नगरपालिका अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह का एक बार पुनः शुरू हो सकते हैं, बुरे दिन
पाप का घड़ा एकदिन अवश्य भरता है और नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह का भी पाप का घड़ा भरेगा और फूटेगा भी…
प्रतापगढ़। जनपद प्रतापगढ़ में सिर्फ एक नगरपालिका है और उस पर वर्ष-1995 से वर्ष-2000 तक नगरपालिका अध्यक्ष के पद पर हरि प्रताप सिंह निर्वाचित हुए और हरि प्रताप सिंह का दूसरा कार्यकाल वर्ष-2000 से वर्ष-2005 तक रहा। वर्ष-2005 में चुनाव नहीं हुआ तो सुपर सीट हुई और प्रशासक के पद पर एसडीएम सदर धंनजय शुक्ला तैनात किये गए। वर्ष-2006 में जब निकाय चुनाव हुआ तो तीसरी बार हरि प्रताप सिंह नगरपालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष-2009 में अपने पद से हरि प्रताप सिंह को हाथ धोना पड़ा था तो उस वक्त प्रशासक के पद पर एसडीएम सदर डॉ बिपिन मिश्र तैनात किये गए। विधान सभा- 2002 से वर्ष-2007 तक प्रतापगढ़ से विधायक निर्वाचित हुए और जमकर भ्रष्टाचार किया और अकूत दौलत अर्जित कर तानाशाह बन बैठा।
भाजपा ने जब हरि प्रताप सिंह को निकाय चुनाव वर्ष-2012 में टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर वह निर्दलीय चुनाव लड़ गए और अपने जुआड़ पद्धति से चौथी बार नगरपालिका अध्यक्ष बन गए। सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और हरि प्रताप सिंह निर्दलीय नगरपालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे, इसलिए वह प्रतापगढ़ से विधायक मुन्ना यादव से अपने सम्बन्ध को मधुर बनाये रखा और अपने खिलाफ भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता सहित पद के दुरूपयोग सम्बंधित प्रकरण को दबाए रखा। चूँकि बसपा कार्यकाल में हरि प्रताप सिंह और प्रतापगढ़ विधायक संजय त्रिपाठी के बीच ऐसा शीत युद्ध चला कि उन्हें वर्ष-2009 में अपने पद से हरि प्रताप सिंह को हाथ धोना पड़ा था और लगभग 10 माह तक पद से पदच्युत रहे। प्रकरण हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा और तब जाकर हरि प्रताप सिंह की बहाली हो सकी थी।
हरफन मौला हरि प्रताप सिंह वर्ष-2017 में पुनः भाजपा में वापस आकर अपनी पत्नी प्रेमलता सिंह को नगरपालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन कराने में सफल रहे। इस तरह पांचवीं बार नगरपालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर प्रेमलता सिंह भले ही सत्तारूढ़ रही, परन्तु सारे कार्य हरि प्रताप सिंह की करते रहे। वर्ष- 2023 में निकाय चुनाव में भाजपा ने हरि प्रताप सिंह को पुनः टिकट दिया और हरि प्रताप सिंह छठवीं बार नगरपालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इतने के बावजूद हरि प्रताप सिंह पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता सहित पद के दुरूपयोग सम्बंधित प्रकरण उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। हाईकोर्ट खंडपीठ लखनऊ से रिट याचिका दाखिल कर अभी तक हरि प्रताप सिंह बचते रहे, वह रिट याचिका संख्या-10250/2010 डिसमिस हो गयी और एक बार पुनः हरि प्रताप सिंह के बुरे दिन शुरू हो सकते हैं।