खुलासा इंडिया की खबर का हुआ असर, महीनों बाद टूटी निंद्रा, अब जाकर नगरपालिका अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह के अवैध निर्माण पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही कर एसडीएम साहेब बचाना चाहते हैं, अपना दामन
क्या वास्तव में नगरपालिका अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह के अवैध निर्माण पर बाबा योगी आदित्यनाथ जी का बुलडोजर चलेगा या एसडीएम सदर उदय भान सिंह का आदेश महज छलावा साबित होगा…???
प्रतापगढ़। नियत प्राधिकारी/उप जिला मजिस्ट्रेट सदर विनियमित क्षेत्र प्रतापगढ़ ने वाद संख्या- 838/2023 के क्रम में नगरपालिका अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह के उस भवन को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया जो सई नदी की तलहटी में बन रहा है। पाँचों तहसीलों में सदर तहसील के सबसे चर्चित एसडीएम उदय भान सिंह की कारस्तानी के चर्चे इनदिनों शहर से लेकर देहात तक हो रहे हैं। चाहे अदालती कार्यवाही का मामला रहा हो अथवा प्लाटिंग को मनमाने ढंग से अवैध करार कर उस पर बुलडोजर चलने का मामला रहा हो ! उत्तर प्रदेश निर्माण कार्य विनियमन अधिनियम-1958 की धारा-10 के तहत बिना अवसर दिए प्लाटिंग को अवैध करार देते हुए उसे ध्वस्त कर वाहवाही लूटने वाले एसडीएम सदर जब नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह की अवैध कामर्शियल बिल्डिंग को ध्वस्त करने की बारी आई तो पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी हुई, फिर 23 जनवरी, 2024 को एक षड्यंत्र के तहत एसडीएम सदर उदय भान सिंह आदेश निर्गत करते हैं और उस आदेश को पढ़कर एसडीएम सदर की काबिलियत देखते ही बन रही थी।
नियत प्राधिकारी/उप जिला मजिस्ट्रेट सदर विनियमित क्षेत्र प्रतापगढ़ ने अपने आदेश दिनांक- 23/01/2023 में लिखा कि गाटा संख्या- 2255 व 2256/4 में राजस्व ग्राम रंजीतपुर चिलबिला, सदर, प्रतापगढ़ का मानचित्र दाखिल किया गया था, जिस पर विनियमित क्षेत्र कार्यालय ने अनापत्ति आख्या हेतु सहयुक्त नियोजक, संभागीय नियोजन खंड, प्रयागराज को प्रेषित किया गया सहयुक्त नियोजक द्वारा परीक्षणोंपरान्त भवन मानचित्र पर आपत्ति अंकित करते हुए इसे वापस कर दिया गया। अधोहस्ताक्षरी द्वारा सम्यक अभिलेखों का परीक्षणोंपरान्त दिनांक- 23/01/2023 को आदेश पारित करते हुए गाटा संख्या- 2256 व 2256/4 क्षेत्रफल- 1691.30 वर्गमीटर भूमि पर बिना मानचित्र स्वीकृत कराये अवैध को ध्वस्त करने हेतु आदेश प्रसारित किया गया। झूठ के सौदागर नगरपालिका अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह के एक और झूठ का भांडा फूट चुका है। एसडीएम सदर उदय भान सिंह बकायदा आदेश निर्गत कर कह रहे हैं कि नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह बिना मानचित्र स्वीकृत कराये ही निर्माण कार्य किया है जो अवैध है और उसे ध्वस्त करने के लिए आदेश भी निर्गत किया है।
मजेदार बात यह रही है कि एसडीएम साहेब अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया है कि कालांतर में हरि प्रताप सिंह द्वारा दिनांक रहित एक प्रार्थना पत्र जिसके साथ रजिस्ट्री की छायाप्रति संलग्न की गई है, प्रस्तुत किया गया है। जिसमें ये उल्लेखित किया गया है कि उक्त निर्माण गाटा संख्या- 17 पटखौली में किया गया है। संदिग्ध मानचित्र में अंकित गाटा ग्राम रंजीतपुर चिलबिला स्वयं प्रताप सिंह द्वारा दिया गया था। क्षेत्रीय लेखपाल से मौके की आख्या मय नजरी-नक्शा आहूत की गयी। क्षेत्रीय लेखपाल ने अपनी आख्या में लिखा है कि प्रश्नगत निर्माण एवं चहरदीवारी गाटा संख्या-16 एवं 17 राजस्व ग्राम पटखौली में निर्मित है। निर्माण के दौरान मुख्यमंत्री एल्प लाइन IGRS पर शिकायत की गई और उसके निस्तारण में आख्या लगाई गई कि मौके पर निर्माण नहीं हो रहा है तो आखिर निर्माण कैसे हो गया, जो अब ध्वस्तीकरण की कार्यवाही के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। कहीं न कहीं हरि प्रताप सिंह को अवैध निर्माण करने की पहले छूट दी गई और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही करने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
किसी भी न्यायिक आदेश में लिखा जाता है कि पत्रावली का अवलोकन एवं परिशीलन किया गया। अभिलेखों का सम्यक परीक्षण किया गया। आदेश दिनांक 23/01/2024 में इस हद तक संशोधन किया जाता है कि गाटा संख्या-2256 व 2256/4 क्षेत्रफल- 1691.30 वर्गमीटर के स्थान पर गाटा संख्या-16 एवं 17 व रकबा- 1691.30 वर्गमीटर संशोधित किया जाता है। ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पूर्व नियत समय एवं तिथि पर की जायेगी। आदेश की प्रति हरि प्रताप सिंह को विशेष पत्रवाहक से तामीला करायी जाय। वाद आवश्यक कार्यवाही पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाय। यक्ष प्रश्न यह है कि एसडीएम सदर उदय भान सिंह द्वारा मूल आदेश दिनांक- 23/01/2023 करते समय क्या पत्रावली का अवलोकन एवं परिशीलन नहीं किया गया था ? उक्त आदेश में भी तो यही लिखा गया है कि अभिलेखों का सम्यक परीक्षण किया गया। फिर ऐसा दोषपूर्ण आदेश कैसे निर्गत हुआ ? खुलासा इंडिया के एडिटर इन चीफ रमेश तिवारी “राज़दार” जब आदेश दिनांक 23/01/2024 देखा तो उसे देखते ही सन्न रह गए। निर्गत आदेश में इतनी कमियां थी कि उस आदेश को संशोधित करना पड़ा।