जिला प्रशासन की लापरवाही और जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी से सई नदी की तलहटी में बन रही है, नेताओं की मल्टी कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग्स
बेल्हा देवी धाम के पूर्व दिशा में पुराने पुल और रेलवे पुल के बीच में बनाई जा रही है,इमारत…
सई नदी की तलहटी में शहरी क्षेत्र के कुछ लोग अपनी हबेली तान रहे हैं। राजस्व विभाग की मिलभगत से नदी के तट तक निर्माण कार्य बिना रोकटोक चल रहा है। हालांकि राजस्व विभाग की टीम उसे भूमिधरी जमीन बता रही है। सदर तहसील से महज 2किमी की दूरी पर प्रयागराज-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर सई नदी के पुल के बगल स्थलीय निरीक्षण करने का समय राजस्व विभाग के अधिकारियों के पास नहीं है। शहर के बेल्हा घाट स्थित सई नदी में अभी कुछ दिन पहले एक मशीन ले जाने के लिए अवैध तरीके से सई नदी की धारा रोककर मिट्टी से रास्ता बनाकर मशीन को सई नदी पार कराया गया था। मशीन गुजरने के बाद अवैध तरीके से रास्ते के मलबे को हटाकर भाजपा नेता एवं नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ के चेयरपर्सन प्रेमलता सिंह के पति हरि प्रताप सिंह एवं उनके भाई विनय प्रताप सिंह उर्फ बब्बू सई नदी की तलहटी में अवैध निर्माण कार्य शुरू कर दिए। जबकि नदी में बाढ़ आने के बाद नदी के किनारे बन रही हबेली खतरनाक साबित हो सकती है। नदी के किनारे भले ही जमीन किसी की भूमधरी की हो, परन्तु नदी के किनारे उस भूमिधरी जमीन पर भूस्वामी निर्माण कार्य नहीं करा सकता।
किसी भी नदी के किनारे उसके तट पर निर्माण कार्य के लिए सरकार प्रतिबंध लगा रखा है। फिर भी भूमाफिया किस्म के दबंग लोग सरकार के प्रतिबंध को दरकिनार कर निर्माण कार्य कराकर सरकार और सिस्टम को मुंह चिढ़ाने का कार्य करते हैं। बिना मानचित्र स्वीकृत कराए कोई भी निर्माण कार्य शहरी क्षेत्र में वैसे भी नहीं कराया जा सकता। फिर भाजपा नेता हरि प्रताप सिंह जो स्वयं बीस सालों तक नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ रहे और वर्ष-2002 से वर्ष-2007 तक भाजपा के प्रतापगढ़ सदर क्षेत्र से विधायक रहे, यह निर्माण कार्य उनके द्वारा किया जा रहा है। अपराध करने वाला यदि अपराध के विषय में जानकर वह अपराध करता है तो वह उस अपराधी से अधिक खतरनाक माना जाता है जो अपराध के विषय में जानकारी के अभाव में अपराध कर दिया जाए। भाजपा नेता हरि प्रताप सिंह जानबूझकर यह अपराध कर रहे हैं। चर्चा है कि उनके प्रभाव के आगे राजस्व विभाग भी चुप रहने में अपनी भलाई समझ रहा है। बदले में इस अवैध निर्माण के एवज में दान दक्षिणा जो मिला होगा उससे राजस्व विभाग हाथ पर हाथ रखकर चुप रहना बेहतर मान रहा है।
ऐसा नहीं है कि नाक के नीचे हो रहे निर्माण कार्य को राजस्व विभाग देखा न हो। सच बात तो यह है कि स्वयं जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल, मुख्य राजस्व अधिकारी प्रतापगढ़, अपर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ और उप जिलाधिकारी सदर प्रतापगढ़ इस पुल से अनगिनत बार नवीन महुली मंडी जहाँ मतपेटिका रखी गई और जहाँ मतगणना हुई वहाँ गए। साथ ही आते-जाते इस अवैध निर्माण को देखे भी, परन्तु अपना मुँह फेर लिया करते थे। मजेदार पहलू यह है कि इस अवैध निर्माण के बारे में जब विनियमित क्षेत्र के नियत प्राधिकारी/उप जिला मजिस्ट्रेट सदर प्रतापगढ़ से इस सम्बंध में पूंछा गया तो उन्होंने किसी भी तरह के निर्माण से अनभिज्ञता जताई और कहा कि यदि निर्माण कार्य कराया जा रहा है तो उसे बंद कराया जायेगा। साथ ही उसका ध्वस्तीकरण भी कराया जायेगा। उप जिला मजिस्ट्रेट सौम्य मिश्र जी से कौन पूंछे कि यदि यह कार्य एक आम आदमी करता तो अभी उनकी राजस्व टीम उसके साथ कैसा ब्यवहार करती ? ये वही हरि प्रताप सिंह हैं जो सदर तहसील क्षेत्र के सैयाबांध स्थित सीताराम धाम के सामने नाले को बंद कर वहाँ भी मल्टी कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग्स का निर्माण करा रहे थे, जिसे तत्कालीन उप जिला मजिस्ट्रेट संजय खत्री ने बरसात के दिनों में जब दो दर्जन से अधिक गाँव डूबने लगे तो जेसीबी से नाले के पास किये गए निर्माण को तोड़वा दिया था।
सई नदी की धारा रोककर बनाई जा गई थी,अस्थाई सड़क
बेल्हा देवी पुल के बगल सई नदी की धारा रोककर अस्थाई सड़क बनाई जा रही है। जेसीबी से मिट्टी व ईंट डालकर पानी का बहाव रोकने का प्रयास कर रहे मजदूरों के मुताबिक जगदीशपुर (सुलतानपुर) स्थित फर्टिलाइजर बनाने वाले कंपनी की कोई भार-भरकम मशीन कोलकाता से आई थी। इसके लिए अस्थाई सड़क बनाई गयी थी। सई नदी की धारा रोककर सड़क बना रहे जेसीबी चालक ने बताया कि उक्त मशीन का वजन इतना अधिक है कि यदि उसे पुल से गुजारा गया तो वह टूट सकता था। ऐसे में नदी पाटकर अस्थाई रास्ता बनाया गया। जेसीबी चालक ने बताया था कि कोलकाता से आ रही मशीन जिस ट्रेलर पर होगी उसमें हजारों चक्के हैं। उसके शहर में प्रवेश करने से पहले आम ट्रैफिक रोक दिया जाएगा। उक्त ट्रेलर गुजरने के बाद आम ट्रैफिक फिर से बहाल कर दिया जाएगा। फिलहाल सई नदी की धारा रोककर बनाई जा रही सड़क शहर में कौतूहल का विषय बनी रही। उधर से गुजरने वाला हर शख्स रुककर थोड़ी देर जानकारी करने का प्रयास करता था, लेकिन कोई खास जानकारी नहीं होने पर लोग आगे बढ़ जाते थे। इस बात से भी जिला प्रशासन अनभिज्ञ था। प्रतापगढ़ का जिला प्रशासन गाँधी के तीन बंदर के समान है।