विधायक प्रतापगढ़ के नाम पर 27 सालों से नगरपालिका क्षेत्र में आने वाले भूंसा टाली से होती है,जमकर अवैध वसूली
नगरपालिका चेयरमैन रहे हरि प्रताप सिंह के प्रथम कार्यकाल से हुई थी, नगर क्षेत्र में भूंसा विक्रेताओं से अवैध वसूली की शुरुवात…!!!
वैसे माफिया शब्द बहुत बड़ा है,परन्तु भूंसा में भी माफिया होगा ये नहीं सुना था। प्रतापगढ़ जनपद में वेरोजगारी इस कदर है कि गरीब आदमी शहर में भूंसा बेंचकर अपना गुजर बसर कर सके, ऐसा संभव नहीं। भूंसा का धंधा करना भी महाभारत करने के समान है। प्रतापगढ़ में भूंसा माफिया का बर्चस्व इतना बढ़ा कि विधायक बदलते रहे, परन्तु भूंसा की वसूली का सरगना वही रहा। वर्ष-2007 में सदर विधायक संजय तिवारी और वर्ष-2012 में नागेन्द्र सिंह “मुन्ना” के कार्यकाल में वसूली का गोरखधंधा फलता-फूलता रहा। तब्दीली सिर्फ इतनी हुई कि नपाध्यक्ष और सांसद प्रतापगढ़ इस गोरखधंधे से बाहर हो गए। वर्ष-2017 में सदर विधायक संगम लाल गुप्ता हुए तो भूंसा माफिया गांजी चौराहे पर बकायदे उनका स्वागत और सम्मान किया। वजह सिर्फ और सिर्फ भूंसा की माफियागीरी चलती रहे।
शुरुवाती दौर में कई लोग इस गोरखधंधे में आना चाहे। सदर विधायक का नाम भी उछला और एक आडियो भी सोसल मीडिया पर खूब वाईरल हुआ था। नगर कोतवाल की भी भूमिका इस गोरखधंधे में उजागर हुई। कुछ दिनों बाद प्रकरण ठन्डे बस्ते में चला गया। भूंसा माफिया सुनील गुप्ता और प्रफुल्ल शुक्ल के बीच काफी तनातनी कुछ दिनों तक चली। सदर विधायक का अपना रिश्तेदार बताकर अधिकारियों से सुनील गुप्ता सबको दबा दिया। सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो प्रतापगढ़ शहर में प्रतिदिन भूंसे से 5000/पांच हजार तक की वसूली हो जाती है। जाहिर सी बात है कि यदि वसूली इतनी अधिक होगी तो पुलिस बिना अपना हिस्सा लिए ये गोरखधंधा करने ही नहीं देगी। साथ ही जिसके नाम पर वसूली होती है,वह भी अपना हिस्सा लिए बगैर मानेगा नहीं।
कोतवाली नगर चिलबिला पुलिस क्षेत्र अंतर्गत हनुमान मंदिर के पास एक बार विधायक के नाम पर भूसा विक्रेताओं से वसूली करने वाले को पुलिस ने सबक सिखाया। चौकी इंचार्ज को भी उसने धौंस दी। हालांकि चौकी इंचार्ज ने फोन से सदर विधायक को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई को कहा। चौकी इंचार्ज ने उसकी जमकर पिटाई की। इसके बाद शांतिभंग में चालान कर दिया। चिलबिला बाजार के श्रीबजरंगबली मन्दिर के बगल से मदाफरपुर जाने वाली सड़क के पास एक दबंग लंबे समय से भूसा विक्रेताओं से वसूली कर रहा था। तांगा व तिपहिया रिक्शा से वह 30 रुपये लेता था। न देने वालों को मारपीट कर वापस कर देता था। इस बात की जानकारी चिलबिला चौकी इंचार्ज कल्वे अब्बास को हुई तो वह मौके पर जा पहुंचे। देखा तो एक व्यक्ति हाथ में डंडा लिए एक भूसा विक्रेता से झगड़ रहा था। इस पर चौकी इंचार्ज ने जानकारी चाही तो दबंग भूंसा माफिया ने सदर विधायक की धौंस तक दे डाली। कहा कि वह सदर विधायक का आदमी है। इस पर चौकी इंचार्ज ने सदर विधायक को फोन कर मामले की जानकारी दी थी।
भूंसा माफिया द्वारा सीधे तौर पर सदर विधायक संगम लाल गुप्ता का नाम लेकर भूंसा विक्रेताओं से अवैध वसूली की बात सार्वजनिक होने से विधायक की साख खराब हो रही थी। ऐसे में भूंसा माफिया का यह बर्ताव विधायक जी को नागवार लगा। उन्होंने चौकी इंचार्ज को दबंग भूंसा माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया था। स्थानीय दुकानदारों की मानें तो पुलिस ने दबंग भूंसा माफिया के दोनों हाथ पीछे बांध दिए और उस पर जमकर लाठी बरसाई। पिटाई होते ही दबंग की अकड़ गायब हो गई। वह पुलिस से रहम की भीख मांगने लगा। चौकी इंचार्ज उसे अपने साथ ले आए और शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया। सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि यदि कोई अवैध वसूली कर रहा था तो उसका पुलिस ने सिर्फ चालान शांति भंग में क्यों किया ? उसका चालान भूंसा विक्रेताओं से अवैध वसूली के विरुद्ध क्यों नहीं किया गया ? पुलिस की मंशा भी स्पष्ट नहीं दिखी, पूरे मामले में पुलिस और विधायक जी की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी थी। क्या पुलिस अपने मिलने वाले हिस्से में इजाफा करने के उद्देश्य से भूंसा माफिया के पुत्र की पिटाई की थी अथवा सदर विधायक को सिर्फ रिश्तेदार बनाकर उन्हें सिर्फ लालीपॉप देने वाले भूंसा माफिया को सबक सिखाने और विधायक को हिस्सा न देना कहीं भूंसा माफिया के पुत्र की पिटाई की वजह तो नहीं थी।