माफिया अतीक और अशरफ हत्याकांड में नौ महीने चली जांच, एसआईटी ने शासन को सौंपी रिपोर्ट
प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए बने आयोग ने जांच के लिए लगभग नौ महीने का समय लिया। इस दौरान हत्याकांड के चश्मदीदों समेत सैकड़ों लोगों से पूछताछ की गई। चश्मदीद रहे मीडियाकर्मियों, पुलिस वालों और मेडिकल स्टाफ के बयान भी आयोग ने लिए। चर्चित इस दोहरे हत्याकांड के बाद बने तीन सदस्यीय आयोग को 20 दिन के अंदर पांच सदस्यीय बना दिया गया था। टीम के सदस्य इस दौरान कई बार प्रयागराज आए और घटनास्थल समेत हत्याकांड से संबंधित स्थलों के चप्पे चप्पे की जांच की। 15 अप्रैल की रात अतीक और अशरफ की उस वक्त हत्या कर दी गई थी जब दोनों को पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान कॉल्विन अस्पताल में जांच के लिए लाया गया था। अस्पताल गेट पर ही मीडियाकर्मियों के बीच में छिपे सनी, लवलेश और अरुण ने दोनों को गोलियों से भून दिया था। दोहरे हत्याकांड के बाद शासन ने 17 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी की अध्यक्षता में जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बना दिया था। आयोग में पूर्व डीजी इंटेलिजेंस सुबेश कुमार सिंह और पूर्व जिला न्यायधीश बृजेश कुमार सोनी भी शामिल थे। आयोग ने जांच भी शुरू कर दी थी। घटनास्थल की जांच के साथ-साथ पूछताछ भी शुरू कर दी गई थी।
घटना स्थल का किया गया था सीन रिक्रियेट…
हत्याकांड के बाद एक महीने में किए तीन दौरे…
अतीक और अशरफ की हत्या के बाद 17 अप्रैल को गठित आयोग ने अगले महीने यानी 16 मई तक तीन दौरे किए थे। इनमें पहला दौरा 20 अप्रैल को और दूसरा दौरा पांच मई को हुआ था। 20 अप्रैल और पांच मई को आयोग के तीन सदस्यों ने जांच की थी थी। इस दौरान सीन रीक्रिएशन के साथ साथ हत्याकांड से संबंधित एफआईआर तथा अन्य डाक्यूमेंट पुलिस से लिए गए थे। एमएनएनआईटी के विशेषज्ञों द्वारा सीएसटी मशीन से घटनास्थल की माप कराई गई जिससे घटनास्थल के एरिया के बारे में सटीक तौर पर पता चल सके। सात मई को आयोग में पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति दिलीप बाबा साहब भोंसले और पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह के जुड़ने के बाद पांच सदस्यीय टीम तीसरे दौरे पर प्रयागराज आई। चार दिनों तक निरीक्षण, पूछताछ और तथ्यों को एकत्र किया जाता रहा। 16 मई को टीम वापस गई। इसके बाद कई बार गवाहों के बयान के लिए आयोग के सदस्य प्रयागराज आए।