नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव जीते कई नव निर्वाचित सांसद 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में शपथ लेते हुए दिखे। इस दौरान गाजीपुर से समाजवादी पार्टी से सांसद अफजाल अंसारी लोकसभा में दिखे तो,लेकिन सांसद पद की शपथ नहीं ली। मंगलवार को सदन की कार्यवाही के दौरान जब अफजल अंसारी पहुंचे तब उनकी सपा मुखिया अखिलेश यादव और आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव से बातचीत हुई थी। अफजाल अंसारी का शपथ न लेने का मुद्दा सुर्खियों में छाया है।
जानें क्या है कारण
बता दें कि अफजाल अंसारी के सांसद पद की शपथ न ले पाने का कारण कोई और नहीं बल्कि कानूनी दावपेंच है। अफजाल अंसारी को गैंगस्टर के एक केस में चार साल की सजा सुनाई गई थी,जिससे अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता चली गई थी।अफजाल अंसारी ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की,लेकिन वहां से राहत नहीं मिली।इसके बाद अफजाल अंसारी सुप्रीम कोर्ट गए थे। 14 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश से अफजाल अंसारी की सदस्यता तो वापस करा दी,लेकिन कुछ पाबंदियां भी लगा दीं। इसमें कहा गया कि अफजाल अंसारी सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकते।कोर्ट के इसी आदेश को आधार बनाकर लोकसभा सचिवालय ने अफजाल अंसारी को नए सदन में शपथ के लिए नहीं बुलाया।अब सवाल है कि ऐसे हालात में अफजाल अंसारी का क्या होगा।
गाजीपुर से जीत का सर्टिफिकेट मिलने के साथ ही अफजाल अंसारी सांसद तो बन गए,लेकिन शपथ न ले पाने के कारण उनके अधिकार सीमित हैं।या यूं कहे वो महज़ डमी सांसद जैसे हैं,क्योंकि नियमों के मुताबिक चुने हुए उम्मीदवारों के पास शपथ लेने से पहले सीमित अधिकार होते हैं।वो संसद की किसी बहस का हिस्सा नहीं बन सकते।यहां तक कि संसद की चर्चा में शामिल होने या संसद में कोई टिप्पणी करने का अधिकार भी उनके पास नहीं होता।
जानें क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 99
संविधान के अनुच्छेद 99 में कहा गया है कि सदन में अपना स्थान लेने से पहले हर सदस्य को राष्ट्रपति या उनकी ओर से इस काम के लिए नियुक्त किए गए व्यक्ति के सामने शपथ लेनी पड़ती है।अगर कोई शपथ लिए बगैर सदन की चर्चा या बहस में शामिल होता है तो उसे दंड देने का प्रावधान भी हमारे संविधान में है।अनुच्छेद 104 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 99 के तहत बिना शपथ लिए या जानते हुए कि वो सदस्यता के लिए अयोग्य है या उसे विधि द्वारा ऐसा करने से प्रतिबंधित किया गया है,सदन में सदस्य के रूप में बैठता है या मतदान करता है तो उसे प्रत्येक दिन के हिसाब से 500 रुपए का जुर्माना देना होगा।ऐसे में अब सबकुछ हाईकोर्ट के फैसले पर टिका है,जिसमें 2 जुलाई को आखिरी सुनवाई रखी गई है। वहीं इन सबके बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव अब कोर्ट के आदेश की व्याख्या के लिए लीगल एक्सर्पर्ट्स की हेल्प लेने और इस मामले को फिर से सुप्रीम कोर्ट ले जाने की तैयारी में हैं। वहीं दूसरी ओर विरोधी पक्ष इस पर हमलावर हैं और अखिलेश यादव, अफज़ाल पर जानबूझकर जनता को धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं।