पर 17 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
मामला 24 मार्च 2021 का है। थाना खंदौली के गांव नहर्रा के रहने वाले विजय सिंह के दो बेटे शिवनाथ और विश्वनाथ में आलू के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया। इस पर शिवनाथ ने पुलिस को सूचना देकर बुलाया था। दरोगा प्रशांत कुमार यादव सिपाही चंद्रसेन के साथ मौके पर पहुंचे थे। खेत पर आलू की खुदाई चल रही थी। जब पुलिस पहुंची तो विश्वनाथ हाथ में तमंचा लेकर धमकी दे रहा था। इस पर दरोगा प्रशांत यादव उसे पकड़ने के लिए पीछे भागे,विश्वनाथ ने दरोगा पर गोली चला दी। गोली दरोगा प्रशांत यादव की गर्दन में लगी। जिससे उनकी मौत हो गई।
2017 बैच के थे दरोगा
मूलरुप से बुलंदशहर के रहने वाले प्रशांत यादव साल 2017 बैच के दरोगा थे। उनकी पहली पोस्टिंग आगरा में हुई थी। प्रशांत यादव आगरा के थाना हरिपर्वत में रहे। इसके बाद वह पालीवाल चौकी प्रभारी बनाए गए। बाद में उनका तबादला थाना खंदौली में हो गया था। प्रशांत यादव पत्नी रेनू, मां और चार साल के बेटे पार्थ के साथ आवास विकास में किराए पर रहते थे। उनके पिता की भी मौत हो चुकी थी।
50 हजार का इनाम किया था घोषित
दरोगा की हत्या का आरोपी विश्वनाथ दरोगा को गोली मारने के बाद मौके से फरार हो गया था। उसे पकड़ने के लिए 50 हजार का इनाम घोषित किया था। विश्वनाथ को पकड़ने के लिए तत्कालीन एसएसपी बबलू कुमार ने 5 टीमें बनाईं। विश्वनाथ को पकडऩे के लिए पुलिस ने मथुरा, फिरोजाबाद, हाथरस में दबिश दी। इस हत्याकांड का मामला लखनऊ तक गूंज उठा। 27 मार्च को विश्वनाथ को बाह के कमतरी पुल के पास गिरफ्तार कर लिया।
गवाह बना भाई पलट गया
53 साल का विश्वनाथ पुत्र विजय सिंह तीन साल से जेल में निरुद्ध है। इस मामले में सिपाही चंद्रसेन वादी है। घटनास्थल आरोपी का भाई शिवनाथ भी मौजूद था। मगर वह पूर्व में दी गवाही से पलट गया, लेकिन कोर्ट ने उसकी गवाही को नहीं माना। जिला जज विवेक संगल ने जिला शासकीय अभिवक्ता बसंत गुप्ता के तर्क और साक्ष्यों को आधार मानते हुए आरोपी विश्वनाथ को हत्या एवं आयुध अधिनियम के तहत दोषी माना। 17 साल के जुर्माने के साथ उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सजा सुनकर गिड़गिड़ा उठा
जिजा जज के सामने पेशी पर आए विश्वनाथ ने कोर्ट से कहा कि वह 3 साल से जेल में है। परिवार में दो बच्चे और पत्नी है। परिवार का पालन पोषण करने वाला कोई नहीं है। उसे कम से कम सजा से दंडित किया जाए। मगर जब कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वह गिड़गिड़ाने लगा।