उत्तर प्रदेश में बड़े बदलाव की तैयारी में भाजपा, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी सुनील बंसल का भी हटना तय
प्रदेश भाजपा के मौजूदा महासचिव (संगठन) सुनील बंसल की जगह जल्द ही कोई नया चेहरा आने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बंसल को ओडिशा या दिल्ली में भाजपा संगठन में स्थानांतरित करना चाहता है और यूपी में अपना विकल्प खोजने की प्रक्रिया में है। सूत्रों ने कहा कि बंसल ने खुद ही यूपी पार्टी इकाई से शिफ्ट करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव साल 2017 में प्रदेश प्रभारी ओपी माथुर हुआ करते थे, परन्तु विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भाजपा में महासचिव (संगठन) के पद सुनील बंसल का प्रभाव इतना बढ़ा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के हर कार्य में अडंगेबाजी लगाना और उनके समतुल्य निर्णय लिए जाने लगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने इस पर आपत्ति भी जताई थी। विधानसभा चुनाव-2022 में योगी के चेहरे पर प्रदेश में पुनः भाजपा सरकार की वापसी हुई, तभी से यह कयास लगाया जाने लगा कि प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ महासचिव (संगठन) के पद से सुनील बंसल का भी जाना सुनिश्चित है।
गौरतलब है कि भाजपा में महासचिव (संगठन) के पद के लिए कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है, लेकिन हाल के यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी की उल्लेखनीय जीत के बावजूद आरएसएस अपने मौजूदा पदाधिकारी को बदलने जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि कुछ दिनों में भाजपा अपने नए यूपी अध्यक्ष की घोषणा करेगी जिसके बाद आरएसएस नए महासचिव (संगठन) की नियुक्ति करेगा। किसी भी भाजपा इकाई में महासचिव (संगठन) या संगठन महामंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि वे पार्टी में आरएसएस द्वारा नियुक्त होते हैं। उन्हें आरएसएस और भाजपा के बीच की कड़ी के रूप में कार्य करना अनिवार्य होता है। यदि भाजपा किसी भी राज्य में सत्ता में है तो पार्टी महासचिव (संगठन) को पार्टी-सरकार के कोर ग्रुप का हिस्सा होने के दौरान आरएसएस और सरकार के बीच एक संचारक की महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और बंसल के बीच ठंडे समीकरण का जिक्र करते हुए भाजपा के एक नेता ने कहा, “दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से संवाद सुचारू नहीं रहा है। इसलिए परिवर्तन की आवश्यकता है।” बंसल को साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के शीर्ष नेता और वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सहायता के लिए यूपी इकाई में लाया गया था। इससे पहले वह आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी के प्रचारक थे। शाह के करीबी माने जाने वाले बंसल ने साल 2014 में राज्य की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर और साल 2017 में विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और खुद को साबित किया। इसके बाद भाजपा ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद के महागठबंधन को हराकर जीत हासिल की। इसने साल 2022 के विधानसभा चुनाव जीतकर राज्य में भी सत्ता बरकरार रखी। इस बीच पार्टी ने राज्य में राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में भी जीत हासिल की।
मौजूदा यूपी बीजेपी प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह को आदित्यनाथ कैबिनेट में जल शक्ति मंत्री के रूप में शामिल किए जाने के साथ पार्टी आगामी निकाय चुनावों और इसके मतदाता आउटरीच कार्यक्रमों पर नजर रखने के साथ अपने संगठनात्मक पद को भरने जा रही है। ‘एक आदमी, एक पद’ की नीति पर कायम रहते हुए पार्टी नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में है। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में कुछ बैठकें दिल्ली में हो चुकी हैं। भाजपा के एक नेता ने कहा, “जिला इकाइयों में आयोजित प्रशिक्षण शिविर जल्द ही समाप्त होने जा रहे हैं। इसी तरह जल्द ही सूक्ष्म दान अभियान का समापन होने जा रहा है। लेकिन पार्टी ने अभी तक कोई नई गतिविधि की योजना नहीं बनाई है। शायद इसलिए कि पार्टी को संगठनात्मक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष और महासचिव (संगठन) की जरूरत है।” इन शीर्ष पदों पर नए चेहरों की नियुक्ति के साथ ही यूपी बीजेपी की नई कार्यकारिणी का भी गठन किया जाएगा।