पिट्ठू बैग टांगकर नौकरी पर पहुंचने वाले आईपीएस अफसर का 8 साल में 18 बार हुआ तबादला

लखनऊ। तेज तर्रार आईपीएस प्रभाकर चौधरी का एक फिर तबादला कर दिया गया है। रविवार को बरेली में गैर-पारंपरिक रास्ते से कांवड़ यात्रा निकलने को लेकर शुरू हुए विवाद में उपद्रव बढ़ा और कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने लगी तो एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने स्थिति संभालने के लिए कांवड़ियों पर लाठी चार्ज करवा दिया। चार घंटे में ही प्रभाकर चौधरी के तबादले का आदेश आ गया। प्रभाकर चौधरी को बरेली से हटाकर 32वीं वाहिनी पीएसी में सेनानायक बना दिया गया। 2010 बैच के प्रभाकर चौधरी के लिए तबादला कोई नई बात नहीं है। बीते 8 साल में 15 जिलों में कप्तान रह चुके प्रभाकर चौधरी का 18 बार तबादला हुआ। कमांडो ट्रेड प्रभाकर चौधरी का क्यों हो जाता है तबादला।

प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अफसर हैं और अंबेडकरनगर के रहने वाले हैं। बेसिक ट्रेनिंग खत्म करने के बाद प्रभाकर चौधरी ने बतौर अंडरट्रेनिंग एएसपी नोएडा में जॉइन किया था। इसके बाद प्रभाकर चौधरी को एएसपी के पद पर आगरा, जौनपुर और फिर वाराणसी भेजा गया। कानपुर नगर के एसपी सिटी भी रहे। प्रभाकर चौधरी की पहली पोस्टिंग यूपी के आखिरी छोर पर बसे जिले ललितपुर में हुई थी। जनवरी 2015 में ललितपुर जिले का एसपी बनाया गया और 11 महीने ललितपुर के एसपी रहे।

ललितपुर से हटाने के बाद प्रभाकर चौधरी की इंटेलिजेंस मुख्यालय में पोस्टिंग हुई। 13 जनवरी 2016 को देवरिया के एसपी बने। प्रभाकर चौधरी यहां 18 अगस्त 2016 तक रहे। देवरिया के बाद प्रभाकर चौधरी बलिया के एसपी बने। यहां दो महीने ही रुके। बलिया के बाद प्रभाकर चौधरी को कानपुर देहात का एसपी बने। उत्तर प्रदेश सत्ता बदली और भाजपा सत्ता में आई। 28 अप्रैल 2017 को प्रभाकर चौधरी का कानपुर देहात से 5 महीने में तबादला कर दिया गया और एटीएस भेज दिया गया। 23 सितंबर 2017 तक प्रभाकर चौधरी यूपी एटीएस में तैनात रहे। 24 सितंबर 2017 को प्रभाकर चौधरी बिजनौर जिले के एसपी बने। बिजनौर में भी 6 महीने पूरे नहीं कर पाए और 19 मार्च 2017 को बिजनौर से हटा दिया गया।

मथुरा में अपराधियों की कसी नकेल

बिजनौर से तबादला होने के 3 दिन बाद प्रभाकर चौधरी मथुरा जिले के कप्तान बने। मथुरा में कई पुरानी लूट की घटनाओं का खुलासा हुआ। प्रभाकर चौधरी ने बड़े चांदी व्यापारियों के अवैध धंधों पर नकेल कसी। प्रभाकर चौधरी की मथुरा के स्थानीय नेताओं से नहीं बनी और 3 महीने में ही तबादला कर दिया गया। मथुरा के बाद 30 जून 2018 को प्रभाकर चौधरी सीतापुर के एसपी बने, लेकिन 6 महीने पूरा होने से पहले ही 8 दिसंबर 2018 को तबादला कर दिया गया। प्रभाकर चौधरी के कार्यकाल में सीतापुर में एक मामूली विवाद थाने में घुसकर वकीलों ने उपद्रव मचाया था। पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की गई तो सीतापुर के बार अध्यक्ष के ऊपर लूट का केस लिखवाकर जेल भेजा गया था। सीतापुर के बाद प्रभाकर चौधरी को बुलंदशहर भेजा गया। 9 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के एसपी बने, लेकिन 2 महीने बाद 20 फरवरी 2019 को उन्हें हटा दिया गया और एसपी जीआरपी झांसी बनाया गया।

