अमेठी में 3.84 अरब रुपये का घोटाला, दो पीपीएस अधिकारियों समेत अज्ञात पर एफआईआर
अमेठी। सीएम योगी आदित्यनाथ अमेठी के दौरे पर पहुंचने वाले हैं। इससे ठीक पहले यहां दो पीसीएस अफसरों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ है। मुकदमा दर्ज होते ही सरकारी मिशनरी में हड़कंप मच गया है। मामला 3.82 अरब के मुआवजे से जुड़ा है।
ये है मामला…
केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद साल-2014 में अमेठी में एनएच-56 के चौड़ीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। निर्माण से पहले एनएचएआई के अनुरोध पर राजस्व विभाग ने सड़क चौड़ीकरण के अलावा जगदीशपुर और मुसाफिरखाना में कस्बे में लोगों को जाम से राहत देने के लिए शहर के बाहर बाईपास का सर्वे किया। सर्वे के बाद अफसरों ने गलत तरीके से कृषि योग्य भूमि का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना निर्धारित करने के बजाय एनएच से सटी जमीन का सर्किल रेट कई गुना अधिक के बराबर बना दिया। मुआवजा निर्धारण और वितरण में गड़बड़ी के सामने आने के बाद अमेठी जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच कराई तो 384 करोड़ का घोटाला सामने आया था।
साल-2020 में जारी हुई थी नोटिस…
अमेठी जिला प्रशासन ने जांच टीम की ओर से तैयार रिपोर्ट को शासन को भेजा था। अमेठी की मुसाफिरखाना तहसील में दो बाईपास के लिए अवार्ड और मुआवजा वितरण की कार्रवाई एसडीएम आरडी राम के कार्यकाल में शुरू हुई। आरडी राम 23 फरवरी साल-2015 से 18 सितंबर साल-2015 तक सात महीने मुसाफिरखाना के एसडीएम रहे। इसके बाद उनके स्थान पर 19 सितंबर साल-2015 को अशोक कुमार कनौजिया की तैनाती हुई और वह 25 मार्च साल-2016 तक एसडीएम रहे। अशोक कुमार कनौजिया का भी जमीन अवार्ड करने में अहम रोल रहा है। साल-2020 में मामले के खुलासे के बाद नोटिस जारी हुई थी। इसके बाद अफसरों ने मुआवजा वितरण पर रोक लगा दी थी।
कानूनगो की रिपोर्ट पर दर्ज हुआ केस…
इस मामले में रजिस्ट्रार कार्यालय मुसाफिरखाना में तैनात कानूनगो सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव की तहरीर पर मुसाफिरखाना तहसील के दो एसडीएम आरडी राम और अशोक कुमार कनौजिया समेत अज्ञात के खिलाफ गबन और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ है। पुलिस का कहना है विवेचना जारी है। साक्ष्य के आधार पर आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी।