भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता और रानीगंज के पूर्व विधायक धीरज ओझा भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह के नामांकन से दूर रहे…
ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हरी ठगा नहीं, एमएलसी पद के निर्वाचन में स्वार्थी हरि प्रताप सिंह ने राजा भईया के एहसानों को भी भुलाकर गोपाल जी के नामांकन को अवैध घोषित कराने की चली थी,चाल…
इस बार प्रतापगढ़ का एमएलसी चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है। कुँवर अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” प्रतापगढ़ में एमएलसी पद पर चार बार निर्वाचित होकर जो कीर्तिमान बनाया वह अब समाप्त नहीं किया जा सकता। सूबे में 36सीटों पर एमएलसी पद पर 9 अप्रेल, 2022 को चुनाव होना है। प्रतापगढ़ में समाजवादी पार्टी से सपा मुखिया अखिलेश यादव के खास विजय बहादुर यादव है तो जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” हैं, वहीं सत्ताधारी दल भाजपा से हरि प्रताप सिंह चुनावी मैदान में हैं। बाकी सब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” को 15 मार्च को फेंक पते पर असलहे का लाइसेंस लेने के मामले में सजा हो गई थी तो उसी को आधार बनाकर भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह द्वारा जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” के नामांकन में आपत्ति दाखिल की गई थी। भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह को भरोसा था कि सजा होने जैसा पुख्ता प्रमाण पेश करने के बाद “गोपाल जी” का नामांकन निरस्त हो जायेगा और वह चुनाव में बाजी मार लेंगे।
भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह का एमएलसी पद पर निर्वाचित होने का सपना हुआ चकनाचूर…
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं रिटर्निंग ऑफिसर डॉ नितिन बंसल ने हरि प्रताप सिंह को सिरे से खारिज कर दिया तो हरि प्रताप सिंह अपना मुंह बनाकर रह गए। निवर्तमान एमएलसी “गोपाल जी” को अदालत ने 22 मार्च को जेल भेज दिया और 23 मार्च को 7 वर्ष की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई तो हरि प्रताप सिंह फूले नहीं समा रहे थे। उन्हें लगा कि अब वह एमएलसी पद पर निर्वाचित हो जायेंगे। 20वर्ष तक नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ के चेयरपर्सन बनने में राजा भईया की विशेष कृपा रहती थी, परन्तु मौका पाते ही विषधर सांप की तरह हरि प्रताप सिंह ने भी राजा भईया को डसने से बाज नहीं आये। वह भूल गए कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गोपाल जी की पत्नी मधुरिमा सिंह और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय महासचिव डॉ के एन ओझा एमएलसी पद के नामांकन किया है। यदि गोपाल जी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे तो उनकी पत्नी मधुरिमा अथवा जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय महासचिव डॉ के एन ओझा में से कोई एक उम्मीदवार जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के समर्थन से चुनाव लड़ेगा और हरि प्रताप सिंह का बाजा बजा देगा।
भाजपा उम्मीदवार हरि प्रताप सिंह यह सोचकर एमएलसी पद का चुनाव लड़ने का विचार किया कि गोपाल जी को जब सजा हो जायेगी तो राजा भईया के उपर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से दबाव दलाकर अपने पक्ष में समर्थन करा लेंगे और एमएलसी पद पर निर्वाचित हो जायेंगे। राजनीतिक रूप से अंतिम पायदान पर खड़े हरि प्रताप सिंह सोच रहे थे कि मरने से पहले विधायक और मंत्री न सही कम से कम एमएलसी पद पर निर्वाचित हो जायेंगे तो बुढ़ापा ठीक ढंग से पार हो जायेगी। वर्ष-1995 से परिवहन/हैंडलिंग का ठेका लेकर अनाज की कालाबाजारी करके हरि प्रताप सिंह अरबपतियों की श्रेणी में स्वयं का नाम दर्ज करा लिया है और नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ के कोष में डकैती डालकर सिर्फ 30 सालों में मालामाल हो गए। अनाज की कालाबाजारी करते समय जब भी हरि प्रताप सिंह संकट में आये तब खाद्य रसद मंत्री रहते हुए राजा भईया ने उनकी दिल खोल कर मदद की और हर संकट से उन्हें उबारा था। शायद यह बात मतलबी और स्वार्थ में अंधे हुए हरि प्रताप सिंह भूल गए, तभी तो वह गोपाल जी के नामांकन में आपत्ति जताई और उनकी सजा में सबसे अधिक खुशी का इजहार किया। हरि प्रताप सिंह के सारे मंसूबे फेल हो गए और आज गोपाल जी को सजा मामले में स्थगनादेश के साथ जमानत मिल गई और वह जिला कारागार से बाहर आ गए। कल से वह गोपाल जी अब एमएलसी पद के चुनाव प्रचार में जुट जायेंगे और हरि प्रताप सिंह की पुंगी बजाने से परहेज नहीं करेंगे।