एक लाख के इनामी मोस्ट वांटेड विनोद उपाध्याय को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया, एक थप्पड़ के बदले हत्या कर आया था चर्चे में

सुल्तानपुर में यूपी एसटीएफ के साथ हुए मुठभेड़ में गोरखपुर के मोस्टवांटेड अपराधी व शार्प शूटर विनोद उपाध्याय मारा गया। विनोद उपाध्याय पर एक लाख का इनाम घोषित था। उस पर 35 से अधिक गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। विनोद उपाध्याय कितना शातिर क्रिमिनल था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने पहली हत्या सिर्फ एक थप्पड़ के लिए की थी।तभी से वह चर्चा में आया था। वह यूपी सरकार की ओर से जारी टॉप-61 माफिया और बदमाशों की सूची में भी शामिल था।

सुल्तानपुर में तड़के 3.30 बजे हुआ एनकाउंटर…

यूपी STF चीफ अमिताभ यश ने बताया, “गुरुवार तड़के 3.30 बजे डिप्टी एसपी दीपक सिंह की टीम के साथ सुल्तानपुर में एनकाउंटर हुआ। देहात कोतवाली इलाके में हुई इस मुठभेड़ में विनोद उपाध्याय गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई”

टॉप 10 अपराधियों में था शामिल…

विनोद के पास से STF ने चाइनीज पिस्टल-30 बोर, स्टेन गन 9 एमएम फैक्ट्री मेड, जिंदा कारतूस और स्विफ्ट कार बरामद की है। योगी सरकार ने 68 वांटेड माफियाओं की लिस्ट जारी की थी, उसमें टॉप-10 में विनोद उपाध्याय का नाम भी था। विनोद का मुख्य काम रंगदारी, ठेकेदारी था। 24 मई साल-2023 को गोरखपुर में वकील प्रदीप श्रीवास्तव ने विनोद और उसके भाई संजय के खिलाफ रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कराया था।

अयोध्या का रहने वाला ‌था विनोद…

विनोद मूलरूप से अयोध्या के मया बाजार स्थित उपाध्याय का पुरवा का रहने वाला था। सितंबर साल-2023 में विनोद पर यूपी पुलिस ने एक लाख रका इनाम घोषित किया था। पहले 50 हजार का इनाम था।
साल-2005 में आया था चर्चा में…
साल-2004 में गोरखपुर जेल में बंद रहने के दौरान नेपाल के अपराधी जीत नारायण मिश्र ने विनोद को एक थप्पड़ मारा था, जिसके बाद 7 अगस्त साल-2005 को संतकबीर नगर में विनोद ने जीत नारायण की हत्या कर थप्पड़ का बदला लिया था। इस घटनाक्रम में जीत नारायण का बहनोई गोरेलाल भी मारा गया था। इसके अलावा गोरखपुर में हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुशील सिंह को अगवा कर पीटने का भी आरोप विनोद पर था। रेलवे, एफसीआई के ठेके हासिल करने के लिए सरेआम गुंडई भी उसने की थी।

बसपा के टिकट पर लड़ा था विधानसभा चुनाव…

जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद विनोद उपाध्याय ने साल-2007 में गोरखपुर शहर से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि उसे जीत नहीं मिली थी। इसके बाद साल-2007 में लखनऊ के हजरतगंज थाने में उसके ऊपर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ था। 41 साल की उम्र में विनोद के खिलाफ गोरखपुर समेत अन्य जिलों में 39 मुकदमे दर्ज थे। लेकिन, उसका दबदबा ऐसा था कि किसी भी मामले में अब तक उसे सजा नहीं हुई थी। गोरखपुर पुलिस सूत्रों ने बताया कि विनोद अपनी पत्नी और बेटी को लेकर फरार चल रहा था। चर्चा थी कि उसने बस्ती और महारागंज में सरेंडर का प्लान किया था। लेकिन, वह कर नहीं पाया था।
मई में विनोद पर पहला इनाम घोषित हुआ… दिसंबर में ढेर…
24 मई साल-2023 को गोरखपुर कैंट इलाके के दाउदपुर में रहने वाले कैंसर पीड़ित पूर्व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रवीण श्रीवास्तव ने गुलरिहा थाने में विनोद उपाध्याय, उसके भाई संजय, नौकर छोटू और दो अज्ञात के खिलाफ रंगदारी मांगने, तोड़फोड़ करने का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने नौकर छोटू को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। फरार चल रहे विनोद और उसके भाई पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। इसके बाद इनामी राशि 50 हजार, फिर 1 लाख की गई। कुछ महीनों पहले प्रदेश के DGP विजय कुमार ने प्रदेश के टॉप- 68 माफिया की लिस्ट में शामिल बदमाशों पर की गई कार्रवाई की समीक्षा की थी। इसमें प्रदेश के 9 बदमाशों पर प्रभावी कार्रवाई न होने पर DGP ने नाराजगी जताई थी। इसमें गोरखपुर से विनोद उपाध्याय का नाम भी शामिल था।

दूसरा सबसे बड़ा अपराधी था…

विनोद गोरखपुर जोन के 11 जिलों में दूसरा सबसे बड़ा इनामी अपराधी था। उस पर एक लाख का इनाम था। पहले नंबर पर राघवेंद्र यादव का नाम है। 4 लोगों की हत्या करने वाला झंगहा के सुगहा गांव का राघवेंद्र पर 2.50 लाख रुपए का इनाम घोषित है। वह साल साल-2016 से फरार चल रहा है।

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