भू-माफियाओं के आगे नतमस्तक प्रतापगढ़ का जिला प्रशासन और पुलिस महकमा
प्रयागराज-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग मार्ग पर स्थित बेशकीमती भवन संख्या-452 पर कब्जे को लेकर फिर खड़ा हुआ तूफान…
जनपद प्रतापगढ़ में भूमाफियाओं द्वारा पहले जमीन को विवादित बनाया जाता है, फिर पीड़ित पर दबाव बनाकर कब्जा परिवर्तन के नाम पर हो हल्ला करके पुलिस से दर्ज करवाते हैं, डकैती जैसे गंभीर आरोप का मुकदमा…
प्रतापगढ़। यूपी के जनपद प्रतापगढ़ में भूमाफियाओं के कई गिरोह सक्रिय हैं। इन गिरोह में सभी तरह के लोग शामिल रहते हैं। पहले नम्बर पर अधिवक्ता तो दूसरे नम्बर पर जनप्रतिनिधि तो पर्दे के पीछे से मुखबिरी और बिग ब्रेकिंग लिखने के लिए कथित पत्रकार भी इस गिरोह का हिस्सा होते हैं। प्रतापगढ़ में यह पहला मामला नहीं है, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी। प्रतापगढ़ में भूमि और भवन के विवाद में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। प्रतापगढ़ जनपद में 06 मई की शाम पुराना माल गोदाम रोड तिराहे के पास प्रयागराज-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग के पूर्वी तरफ बेशकीमती प्रॉपर्टी को लेकर दो पक्ष आमने सामने हो गए थे। बड़ी घटना होते-होते बची। उस वक्त विवाद गहराने पर शांति ब्यवस्था के नाम पर पुलिस के आला अफसरों ने विवादित मकान पर अपना ताला जड़कर सुरक्षा के मद्देनजर सिपाही तैनात कर दिए थे। सवाल उठता है कि जब पुलिस को विवाद होने का संज्ञान था तो वह विवाद को गहराने क्यों दिया ? ऐसे में क्या पुलिस की भूमिका और उसकी सत्यनिष्ठा पर सवाल नहीं खड़े हो रहे हैं।
उक्त मकान पर अमित जायसवाल का वर्तमान में कब्जा है, जिसमें जमीन हड़पने की नियत से द्वितीय पक्ष द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा है और इस पूरे मामले की जाँच अभी एसडीएम सदर द्वारा की जा रही है। इसके पूर्व तत्कालीन एसडीएम सदर मोहन लाल गुप्ता ने जिलाधिकारी प्रतापगढ़ के निर्देश पर जाँच की थी और अपनी जाँच रिपोर्ट सम्बन्धित अधिकारियों को प्रेषित कर सही स्थिति स्पष्ट कर दी थी, फिर भी प्रतापगढ़ पुलिस ने पीड़ित पक्ष पर ही डकैती का मुकदमा दर्ज कर लिया है। वैसे तो किसी सिविल के प्रकरण में न तो जिला प्रशासन को रत्ती भर अधिकार है और न ही पुलिस महकमें को। फिलहाल पुलिस सामान्यतः यही कहती भी है कि जमीन और मकान के प्रकरण में उसका रोल नहीं होता, सिर्फ वह कानून ब्यवस्था को चुस्त व दुरुस्त बनाये रखने के लिए मौका-ए-वारदात पर पहुँचती है, परन्तु आदतन वह कानून ब्यवस्था के नाम पर सिविल के मामले में भी घुसकर तमाशा देखती है और जेब की पोजीशन भी ठीक कर लेती है। सच बात तो यह है कि पुलिस की हार्दिक इच्छा होती है कि विवाद बढ़े और उसे कानून ब्यवस्था के नाम पर उस विवाद में घुसने का मौका मिले ताकि वह भी बहती गंगा में हाथ धो सके। इच्छानुसार पक्षकारों से धनादोहन कर सके।
भला आज के आधुनिकता के दौर में इस अर्थवादी युग में धन किसे काटता है ? इसलिए पुलिस भी शांति ब्यवस्था के नाम पर सिविल के मामले में जी खोलकर हस्तक्षेप करती है और जमकर धनार्जन करती है। सच बात यह कि ऐसे विवादों की असल माई बाप राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी होते हैं। राजस्व विभाग की सबसे भ्रष्टतम कड़ी हल्का लेखपाल होता है जो धन के आगे सच को झूठ और झूठ को सच बनाने की कसरत करता रहता है। प्रयागराज-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग मार्ग पर जनपद प्रतापगढ़ के शहरी क्षेत्र में भूमि का भाव बहुत अधिक है, जिसकी वजह से भुपियामऊ से चिलबिला के आगे सोनावां तक भूमाफियाओं की नजर ऐसी भूमि और जर्जर भवन पर होती है, जिसमें जरा सा विवाद होता है तो उस विवाद को इतना गहरा कर दिया जाता है कि वह दाद खाज खुजली से कोढ़ का रूप ले लेती है। अक्सर देखने व सुनने में यह बात सामने आ जाती है कि प्रतापगढ़ पुलिस पीड़ित पर ही मुकदमा दर्ज कर लेती है और प्रभावशाली ब्यक्तियों को छोड़ देती है। उक्त प्रकरण में भी यही हुआ है। उक्त प्रकरण में कोतवाली नगर की पुलिस ने दो नामजद और 25 अज्ञात पर डकैती का मुकदमा दर्ज किया है। अब सवाल यह उठता है कि प्रतापगढ़ पुलिस की मौजूदगी में डकैती कब हो गई, जबकि पीड़ित पक्ष साल-2008 से मकान का गृहकर व जलकर नगरपालिका में जमाकर ले रखा है,रसीद…!!!
