सीएम योगी आदित्यनाथ का निर्देश लापरवाही बरतने वाले 14 जिलों के अफसरों पर गिरेगी गाज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोगों की समस्याओं को सुलझाने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जन शिकायतों पर प्रमुखता से कार्रवाई का निर्देश दिया है। सीएम की प्राथमिकता के बाद भी इंटीग्रेटेड ग्रेवांस रिड्रेसल सिस्टम(आईजीआरएस) और सीएम हेल्पलाइन पर आई शिकायतों के समाधान में लापरवाही देखने को मिली है। इस पर सीएम कार्यालय ने लखनऊ सहित 24 जिलों के नोडल अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है। कार्मिक और गृह विभाग को भेजे निर्देश में यह भी कहा गया है कि शिकायतों पर चलताऊ टिप्पणी या रिपोर्ट मंगाने की प्रवृत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। आईजीआरएस पर आने वाले शिकायतों के निस्तारण के आधार पर हर महीने जिले की रैंकिंग तय की जाती है। साथ ही निस्तारित की गई शिकायतों की भी रैंडम आधार पर समीक्षा की जाती है, जिससे यह जाना जा सके कि समाधान वास्तव में हुआ है कि नहीं। इसी कड़ी में अक्टूबर में आई जनशिकायतों की समीक्षा की गई तो पाया गया कि कई जिलों में चेतावनी के बाद भी स्थितियां नहीं सुधरी। बहुत से मामलों में अंतरिम आख्या के लिए निर्देशित, पात्रता की जांच की जा रही है, आवेदक से अभिलेख मांगा गया है, जांच अधिकारी नामित है, आख्या मांगी गई है, जैसी टिप्पणियां कर शिकायत को निस्तारित बता दिया गया है।
लखनऊ कमिश्नरेट सहित 14 जिलों में पुलिस की मिली शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही मिली है। अक्टूबर में फीड की गई जनशिकायतों की समीक्षा में भी चेतावनी के बावजूद लापरवाही सामने आई है इसलिए लखनऊ के अलावा हरदोई, रायबरेली, कासगंज, बलिया, मैनपुरी, सहारनपुर, बांदा, बस्ती, अमेठी, हाथरस, हमीरपुर, मथुरा और संतकबीरनगर में नोडल अफसरों की जिम्मेदारी तय करने के लिए गृह विभाग को निर्देश दिए गए हैं। कमिश्नरेट के विस्तार के बाद लखनऊ ग्रामीण व कानपुर ग्रामीण का विलय हो चुका है, लेकिन पहले आई शिकायतों के आधार पर वहां तैनात नोडल अफसरों की भी जवाबदेही तय की जाएगी। सीएम ने समीक्षा बैठकों में साफ निर्देश दिए थे कि शिकायतकर्ताओं का पूरा विवरण दर्ज किया जाए, जिससे जरूरत पड़ने पर उनका फीडबैक लिया जा सके। बावजूद इसके आजमगढ़, बागपत, सोनभद्र, कासगंज, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत और एटा जिले में आवेदकों के मोबाइल नंबर या तो फीड नहीं किए गए या कई शिकायकर्ताओं के गलत नंबर फीड किए गए। इसके चलते शिकायतों की वास्तविकता व निस्तारण का फीडबैक लेना संभव नहीं हो पाया। इन जिलों के नोडल अफसरों पर कार्रवाई के लिए नियुक्ति व कार्मिक विभाग को निर्देश दिए गए हैं।