विधान परिषद चुनाव-2022 के मतदान से पहले ही सत्ताधारी दल भाजपा के उम्मीदवार हरि प्रताप सिंह की बत्ती हुई गुल,चुनावी मैदान में रेस से हो गए बाहर, सपा और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक उम्मीदवारों के बीच होगा मुकबला
प्रतापगढ़ में विधान परिषद चुनाव की सरगर्मियां के बीच कल दिनांक-09/04/2022 को सुबह 8 बजे से मतदान होना है, प्रतापगढ़ में बीजेपी ने 20 साल से अधिक समय से नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाए हरि प्रताप सिंह (पूर्व विधायक) पर दांव लगाया है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल सपा ने जिला पंचायत सदस्य विजय यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि प्रतापगढ़ से चार बार एमएलसी पद पर निर्वाचित होने वाले अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” इस बार जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से प्रत्याशी हैं…
जिले में विधान परिषद चुनाव- 2022 के चुनाव में कुल छः प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। चुनाव में पहले ऐसा लग रह था कि लड़ाई त्रिकोणीय होगी और मुकबला दिलचस्प होगा, परन्तु चुनाव की तिथि नजदीक आते-आते भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह सत्ता की हनक दिखाना शुरू किये और जिले में तैनात डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के अधिकारियों के ऊपर दबाव डालकर पंचायत प्रतिनिधियों को भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह के पक्ष में मतदान करने के लिए बेजा दबाव डलवाने का कार्य किया गया। जिसकी शिकायत सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” एवं निर्दलीय उम्मीदवार डॉ के एन ओझा ने चुनाव आयोग से की है, परन्तु अभी तक चुनाव आयोग उस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। एमएलसी चुनाव में निवर्तमान एमएलसी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल” के सामने कड़ी चुनौती है।
इस चुनाव में भाजपा ने 20 साल से अधिक समय से नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाए हरि प्रताप सिंह (पूर्व विधायक) पर दांव लगाया है जो कि पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र प्रताप “मोती सिंह” के चचेरे भाई हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिला पंचायत सदस्य विजय यादव पर भरोसा जताते हुए एमएलसी पद के लिए अपना प्रत्याशी बनाकर इस बार राजा भईया के सामने एमएलसी चुनाव को भी दिलचस्प बना दिया है। राजा भईया और सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव के बीच अनबन के चलते दोनों की राहें जुदा हो चुकी हैं। वर्ष-2016 के एमएलसी चुनाव में सपा से अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” निर्विरोध एमएलसी पद पर निर्वाचित हुए थे। परन्तु इस बार राजा भईया और सपा सुप्रीमों से वैचारिक मतभेद उत्पन्न होने की वजह से सपा ने भी अपना उम्मीदवार पिछड़ी जाति से जिला पंचायत सदस्य विजय यादव को उतारा है। पट्टी और रानीगंज विधानसभा में भाजपा से विधायकी छीनकर सपा का सीना चौड़ा है और वह अपने दोनों विधायकों के नेतृत्व में सपा उम्मीदवार विजय यादव को एमएलसी पद का चुनाव जिताने का दंभ भर रही है। ऐसे में राजा भईया स्वयं एमएलसी चुनाव में जनप्रतिनिधियों से सीधे सम्पर्क कर रहे हैं।
प्रतापगढ़ का एमएलसी चुनाव इस बार शुरू से ही दिलचस्प हो गया था। नामांकन के बाद एमपी/एमएलए कोर्ट ने अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” पर 15 मार्च को आरोप तय किए थे। 22 मार्च को 7 साल की सजा सुनाई गई, इसके बाद अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” जेल भेज दिए गये। ऐसे में अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” की पत्नी मधुरिमा सिंह के साथ ही जनसत्ता दल के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश नाथ ओझा भी बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर आये। हालांकि 23 तारीख को गोपाल जी के खिलाफ 7 साल की सजा और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा में अपीलीय कोर्ट ने स्थगनादेश देते हुए उनकी जमानत मंजूर कर ली और वो जेल से रिहा हो गए। इस तरह भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह के लाख चाहने के बावजूद अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” का नामांकन न तो निरस्त हुआ और न ही वो चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हुए। गोपाल जी के चुनाव मैदान में डटे रहने से भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह की चकौती गुल रही। भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह के पास सिर्फ और सिर्फ धन बल और सत्तापक्ष का दबाव ही एमएलसी चुनाव में जीत के लिए एक मात्र सहारा बचा हुआ है।
जिले में कुल 2815 मतदाता है। यहां धनबल और बाहुबल में अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” अव्वल माने जाते हैं। वहीं सत्तापक्ष भाजपा के प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह बाहुबली तो नहीं हैं, परन्तु धनबल में वह भी कम नहीं हैं। जातीय समीकरण के हिसाब से समाजवादी के विजय यादव भी कमजोर नजर नहीं आ रहा हैं। अब देखना है कि इस बार एमएलसी पद पर किसके सिर ताज बंधता है ? अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” के प्रति पंचायत प्रतिनिधियों में अलग दर्जा प्राप्त है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि वर्ष-1998 से आज तक गोपाल जी ने पंचायत प्रतिनिधियों के मान सम्मान के लिए जो संघर्ष किया है वह अन्य किसी नेता ने नहीं किया है। इसलिए पंचायत प्रतिनिधियों के दिलोदिमाग में सिर्फ और सिर्फ गोपाल जी ही बसते हैं। पंचायत प्रतिनिधियों की पहली पसंद बने गोपाल जी आज भी सबसे अधिक पसंदीदा एमएलसी पद के उम्मीदवार बने हुए हैं। परन्तु रणभूमि में विजय जब तक न हो जाये तब तक किसी के पक्ष में परिणाम की घोषणा नहीं की जा सकती। पंचायत प्रतिनिधियों में अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” के दिलोदिमाग में यह सन्देश देने में कामयाब रहे कि उनको पहले चुनाव लड़ने से रोकने की सारी गणित की गई और उसमें असफल होने पर सत्ता पक्ष का दबाव डालकर उन्हें चुनाव में शिकस्त देने की रणनीति जिला प्रशासन अपना रहा है। यह बात पंचायत प्रतिनिधियों को नागवार लगी जो एमएलसी चुनाव में गोपाल जी के लिए सबसे फायदेमंद रही।