तांत्रिक के कहने पर कलयुगी मां-बाप ने दे दी मासूम बेटी की बलि, सवा महीने की ही थी
मुजफ्फरनगर। माता-पिता ने तांत्रिक के बहकावे में आकर अपनी ही मासूम बेटी की बलि दे दी। बच्ची महज 37 दिन की थी। जन्म के बाद से वह बीमार चल रही थी। पड़ोसियों की सतर्कता से मां-बाप की इस घिनौनी हरकत का राज खुला। पुलिस ने मामले में तांत्रिक समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। तीनों ने अपना जुर्म भी स्वीकार कर लिया है। हालांकि बच्ची का शव अभी बरामद नहीं हो पाया है। आरोपियों के बार-बार बयान बदलने के कारण मुश्किल आ रही है।
भोपा थानाक्षेत्र के बेलड़ा गांव के रहने वाले गोपाल ने अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद परतापुर की ममता से दूसरी शादी की थी। ममता ने सवा माह पहले ही बच्ची को जन्म दिया था। बेटी का नाम उन्होंने शगुन रखा था। जन्म के बाद से ही बेटी बीमार चल रही थी। गोपाल और उसकी पत्नी ममता किसी तांत्रिक के संपर्क में थे। मंगलवार को दोनों शगुन को लेकर तांत्रिक के पास गए थे। वहां से दोनों घर लौट आए। इसके बाद उनके घर से बच्ची के रोने की आवाज नहीं आ रही थी। इस पर पड़ोसियों को शक होने लगा। उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दे दी।
पुलिस ने रात में पूरा जंगल छान मारा
पुलिस ने बुधवार को गोपाल और ममता को गिरफ्तार कर लिया. रात में दंपत्ति ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने शगुन की बलि दे दी है। तांत्रिक के बहकावे में आकर उन्होंने ऐसा किया। पुलिस ने तांत्रिक को भी पकड़ लिया। तीनों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। आरोपी माता-पिता की निशानदेही पर सीकरी और बेलड़ा के बीच के जंगल से बच्ची के कपड़े बरामद हो गए, लेकिन शव के बारे में पूछने पर तीनों पुलिस को घुमराह करते रहे। कभी कहते कि शव को गंगनहर में फेंक दिया है तो कभी बताते कि खेत में दफना दिया है। पुलिस ने पूरा जंगल छान मारा लेकिन लाश नहीं मिली।
सीओ बोले-जल्द होगा वारदात का खुलासा
पड़ोसियों के अनुसार तांत्रिक कई बार गोपाल के घर भी आता-जाता रहा है। भोपा सीओ डॉ. रवि शंकर ने रात 11 बजे मौके पर पहुंचकर छानबीन की। एसपी देहात आदित्य बंसल ने बताया बच्ची की बलि दिए जाने की बात सामने आई है। जांच कराई जा रही है। दोषी पर कार्रवाई होगी। जल्द ही वारदात का खुलासा किया जाएगा। शव की बरामदगी के लिए पुलिस प्रयासरत है। इसके लिए गांव वालों से भी जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं स्थानीय लोगों के अनुसार तांत्रिक ने परिवार से कहा था कि ममता के ऊपर कोई साया है। इससे निजात के लिए नर बलि देनी होगी। माता-पिता इसी बहकावे में आ गए।
हाथरस में भी सामने आया था ऐसा ही मामला
हाथरस के सहपऊ इलाके में गांव रासगवां में डीएल आवासीय पब्लिक स्कूल है। यहां पर चंदपा के गांव अल्हेपुर चुरसेन का 11 साल का बच्चा कृतार्थ कक्षा 2 में पढ़ता था। सभी बच्चे हॉस्टल में सोए थे। सुबह उठने पर कृतार्थ बेहोश पड़ा मिला। स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल बच्चे को कार से इलाज के बहाने कहीं ले जा रहे थे। परिजनों ने कार को घेरकर हंगामा करना शुरू कर दिया। पुलिस ने हॉस्टल संचालक को हिरासत में ले लिया। बच्चे की गर्दन पर निशान थे।
बाद में पुलिस को कई चौंकाने वाली जानकारी मिली। पता चला कि स्कूल प्रबंधक का पिता जशोधन सिंह स्कूल की तरक्की के लिए कृतार्थ की बलि देना चाहता था। स्कूल के पास ही ट्यूबवेल में बच्चे की बलि दी जानी थी। 22 सितंबर की रात सभी गहरी नींद में सोये कृतार्थ को लेकर वहां पहुंचे थे। तांत्रिक क्रिया से पहले ही बच्चे की नींद खुल गई। इस पर राज खुलने के डर से सभी ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।