प्रतापगढ़ के भूमाफियाओं में सबसे तगड़ा गिरोह जिला कचेहरी में नॉन प्रैक्टिसनर अधिवक्ता हैं, जिनके द्वारा शार्टकट रास्ते से कम समय में अधिक धनवान बनने की इच्छा शक्ति ने जिले का माहौल खराब कर रखा है। हकीकत में प्रतापगढ़ कचेहरी में हजारों अधिवक्ता प्रैक्टिस करने आते हैं और 25 फीसदी अधिवक्ताओं के पास मुवक्किल और फाइल हुआ करती है। शेष 75फीसदी अधिवक्ता क्या करते हैं और उनका खर्च कैसे निकलता है, यह वही जाने। परन्तु अधिवक्ताओं का पेशा बहुत ही सम्मानित माना जाता था, जिसमें बहुत गिरावट आ चुकी है। जिला प्रशासन और पुलिस महकमा भी इनके रौद्र रूप के आगे नतमस्तक हो जाया करता है। कोतवाली नगर क्षेत्र के पुराना माल गोदाम तिराहे पर स्थित एक प्रॉपर्टी है, जिसका मकान नम्बर- 452 नगरपालिका के अभिलेख में दर्ज है एवं राजस्व अभिलेख में नकल खतौनी बंदोंबस्त सोयम गाटा संख्या- 158, 1331 फसली में 6 विस्वा, 10 धूर आबादी के खाते में दर्ज है। स्वत्व के निर्धारण में जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी और पुलिस विभाग का कोई रोल नहीं होता, फिर भी जबरन अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण कर मनमानी करने पर आमादा रहते हैं।
उक्त संपत्ति राजस्व विभाग के सरकारी अभिलेखों में खाता खेवट आला बंदोबस्त सोयम मौजा सहोदरपुर मोहाल विशुन सिंह परगना व तहसील सदर, जिला प्रतापगढ़ बावत 1331 फसली के रूप में दर्ज है। खाता खेवट आला बंदोबस्त सोयम मौजा सहोदरपुर मोहाल विशुन सिंह के अंतिम वारिश मुन्नी कुँवर पत्नी राम बहादुर सिंह ने साबित अली वल्द जोखू शेख को इस भूमि का पट्टा इश्तमरार काबिल जरायत व काबिल इंतकाल यानि पुश्त दर पुश्त कर दिया था। इस भूमि/भवन का वाद सिविल न्यायालय में रफीकुन निशा बनाम अब्दुल हफीज का हक मेहर का मुकदमा चला, जिसमें सिविल न्यायालय ने दिनांक- 23/09/1961 को निर्णय करते हुए रफीकुन निशा के हक़ में फैसला सुनाकर प्रकरण को निस्तारित कर दिया। न्यायालय के निर्णय के बाद जिला जज प्रतापगढ़ द्वारा 11 मार्च, 1972 को इस भूमि/भवन को नीलाम करवाया गया। नीलामी गया प्रसाद और भगवत प्रसाद, निवासी टक्करगंज द्वारा ली गई। उसी आधार पर नगरपालिका परिषद् बेला-प्रतापगढ़ के अभिलेखों में गया प्रसाद और भगवत प्रसाद का नाम दर्ज हुआ। भूमाफियाओं का गठजोड़ नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ से भी रहता है और वहां भी पैसे के आगे नाम चढ़ाने और काटने का खेल जमकर खेला जाता है। पूर्व चेयरमैन व वर्तमान चेयरपर्सन प्रेमलता सिंह के पति हरि प्रताप सिंह इसके माहिर खिलाड़ियों में से एक हैं।
क्रेता गया प्रसाद की मृत्यु के बाद उनके वारिश उनकी पत्नी और उनकी पुत्रियों ने 14 फरवरी, 2008 को बिन्दा गुप्ता और प्रभा देवी जायसवाल के पक्ष में बैनामा कर दिया, जिनका अभी वर्तमान में उक्त सम्पत्ति पर कब्जा दखल है। बैनामे के बाद से बिन्दा गुप्ता और प्रभा देवी जायसवाल नियमित रूप से उक्त मकान का गृहकर व जलकर नगरपालिका परिषद् बेला- प्रतापगढ़ में जमा करते आ रहे हैं। इसीबीच उक्त मकान को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर विक्रेता के रूप में कृष्ण कुमार पुत्र राम दुलारे