चंपई सोरेन के भाजपा में जाने की अटकलों पर बोले सीएम हेमंत सोरेन,कैसी नाराजगी,हमें तो कुछ बताया ही नहीं
गोड्डा। झारखंड सरकार में मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन के भारतीय जनता में जाने की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम सोरेन ने कहा कि चंपई दा ने तो मुझे कुछ नहीं बताया कि वो नाराज हैं। पत्रकारों के सवाल पर सीएम सोरेन ने कहा कि कौन कहता है वो नाराज हैं,मुझे तो नहीं बताया उन्होंने,अजीब हालत है। आप लोग खुद से ही कह रहे हैं। चंपई सोरेन की नाराजगी मीडिया की उपज है। इससे पहले सीएम सोरेन ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने और समाज को बांटने का आरोप लगाया था।
गोड्डा के एक समारोह में सीएम हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि भाजपा गुजरात,असम और महाराष्ट्र से लोगों को लाकर आदिवासियों,दलितों,पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के बीच जहर फैलाने और उन्हें एक-दूसरे से लड़वाने का काम कर रही है।
भाजपा पर निशाना साधते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि समाज की बात तो भूल ही जाइए।ये लोग परिवारों और दलों को तोड़ने का काम करते हैं,वे विधायकों की खरीद-फरोख्त करते हैं।सीएम सोरेन ने कहा कि पैसा ऐसी चीज है कि नेताओं को इधर-उधर जाने में ज्यादा समय नहीं लगता।
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं,लेकिन चुनाव कार्यक्रम निर्वाचन आयोग द्वारा नहीं,बल्कि राज्य में विपक्षी पार्टी (भाजपा) द्वारा तय किया जाएगा। सीएम सोरेन ने कहा कि ऐसा लगता है कि निर्वाचन आयोग अब संवैधानिक संस्था नहीं रह गया है, क्योंकि इस पर भाजपा के लोगों का कब्जा हो गया है।मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि अगर आज विधानसभा चुनाव हुए तो झारखंड से उनका सफाया हो जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि जिस पार्टी और माटी ने चंपई सोरेन को सब कुछ दिया उसको ठुकरा कर अपने आत्मसम्मान को गिरवी रखकर वो सरकार को तोड़ने का काम कर रहे थे। बन्ना गुप्ता ने कहा कि शिबू सोरेन ने एक साधारण व्यक्ति को जमशेदपुर से निकालकर पहचान दी, उनको मान सम्मान दिया,हर संभव मदद किया,पार्टी में अपने बाद का औहदा दिया,जब-जब जेएमएम की सरकार बनी उसमें मंत्री बनाया,सांसद का टिकट दिया,हर निर्णय का सम्मान किया,लेकिन उसके बदले चम्पाई दा ने राज्य को मौका परस्ती के दलदल में झोकना चाहा।
बन्ना गुप्ता ने कहा कि सच तो ये है कि जिस दिन हेमंत सोरेन जेल से बाहर आये थे आपको नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए था और नंगे पैर चलकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहिए था,लेकिन आप तो अंतिम समय में भी ट्रांसफर पोस्टिंग में लगे थे।असल में आपको अनुकम्पा पर मिली कुर्सी अपनी लगने लगी थी और कुर्सी का लगाव और मोह नहीं छूट पा रहा था।
चंपई सोरेन ने रविवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने अत्यधिक अपमान झेला,जिसके बाद वो वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गए हैं।
चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में उन्हें बताए बगैर पार्टी नेतृत्व ने अचानक उनके सारे सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया।पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा तीन जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है और मुझसे कहा गया कि तब तक आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।क्या लोकतंत्र में इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे।
चंपई सोरेन ने कहा कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है,लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था।बैठक के दौरान मुझसे इस्तीफा मांगा गया।मैं आश्चर्यचकित था,लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया,लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।हेमंत सोरेन ने जमानत पर जेल से बाहर निकलने के बाद फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली।उस समय भी मुख्यमंत्री पद से विदाई के बाद चंपई सोरेन की नाराजगी की खबरें सामने आई थीं।दावा तो यहां तक किया गया था कि काफी मनाने के बाद चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव स्वीकार किया था।