राजा भइया ने केंद्रीय केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को दिया करारा जवाब, कहा- ईवीएम से राजा-रानी पैदा नहीं होते,ईवीएम से जनसेवक पैदा होते हैं
प्रतापगढ़। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के करारा जवाब दिया है। राजा भइया ने कहा कि राजा और राजवाड़े बहुत पहले खत्म हो गए हैं। अगर ईवीएम से पैदा होने वाले अपने आपको राजा रानी मान लेंगे तो लोकतंत्र की भावना ही खतम हो जाएगी। राजतंत्र तो कबका खत्म हो चुका है। अनुप्रिया को जानकारी होनी चाहिए कि ईवीएम से जनसेवक पैदा होते हैं,जिनसे उनकी उम्र पांच वर्ष की होती है। अगर जनप्रतिनिधि का आचार व्यवहार, कामकाज ठीक होता है अगले पांच साल के लिए दुबारा चुना जाता है।बरहाल राजा भइया ने अनुप्रिया पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
राजा भइया ने कहा कि हम किसी पार्टी का विरोध नहीं कर रहे हैं,बल्कि प्रत्याशी के खिलाफ हैं।प्रत्याशी का आचार विचार ठीक नहीं होने के कारण हमारे समर्थकों ने उनके खिलाफ मतदान करने का फैसला लिया। राजा भइया ने पीओके को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया। बता दें कि शनिवार को अपना दल (एस) की प्रमुख केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा देश आजाद हो गया। लोकतंत्र में राजा, रानी के पेट से नहीं पैदा होते। ईवीएम के बटन से पैदा होते हैं। इस बार स्वघोषित राजाओं का भ्रम तोड़ दें, जो कुंडा को अपनी जागीर समझते हैं। याद रखना कि अब केवल मतदाता ही सर्वशक्तिमान है।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के बयान पर रविवार को जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह गोपालजी ने पलटवार किया।अक्षय प्रताप ने कहा कि अनुप्रिया एक्सीडेंटल सांसद व मंत्री हैं। ईवीएम से राजा नहीं बल्कि जनसेवक पैदा होते हैं। लोकतंत्र के ईवीएम से बिना गठबंधन के जनसत्ता दल के दो विधायक, एक एमएलसी, जिला पंचायत अध्यक्ष व 11 ब्लॉक प्रमुख हैं। यदि अनुप्रिया अकेले दम पर चुनाव लड़े तो उन्हें अपने वजूद का पता चल जाएगा।
अक्षय प्रताप सिंह ने कहा कि जनसत्ता दल प्रमुख राजा भइया ने लोकसभा चुनाव से खुद को अलग कर लिया। समर्थकों की राय पर सभी को स्वतंत्र करते हुए अपने विवेक से निर्णय लेने की बात कही। ऐसे में उनके खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग उचित नहीं है। अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष को इतना ही खुद पर भरोसा है तो वह जनसत्ता दल की तरह अकेले चुनाव मैदान में उतरें।