माफिया मुख्तार की सरकार में वो हनक, जेल से निकला पहुंचा डीजी ऑफिस,आईपीएस अफसरों ने किया वेलकम, आईजी को दे दी लिस्ट
लखनऊ।आए दिन अखबारों और टीवी चैनल में खबरें रहती हैं कि जरायम की दुनिया बेताब बादशाह माफिया मुख्तार अंसारी टूट गया है,योगी सरकार ने मुख्तार की कमर तोड़ दी है, बड़े-बड़े मुकदमे चल रहे हैं,जो फाइलें बंद थी वो खोल दी गई है, इनकम टैक्स,सीबीआई,उत्तर प्रदेश पुलिस तमाम तरह की जांच कर रहे हैं। कई केस ऐसे हैं,जिसमें मुख्तार को सजा हो चुकी है और वह जेल में रहा है।आपको बता देते हैं कि वही मुख्तार है जब जेल से लेकर कचहरी तक आगे पीछे मुख्तार के काफिले की गाड़ियां गिनते-गिनते लोग थक जाते थे। एक किस्सा यह भी है कि मुख्तार किसी पेशी के लिए कचहरी नहीं बल्कि इलाज के बहाने अस्पताल पहुंचा था।
साल 2000 में उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश में मायावती शासन का डंका बजता था। माफिया मुख्तार अंसारी लखनऊ की जेल में बंद था और सोने पर सुहागा ये कि मुख्तार बहुजन समाज पार्टी का विधायक था।जेल से कचहरी या यूं कहें कि पूरे यूपी में मुख्तार का डंका बजता था। इसी दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे पुलिस प्रशासन को हैरान कर दिया। दरअसल मुख्तार ने जेल से इलाज के बहाने निकलकर लखनऊ के केजीएमयू जाना था। हर बार की तरह मुख्तार पूरे लाव-लश्कर एंबुलेंस को साथ लेकर अस्पताल पहुंच गया। यहां यार दोस्तों से मुलाकात हुई।
केजीएमयू पहुंचे मुख्तार को अब जेल वापस जाना था, लेकिन मुख्तार की 20 से ज्यादा कारों का काफिला लखनऊ के डीजीपी दफ्तर की ओर मुड़ गया। गाड़ियों का काफिला डीजीपी ऑफिस के गेट पर रुका और मुख्तार अपने दर्जनों साथियों के साथ डीजीपी ऑफिस में घुस गया। यहां तक कि जेल का कैदी था इसके बावजूद एसपी और डीआईजी रैंक के अफसर मुख्तार को रिसीव करने पहुंचे थे। डीजीपी के दफ्तरी गेट पर किसी भी सुरक्षाकर्मी ने किसी भी तरह की रोकटोक या रजिस्टर में एंट्री तक की जहमत नहीं उठाई। इतना ही नहीं मुख्तार ने आईजी कार्मिक को 250 अपने चहेते पुलिस वालों की तबादला लिस्ट सौंप दी।
इसे एक इत्तेफाक ही कहेंगे कि ठीक इसी वक्त लखनऊ के एक टीवी पत्रकार भी डीजी दफ्तर पहुंच गए। उनके कैमरे ने मुख्तार की तस्वीरें भी कैद कर लीं। बताया जाता है कि मुख्तार ने पत्रकार को भी अपने अंदाज में धमकी दी। मुख्तार पत्रकार से बोला दिखा दोगे तो क्या होगा,नही दिखाओगे तो क्या बिगड़ जाएगा,जांच अफसर ही करेंगे ना। हैरानी की बात ये है कि मुख्तार का काफिला यहीं नहीं रुका। वो पूरे लाव लशकर के साथ डीजी दफ्तर से सीधे दारुलशफा पहुंच गया। अब शाम होने को थी लिहाजा डॉन की 786 नंबरों की सफारी कारों का काफिला वापस जेल की तरफ रवाना हो गया।