साहित्य अब सिलसिला तन्हाइयों का रह गया है, यादों के सिवा पिंजड़े मे कुछ भी नहीं है ग़ज़ल तेरे बग़ैर ये दुनिया कुछ भी नहीं है चारों तरफ़ अंधेरा है कुछ भी नहीं है अब सिलसिला तन्हाइयों का रह…