बांग्लादेशी नागरिक डॉ. रिजवान से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा, हर चैट के साथ खास पहेली बनी कोडिंग
कानपुर। बांग्लादेशी नागरिक डॉ. रिजवान अहमद को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय और शासन को भेज दी है। रिजवान के परिवार के मोबाइल, लैपटॉप, डेस्क टॉप पर मिले दस्तावेजों के साथ व्हॉट्सएप और इंस्टाग्राम के डिलीट की गई चैट से एजेंसियों को साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसके बावजूद एजेंसियां इस बात का पक्का संदेह जता रही हैं। एटीएस, एनआईए और आईबी के अफसरों ने डॉ. रिजवान और उसके ससुर खालिद माजिद से सोमवार को लगभग आठ घंटे पूछताछ की थी। एनआईए ने इसकी रिपोर्ट केंद्र और सुरक्षा एजेंसी रॉ को भी भेजी है। आर्यनगर से 11 दिसंबर को पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिक डॉ. रिजवान को पूछताछ के बाद सोमवार को रिजवान और उसके ससुर से पूछताछ के बाद पत्नी व बच्चों के साथ कोर्ट में पेश किया गया था। जहां से इन पांचों को जेल भेज दिया गया। अब पुलिस ने रिजवान की रिमांड लेने के लिए मंगलवार को कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।
रिमांड अर्जी में लिखा है कि डॉ. रिजवान से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। उन्हें पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड पर दिया जाए। पुलिस का दावा है कि अब तक की जांच में डॉ. रिजवान के पाकिस्तान कनेक्शन और कई देशों में यात्रा के संबंध में पुख्ता साक्ष्य मिले हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने बांग्लादेशी एंबेसी से भी संपर्क किया है। एंबेसी की मदद से रिजवान के पुराने संपर्कों को खंगाला जा रहा है। बांग्लादेश में वह क्या करता था, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। एजेंसियों ने दूतावास के जरिए रिजवान की रिपोर्ट मांगी है। सुरक्षा एजेंसियों ने जांच के दौरान डॉ. रिजवान मोहम्मद के सोशल मीडिया अकाउंट खंगाला तो व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम से मैसेज डिलीट मिले। वहीं कुछ विदेशियों से बातचीत के मैसेज एजेंसी के अधिकारियों को मिल गए हैं। पुलिस गंभीरता से इनकी जांच में जुटी है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक हर चैट में खास कोडिंग की गई है। इसके बारे में रिजवान ने अभी तक मुंह नहीं खोला है। ऐसे में डिलीटेड चैट और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से मिली कोडिंग पहेली बनी हुई है। एंजेसी के विशेषज्ञ कोडिंग को सुलझाने में लगे हैं।