योगी पुलिस को मिली करारी शिकस्त, पांच लाख के इनामी सपा नेता सभापति यादव व उसके भाई सुभाष यादव को खोजने में नाकाम रही उत्तर प्रदेश की पुलिस को उस समय गाल पर चाटा खाने जैसा रहा…
कोलकाता। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सम्बन्ध बेहतर हैं और एक दूसरे के चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेता एक दूसरे के क्षेत्र ने चुनावी जनसभा कर रैलियां तक की। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव को पूर्ण विश्वास था कि विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रचंड बहुमत मिलने जा रहा है, परन्तु उनके इस विश्वास को उत्तर प्रदेश की जनता ने नकारते हुए पुनः उत्तर प्रदेश की गद्दी पर बुलडोजर बाबा को आसीन करा दिया और मुख्यमंत्री बनने का मंसूबा पाल रखने वाले अखिलेश यादव को सूबे की जनता ने धुल चटा दी। प्रदेश की जनता का कहना है कि अखिलेश यादव को उनका घमंड खा गया और वह ओवर कांफिडेंस में थे कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनने जा रही है। यह बात अलग रही कि अखिलेश यादव चुनावी जनसभाओं में मंत्री तक बनाने लगे थे। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव एक तरफ अपराध और अपराधियों से दूरी बनाने का नाटक करते रहे और दूसरी तरफ यादव विरादरी के अपराधी किस्म के नेताओं को स्वयं संरक्षण भी देते रहे। पांच लाख का इनामियां सभापति यादव उसी श्रेणी का सपाई नेता है।
प्रतापगढ़ की जनसभा में रामसिंह पटेल को मंत्री बनाने और पांच लाख का इनामियां सपा नेता सभापति यादव के ऊपर लगे मुकदमें वापस तक कराने की घोषणा भरे मंच से की थी। सूबे में जब पुनः बुलडोजर बाबा योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो फिर से अपराधी भूमिगत होने लगे और दूसरे प्रदेश में जाकर शरण लेने लगे। हालांकि विधानसभा चुनाव में पांच लाख का इनामियां सपा नेता सभापति यादव एक आडियो पट्टी विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी मोती सिंह के सम्बन्ध में जारी किया गया था और उस आडियो के जारी होने के बाद सपा नेता सभापति यादव एक और मुकदमा प्रतापगढ़ की तेजतर्रार पुलिस ने दर्ज किया था, परन्तु पांच लाख का इनामियां सपा नेता सभापति यादव की खोज नहीं कर पाई। सपा नेता सभापति यादव की इच्छा तो पट्टी की जनता ने पूरा करते हुए कैबिनेट मंत्री रहे मोती सिंह को बुरी तरह शिकस्त देते हुए सपा के प्रत्याशी रामसिंह पटेल को भारी मतों से विजयी बनाया। मोती सिंह की हार तो हो गई, परन्तु सपा नेता सभापति यादव की राह आसान न हो सकी। पिछले पांच साल जिस तरह सपा नेता सभापति यादव का जीवन काँटों भरा रहा, उसी तरह अभी पांच साल उनकी राह आसान होने वाली नहीं है।
सूबे में जब सपा सरकार न बन सकी तो देवसरा के पूर्व प्रमुखपति सभापति यादव व उसके भाई सुभाष यादव ने सुनियोजित तरीके से दूसरे प्रांत में पुलिस से सेटिंग करके स्वयं अपनी गिरफ्तारी दिखाने का प्लान तैयार किया और दोनों भाई उसमें सफल भी रहे। विधानसभा चुनाव में जिस तरह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा और योगी सरकार पर अपना आक्रामक तेवर दिखाते हुए भला बुरा कहा और चुनाव परिणाम अनुकूल न होने की दशा में सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव की पहल पर पांच लाख का इनामियां सपा नेता सभापति यादव और उसके भाई सुभाष यादव को पश्चिम बंगाल के सियालदह में उनकी नाटकीय अंदाज में गिरफ्तारी दिखाकर उन्हें सुरक्षित तरीके से उत्तर प्रदेश की पुलिस को सुपर्द करने का जो प्लान बनाया गया, उसकी चर्चा लोग अपने-अपने तरीके से कर रहे हैं। पांच-पांच लाख के इनामी आसपुर देवसरा के पूर्व प्रमुख पति व सपा नेता सभापति यादव व उसकेे भाई सुभाष यादव खिलाफ डेढ़ साल पहले पट्टी व देवसरा थाने में संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुए थे। इसके बाद दोनों फरार हो गए थे। तब से प्रतापगढ़ पुलिस सहित उत्तर प्रदेश की जाबाज STF भी उनकी तलाश में जुटी हुई थी, परन्तु उन्हें सफलता न मिल सकी।