प्रभाकर चौधरी जीआरपी में थे कि तभी सोनभद्र में उंभा कांड हो गया। जमीन कब्जे के पुराने विवाद में पुलिस और पब्लिक के बीच पथराव और फायरिंग हो गई। कानून व्यवस्था बिगड़ने लगी तो सरकार ने आनन-फानन में प्रभाकर चौधरी को 4 अगस्त 2019 के दिन सोनभद्र का एसपी बनाया, लेकिन 2 महीने बाद 31 अक्टूबर 2019 को सोनभद्र से हटाकर प्रभाकर चौधरी को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का एसएसपी बनाया गया। 7 जुलाई 2020 को प्रभाकर चौधरी को मुरादाबाद के कप्तान बने। मुरादाबाद में प्रभाकर चौधरी 9 महीने ही कप्तान रहे और 14 जून 2021 को मेरठ के एसएसपी बने।

मेरठ में रुके एक साल

प्रभाकर चौधरी के 8 साल की कप्तानी के करियर में उनका 18 तबादला हुआ, जिसमें 15 जिलों के कप्तान रहे,लेकिन मेरठ एक अकेला जिला है जहां पर प्रभाकर चौधरी 1 साल तक एसएसपी रहे। 25 जून 2022 तक मेरठ के एस‌एसपी रहे प्रभाकर चौधरी को आगरा की कमान मिली, लेकिन आगरा में भी 5 महीने रुक पाए और 28 नवंबर 2022 को हटा दिए गए।आगरा से प्रभाकर चौधरी पीएसी सीतापुर भेजा ग‌ए। 12 मार्च 2023 को प्रभाकर चौधरी बरेली के न‌ए एसएसपी बने,लेकिन बरेली में भी प्रभाकर चौधरी 4 महीने तक ही रह पाए और 30 जुलाई 2023 को प्रभाकर चौधरी को 32वीं वाहिनी लखनऊ का सेनानायक बना दिया गया। ट्रेनिंग के कार्यकाल को हटा दें तो जनवरी 2015 से जुलाई 2023 यानी कुल 8 साल के करियर में प्रभाकर चौधरी का 18 बार तबादला किया गया, जिसमें 15 जिलों के कप्तानी भी शामिल है।

प्रभाकर ने मनवाया अपने काम का लोहा

झांसी जीआरपी में एसपी के बंगले के अवैध कब्जे का मामला हो, सोनभद्र का उम्भा कांड हो, सीतापुर में वकीलों का उपद्रव हो, मथुरा में स्थानीय नेता से गतिरोध या फिर अब बरेली में कावड़ियों के उपद्रव को रोकने की कोशिश, प्रभाकर चौधरी ने हमेशा जिले की कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया। चाहे वह अपराधी हो या कोई बड़ा सत्ताधारी दल का नेता, अपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस पर काम करने वाले प्रभाकर चौधरी की गिनती जनता की सुनवाई पर त्वरित कार्रवाई, अच्छा काम करने वाले पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई और पुलिस के साथ बदसुलूकी करने वालों को कानून की ताकत का एहसास कराने वाले अधिकारियों में होती है।

प्रभाकर पिट्ठू बैग लेकर पहुंचे थे जॉइन करने जाॉब

एन‌एसजी कमांडो की ट्रेनिंग कर चुके प्रभाकर चौधरी अपनी फिटनेस का बेहद ख्याल रखते हैं। सपा सरकार ने प्रभाकर चौधरी को अक्टूबर 2016 में कानपुर देहात का एसपी बनाया तो वह स्टूडेंट की तरह एक पिट्ठू बैग लेकर जॉइन करने पहुंचे।उन्होंने एक बार फरियादी की तरह थाने में पहुंचकर साइकिल चोरी की एफआईआर लिखाने की कोशिश की और कोई पुलिसकर्मी पहचान तक नहीं पाया। कानपुर देहात में ट्रेन हादसा हुआ तो प्रभाकर चौधरी खुद ही हाई मास्क लाइट लगाने पोल खड़ा कराने लगे थे।एंबुलेंस के न पहुंचने पर अपनी गाड़ी से कई घायलों को अस्पताल भेजा। रातभर राहत कार्य की खुद मॉनिटरिंग करते रहे।वाराणसी में कप्तान रहे तो प्रभाकर चौधरी काशी की तंग गलियों में साइकिल से निकलकर लोगों के बीच चाय पीते और लोगों का फीडबैक लेते। यही वजह है कि प्रभाकर चौधरी वाराणसी में महज 8 महीने के अंदर बेहद लोकप्रिय कप्तान हो गए थे।

सीबीआई में जाना तय

प्रभाकर चौधरी का सेंट्रल डेपुटेशन में सीबीआई में जाना तय है। सीबीआई की ओर से 4 बार रिलीव करने का रिमाइंडर दिया जा चुका है, लेकिन सरकार ने रिलीव नहीं किया। अब माना जा रहा है कि बरेली से हटाने के बाद प्रभाकर चौधरी को सरकार रिलीव कर देगी और वह जल्द सीबीआई जॉइन करेंगे।

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