समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की यूपी विधानसभा से सदस्यता की गई रद्द, चुनाव आयोग को भेजा गया आदेश
रामपुर। समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मोहम्मद आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा से सदस्यता रद्द कर दी गई है। आजम खान को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को 3 वर्ष की सजा सुनाई थी। आजम खान के खिलाफ चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने का मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसमें पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। गुरुवार को अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए 3 वर्ष का कारावास सुनाया। हालांकि, व्यवस्था होने के चलते उन्हें हाथों-हाथ जमानत दे दी गई। अब शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर सतीश महाना ने मोहम्मद आजम खान की सदस्यता रद्द कर दी है। अदालत के फैसले की कॉपी विधानसभा पहुंच मोहम्मद आजम खान के खिलाफ गुरुवार को रामपुर की अदालत का फैसला आया है। शुक्रवार को फैसले की कॉपी उत्तर प्रदेश विधानसभा को मिली। अदालत का फैसला मिलते ही स्पीकर सतीश महाना ने आजम खान की सदस्यता रद्द कर दी है। दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को 2 वर्ष या इससे अधिक वक्त का कारावास हो जाता है तो उसे तत्काल प्रभाव से पद के लिए अयोग्य मान लिया जाता है। ‘लिली थॉमस बनाम भारत सरकार’ मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 को यह व्यवस्था कायम की थी।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) के तहत सांसदों और विधायकों को सजा होने पर 3 महीने में अपील दायर करने का वक्त भी खत्म कर दिया था। लिहाजा, गुरुवार को सजा होने के साथ ही मोहम्मद आजम खान उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य हो गए थे। चुनाव आयोग को सूचना भेजी गई, रामपुर विधानसभा क्षेत्र खाली उत्तर प्रदेश विधानसभा की ओर से मोहम्मद आजम खान को अयोग्य घोषित करने और उनकी सदस्यता रद्द कर देने से जुड़ा आदेश भारत निर्वाचन आयोग भेज दिया गया है। अब रामपुर विधानसभा क्षेत्र खाली है। लिहाजा, भारत निर्वाचन आयोग निर्धारित नियमों के तहत अगले 6 महीनों में रामपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव करवाएगा। दूसरी ओर मोहम्मद आजम खान के पास इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर करने का विकल्प बचा है। यह हो सकता है कि हाईकोर्ट उन्हें राहत दे दे, लेकिन फिलहाल वह उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य हैं। आपको यह भी बता दें कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ आने वाले सजा के फैसलों पर योग्यता बहाली के लिए हाईकोर्ट से राहत मिलने की संभावना लगभग नगण्य है।