से सुभाष सिंह पुत्र फुलगेन सिंह निवासी पूरे पाण्डेय ने 2 फिट चौड़ा और 60 गहरा एवं अर्चना जायसवाल पुत्री जीतलाल ने 10 फिट चौड़ा और 60 फिट गहरा का बैनामा ले लिया। मजेदार बात यह है कि सुभाष सिंह पुत्र फुलगेन सिंह द्वारा प्रयागराज-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिर्फ 2 फिट चौड़ा और 60 फिट गहरान की सम्पत्ति बैनामा लिए हैं। सवाल उठता है कि दो फिट यानि 24 इंच। अब इसमें दोनों तरफ यदि 4-4 इंच की दीवार बने तो 8फिट हो जाते हैं और शेष 16इंच जमीन शेष बची। अब 16 इंच में तो एक ब्यक्ति किसी भी तरह प्रवेश ही नहीं कर सकता। भवन बनाने की बात तो दीगर रही।
सिविल न्यायालय में कृष्ण कुमार द्वारा दाखिल गाटा संख्या-158 की खतौनी को देखकर राजेश जायसवाल को सिविल न्यायालय में दाखिल खतौनी की प्रमाणिकता पर शंक हुआ तो उन्होंने जनसूचना अधिनियम-2005 के तहत तहसीलदार सदर, प्रतापगढ़ से खतौनी का सत्यापन कराया तो सिविल न्यायालय में दाखिल खतौनी को सदर तहसीलदार ने फेंक और कूटरचित बताया। चूक कहिये या नजरंदाजी कि उक्त कूटरचना के खिलाफ सदर तहसीलदार द्वारा कोतवाली नगर में मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। वहीं राजेश जायसवाल द्वारा फेंक और कूटरचित खतौनी दाखिल करने के खिलाफ पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया था कि उक्त प्रकरण में मुकदमा पंजीकृत किया जाए। फिर भी कोतवाली पुलिस उक्त प्रकरण का मुकदमा आ तक दर्ज नहीं किया। इसे देखकर धोखेबाजों पर कोतवाली नगर की पुलिस मेहरबान है, ऐसा कहा जा सकता है। जब तहसीलदार सदर ने स्पष्ट कर दिया कि सिविल न्यायालय में दाखिल खतौनी फेंक एवं कूटरचित है तो कोतवाली नगर की पुलिस को मुकदमा लिखने में क्या आपत्ति है ? अब यह तो कोतवाली नगर की पुलिस ही जाने।
कोतवाली नगर प्रतापगढ़ की पुलिस मौके पर दोनों पक्षों में विवाद बढ़ता देख दूसरे पक्ष के दबाव में आकर पीड़ित पक्ष पर ही अपराध संख्या-387/22 दिनांक-07/05/2022 को डकैती का मुकदमा दर्ज कर लिया, जिसमें 2 नामजद और 25 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज है। अब सवाल यह उठता है कि प्रतापगढ़ पुलिस की मौजूदगी में डकैती कब और कैसे हो गई ? यक्ष प्रश्न है कि यदि पीड़ित पक्ष डकैती डाल रहा था तो पुलिस मौका-ए-वारदात पर मौजूद थी और घटना की वीडियो मोबाइल के जरिये शूट कर रही थी। जबकि पीड़ित पक्ष साल 2008 से मकान का गृहकर व जलकर नगरपालिका परिषद् बेला-प्रतापगढ़ में जमा कर रहा है और उसका उक्त सम्पत्ति पर उसका कब्जा दखल बरकरार है। उक्त भवन-452 के बगल भवन संख्या-453/01 व गाटा संख्या-158 के संबंध में रेनू रा जायसवाल पत्नी राजेश जायसवाल द्वारा कोतवाली नगर में दिनांक-01/10/2021 को अपराध संख्या- 792/2021 धारा- 419, 420, 467, 468, 471, 452, 323, 504, 506, 147 व 387 आईपीसी के तहत गंभीर धाराओं में उमर करीम, उमर एजाज, कृष्ण कुमार, सावित्री सिंह, रामचंद्र सोनी, विनय कुमार सिंह एवं 8 से 10 लोग के नाम अज्ञात मुकदमा पंजीकृत करवाया गया है, जिसकी विवेचना प्रचलित है। कोतवाली पुलिस अभी तक प्रभावशाली व दबंग आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर सकी।