पश्चिम बंगाल की कोलकाता पुलिस ने पांच-पांच लाख के इनामी आसपुर देवसरा के पूर्व प्रमुख पति व सपा नेता सभापति यादव व उसकेे भाई सुभाष यादव को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है। कोलकाता पुलिस ने जिले की पुलिस से संपर्क कर दोनों भाइयों की गिरफ्तारी की जानकारी दी है। जिसके बाद दोनों को जिले में लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। पांच-पांच लाख के इनामी पूर्व प्रमुख पति देवसरा व सपा नेता सभापति यादव व उसका भाई सुभाष यादव कोलकाता पुलिस की गिरफ्त में आ गए। शनिवार को दिनभर दोनों की गिरफ्तारी की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होती रही। हालांकि जिले की पुलिस ऐसी किसी सूचना से इंकार करती रही। आसपुर देवसरा के पूर्व प्रमुखपति सभापति यादव व उसके भाई सुभाष यादव के खिलाफ डेढ़ साल पहले पट्टी व देवसरा थाने में संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुए थे। इसके बाद दोनों फरार हो गए। पंचायत चुनाव में भी उनके समर्थकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए। फरारी के साथ ही उस पर पुलिस द्वारा घोषित इनाम की राशि भी बढ़ती चली गई। पुलिस ने सभापति यादव व उसके भाई सुभाष के ऊपर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया था। यह इनाम जिले के पुलिस अधीक्षक से शुरू हुआ तो आई जी रेंज एवं एडीजी जोन और बाद में डीजीपी व शासन ने इनाम की धनराशि में इजाफा करते गए।
भाजपा नेता व योगी सरकार में ताकतवर कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के दबाव में सपा नेता सभापति यादव व उसके भाई सुभाष यादव की तलाश में एसटीएफ भी लग गई। शनिवार को सोशल मीडिया पर सभापति यादव व उसके भाई सुभाष को कोलकाता के सियालदह रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार करने की खबर वायरल होती रही। हालांकि पट्टी व देवसरा पुलिस ऐसी किसी भी जानकारी से इनकार करती रही। पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल ने भी दोनों की गिरफ्तारी की जानकारी से पहले तो इंकार किया था। परन्तु हकीकत यह है कि शनिवार को धोखाधड़ी के मामले में सपा नेता सभापति यादव व उसके भाई सुभाष को कोलकाता की सियालदह पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसकी जानकारी सियालदह के पुलिस प्रमुख ने जिले की पुलिस से साझा की। पहले तो पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़, सतपाल अंतिल सपा नेता सभापति यादव व उसके भाई सुभाष की गिरफ्तारी को मानने से इंकार करते रहे। फिलहाल पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़, सतपाल अंतिल इस बात को पचाने का लाख प्रयास करें परन्तु सच को वह झुठला नहीं सकते। पुलिस सूत्रों की माने तो पांच लाख के इनामी दोनों भाइयों को लेने के लिए पुलिस टीम तैयार की जा रही है। कोर्ट से वारंट बी लेने के बाद प्रतापगढ़ से पुलिस टीम रवाना होगी। प्रतापगढ़ में इस बात की चर्चा बहुत तेज है कि इस बार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तरह सपा नेता सभापति यादव की गाड़ी रास्ते में लाते समय कहीं पलट न जाए।