दिल्ली के पुलिस ASI ने की खुदकुशी, कमरे में सर्विस रिवॉल्वर से खुद को मारी गोली, नहीं मिला कोई सुसाइड नोट
दिल्ली पुलिस के एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर खुदकुशी कर ली। यह दुखद घटना 6 अगस्त की सुबह करीब 3 बजे सिविल लाइंस बैरक में उनके कमरे में हुई। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई जारी है। पुलिस के अनुसार, मृतक एएसआई उत्तराखंड का निवासी था और वह साल-1994 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुआ था। इस घटना की जानकारी मृतक के परिवार को दे दी गई है। क्राइम टीम और एफएसएस रोहिणी टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण कर लिया है। हालांकि, मौके से मृतक की ओर से लिखा हुआ कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि मृतक पुलिसकर्मी किसी पारिवारिक समस्या से परेशान था, जिसके चलते उसने यह खौफनाक कदम उठाया। इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 194 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
हेड कॉन्स्टेबल ने भी सर्विस रिवॉल्वर से की थी खुदकुशी…
बीते साल जनवरी में भी दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल ने अपनी सर्विस पिस्टल से खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया था। वह दिल्ली के पहाड़गंज थाने में तैनात था। उसने थाने में ड्यूटी के दौरान ही खुद को गोली मार ली थी। मृतक पुलिसकर्मी ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें किसी पर भी कोई आरोप नहीं लगाया गया था। सुसाइड नोट में लिखा था कि वह निजी कारणों से आत्महत्या कर रहा है।
मानसिक स्थिति और सहायता की आवश्यकता…
ये घटनाएं पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल उठाती हैं। पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों के दौरान विभिन्न प्रकार के दबाव और तनाव का सामना करते हैं। इनमें से कई बार पारिवारिक समस्याएं और व्यक्तिगत चुनौतियाँ भी शामिल होती हैं, जिनके कारण वे मानसिक तनाव से जूझते रहते हैं।
पुलिस विभाग द्वारा सहायता और समर्थन…
पुलिस विभाग को अपने कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति और अधिक संवेदनशील होना चाहिए। पुलिसकर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने के लिए नियमित काउंसलिंग सत्र और सहायता समूहों का आयोजन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे बिना किसी भय या हिचकिचाहट के अपनी समस्याएं साझा कर सकें और उन्हें उचित सहायता मिल सके। दिल्ली पुलिस के एएसआई द्वारा की गई आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। पुलिसकर्मियों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को पहचानने और उनका समाधान करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की दुखद घटनाओं को रोका जा सके।