कोरोना संक्रमण काल में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य रहते हुए अमित मोहन प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के बजट पर डकैती डाली थी, फिर भी आज बेदाग अवकाश प्राप्त हो गया
अमित मोहन प्रसाद उत्तर प्रदेश के सीनियर अधिकारी रहे। साल- 1989 बैच के आईएएस अमित मोहन प्रसाद को कोरना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग में अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी मिली हुई थी। उनके खिलाफ जांच के आदेश के बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का पत्र खासी चर्चा में आया था। यूपी के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) अमित मोहन प्रसाद की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से की गई है। PMO ने जांच करने का आदेश मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को दिया है। ट्रांसफर-पोस्टिंग में हुई गड़बड़ी के बाद अमित मोहन प्रसाद की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई थी। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भी उनके खिलाफ खोला हुआ था, मोर्चा
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के पत्र से एसीएस अमित मोहन प्रसाद आए थे, चर्चा में
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद (IAS Amit Mohan Prasad) की मुश्किलें शुरुवात में बढ़ी। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई है। यूपी के एसीएस अमित मोहन प्रसाद (ACS Amit Mohan Prasad) के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा गया। एसीएस अमित मोहन प्रसाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की गई शिकायत के बाद यह ऐक्शन हुआ है। अमित मोहन प्रसाद उत्तर प्रदेश के सीनियर अधिकारी हैं। साल- 1989 बैच के आईएएस अमित मोहन प्रसाद को अभी स्वास्थ्य विभाग में अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी मिली हुई है। अब उनके खिलाफ जांच के आदेश के बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का पत्र खासी चर्चा में आ गया है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। स्वास्थ्य विभाग में मंत्री और अपर मुख्य सचिव का विवाद पिछले काफी समय से चर्चा में बना हुआ है।
आर क्यूब ग्रुप ऑफ कंपनीज की शिकायत पर पीएमओ भी हुआ था, नाराज
अमित मोहन प्रसाद यूपी सरकार में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत थे। एसीएस अमित मोहन प्रसाद का रसूख काफी बड़ा रहा। ऐसे में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के पत्र सार्वजनिक होने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी। एसीएस अमित मोहन प्रसाद के खिलाफ डिप्टी सीएम बृजेश पाठक स्वास्थ्य मंत्री बनते ही निशाना साधते रहे। कोरोना पीक के दौरान पिछले साल लखनऊ में इंतजामों को लेकर बृजेश पाठक ने सवाल खड़े किए थे। पिछले दिनों स्वास्थ्य विभागों में तबादलों के बाद से एसीएस अमित मोहन प्रसाद और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक आमने-सामने आ गए थे। डिप्टी सीएम लगातार सवाल खड़े कर रहे थे। इससे यूपी सरकार पर भी कार्रवाई का दबाव बन रहा था। प्रधानमंत्री के यहां शिकायत होने के बाद अब कार्रवाई होनी तय मानी जा रही थी।
निजी कंपनी की ओर से की गई शिकायत
निजी कंपनी की ओर से पीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की गई। स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विभिन्न कार्य करने वाली एजेंसी ने शिकायत की है। एसीएस मोहन प्रसाद पर आरोप लगाया गया है कि उनके स्तर पर किए गए कार्यों का भुगतान नहीं किया गया। ट्रांसफर-पोस्टिंग में गड़बड़ी का आरोप भी लगा। दरअसल, आर क्यूब ग्रुप ऑफ कंपनीज के महेश चंद्र श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री कार्यालय को 27 जून को पत्र लिखकर शिकायत की थी।
कंपनी ने गोरखपुर, गोंडा, बलिया और प्रयागराज के जिला चिकित्सालयों में सेंट्रल गैस पाइप लाइन सिस्टम की स्थापना और पांच वर्षों तक अनुरक्षण का काम किया गया। कंपनी का दावा है कि लखनऊ के सिविल अस्पताल, भाऊराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय महानगर लखनऊ में मॉड्यूलर ओटी सहित अन्य काम कराए गए। लखनऊ, आगरा, वाराणसी, कानपुर नगर, मेरठ और प्रयागराज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और लखनऊ के रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय में फायर फाइटिंग के काम भी किए गए हैं। इसके अलावा विभिन्न सीएचसी पर किए कामों का भी हवाला दिया गया है। कंपनी ने भुगतान न होने के लिए सीधे तौर पर अपर मुख्य सचिव की शिकायत की गयी थी।
लोकायुक्त के स्तर पर भी हुई थी, नोटिस
एसीएस अमित मोहन प्रसाद के खिलाफ लोकायुक्त ने भी नोटिस जारी किया है। लोकायुक्त ने जारी नोटिस में मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन से जुड़े मामलों में सवाल पूछा है। अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद इस प्रकार के मामलों से इनकार करते रहे हैं। वे कहते रहे हैं कि उन्हें इन मामलों की कोई जानकारी नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री एवं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के पत्र के बाद मामला खासा चर्चित रहा। इस पत्र के मीडिया में लीक होने के बाद माना गया कि मंत्री और एसीएस के बीच तनातनी का यह परिणाम था। इतना सबकुछ होते हुए अपर मुख्य स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद का कुछ नहीं बिगड़ा। हमारे देश के पीएम मोदी जी कहते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई गई है, परन्तु जिस अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की शिकायत स्वयं स्वास्थ्य मंत्री और सूबे का डिप्टी सीएम किया हो, उस शिकायत को भी नजरदांज कर दिया जाता है। ऐसे खत्म होगा देश से भ्रष्टाचार।