पैसे की हबस इंसान को बना देती है,शैतान जो अच्छे व बुरे को ज्ञान को कर देती है,समाप्त
ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हरि ने डंसा नहीं…
प्रतापगढ़। जाके पाँव न फटी बेवाई, सो का जाने पीर पराई… ये कहावत सब्जी मंडी के ब्यापारियों पर फिट बैठ रही है। शहर में पल्टन बाजार स्थित सब्जी मंडी में अधिकांश ब्यापारी मुस्लिम हैं जिनका ब्यवसाय मूलतः ट्रेडिंग और सब्जी का है। ये ब्यापारी हरि प्रताप सिंह को अपना राजनीतिक मसीहा मान बैठे थे और कहते थे कि कुछ भी हरि प्रताप सिंह मिलने पर हंस कर हालचाल पूंछते हैं, यहीं नहीं मरनी करनी, भये वियाहे वह बिना आमंत्रण के भी लोगों के दरवाजे पर सतरंगी चेहरे लिए हाजिर मिलते थे। बस यही अदा हरि प्रताप सिंह को आम आदमी से खास आदमी बना दिया। प्रतापगढ़ के शहरी लोगों में खासकर मुस्लिम विरादरियों और ब्यापरियों को हरि प्रताप सिंह की यही यदा उन्हें दीवाना बना दिया था, परन्तु जब बात पेट पर लात मारने की आई तो वही लोग अब गाली दे रहे हैं।
शहर के बीचोंबीच सैकड़ों वर्षों से सब्जी मंडी, गल्ला मंडी, पान मंडी, फल मंडी लगती रही, परन्तु नवीन महुली मंडी खुलने से सब्जी मंडी और फल मंडी की रौनक खत्म हो गई, परन्तु सैकड़ों वर्षों से सब्जी की दुकान संचालित करने वाले ब्यापारी अभी भी शहर के बीचोबीच सब्जी की दुकान किये हैं और अब उनकी दुकान को नेस्तनाबूत करने के लिए नगरपालिका प्रशासन हरि प्रताप सिंह के इशारे पर आमादा है। सब्जी मंडी में अपनी दुकान बचाने के लिए जिस तरह दुकानदार और ब्यापार मंडल के पदाधिकारियों एवं राजनीतिक दलों के नेताओं ने एकजुटता दिखाकर नगरपालिका और प्रशासन को बैरंग वापस भेजने के लिए जमीन पैर बैठकर और लेट कर विरोध प्रदर्शन किया और नगरपालिका व प्रशासन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। उससे यह स्पष्ट हो गया कि अपने लाभ के लिए ब्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। क्योंकि उसमें उसका निजी हित समाहित रहता है।
एक वर्ष पहले जब जीआईसी की बाउंड्रीवाल तोड़कर 30 फिट नगरपालिका प्रशासन अंदर घुस कर सड़क निर्माण के नाम पर कब्जा कर लिया और आनन-फानन में बाउंड्रीवाल का निर्माण कराना शुरू किया। उस दौरान जिले का न कोई नेता आगे आया और न ही समाजसेवी। अपने स्वार्थ की राजनीति करने वाले ब्यापार मंडल के पदाधिकारियों को तो मानो साँप सूंघ गया हो। अकेले दम पर खुलासा इंडिया ने अपने बैनर के तहत लोकतांत्रिक ढंग से उसका विरोध किया और सिर्फ सड़क चौड़ीकरण के लिए 30 फिट जमीन के स्थान पर सिर्फ 10 फिट ही जमीन शिक्षा विभाग ने दी, जिस पर नगरपालिका प्रशासन ने सड़क चौड़ीकरण कर जीआईसी की बाउंड्रीवाल को बनवाया। मजेदार बात यह है कि सिर्फ 10 फिट जीआईसी की जमीन लेकर जिस सड़क को चौड़ीकरण में लेकर यातायात ब्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया गया, उसकी हकीकत यह है कि उस पर अब दीवाल से सटाकर चार पहिया वाहनों की पार्किंग होने लगी है। यानि 20 और सड़क के नाम पर जो जमीन ली गई थी, उस पर तो आज नहीं कल हरि प्रताप सिंह जी दुकान बनाकर बेंच खाते।
25सालों से नगरपालिका अध्यक्ष पद पर एक ब्यक्ति कुंडली मारकर बैठा है। 20साल स्वयं और 5वर्ष पहले महिला सीट आरक्षित होने पर अपनी पत्नी प्रेमलता सिंह को कठपुतली बनाकर बैठाया हुआ है। सारा कार्य और नगरपालिका चेयरपर्सन का निर्णय प्रेमलता सिंह न लेकर उनके पति हरि प्रताप सिंह ही लेते हैं। इस तरह जीआईसी की जमीन लेकर सड़क चौड़ीकरण के साथ दुकान बनाकर उसे बेंचने की योजना हरि प्रताप सिंह की फेल हो गई। उस कार्य में ठेकेदार को लगभग 5लाख रूपये का नुकसान उठाना पड़ा था। क्योंकि पहले GIC की बाउंड्रीवाल तोड़कर 30 फिट पर कब्जा करते हुए पिलर तैयार किये गए। खुलासा इंडिया के विरोध के बाद नगरपालिका प्रशासन को 20 फिट जमीन छोड़कर बाउंड्रीवाल का निर्माण कराना पड़ा था। जानते हैं क्यों ? नहीं जानते तो आईये हम बताते हैं। जिलाधिकारी प्रतापगढ़ ने पांच सदस्य वाली एक टीम गठित की और उसमें निर्णय लिया गया कि जीआईसी की कुछ जमीन को लेकर सड़क को चौड़ी किया जायेगा। कुछ का मतलब गाँव की भाषा में सूरन होता है जो खाने पर मुंह को ही काट देता है। इसलिए उसे बनाते समय उसमें इमली मिलाकर उसका असर खत्म कर दिया जाता है। कुछ जमीन अधिग्रहण करने की बात जिला प्रशासन और नगरपालिका प्रशासन के गले की हड्डी बनी और 20 फिट जमीन छोड़नी पड़ी।
सच कहा गया है कि भूख लगी हो तो भोजन कर लेने से वह शांत हो जाती है। परन्तु पैसे की भूख यदि किसी ब्यक्ति को लग जाती है तो वह मृत्यु तक पीछा नहीं छोड़ती। सरल और हंसमुख स्वभाव की ख्याति अर्जित करने वाले पूर्व नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह को यह भूख वर्ष-1995 से लगी जो शांत होने का नाम नहीं ले रही है। इस बार उनकी निगाह शहर के सब्जी मंडी पल्टन बाजार पर पड़ चुकी है। हरि प्रताप सिंह अब सब्जी मंडी में मल्टी कॉम्प्लेक्स की बिल्डिंग बनाकर उसे बेंचने का मन बना चुके हैं। हरि प्रताप सिंह सब्जी मंडी में मल्टी कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग के निर्माण के लिए वर्ष-2014 में पहली बार प्रयास किया। उसके लिए उन्होंने उसका मानचित्र स्वीकृत कराया और तब से लगातार सब्जी मंडी को खाली कराने का अथक प्रयास कर चुके हैं। 25 वर्षों में हरि प्रताप सिंह को पता है कि दूध देने वाली भैंस और गाय ही रखना चाहिए, बकेन होते ही ही उसे कसाई के हाथ बेंच कर कत्लगाह पहुंचाकर उसका भी सौदा कर लेना चाहिए। अर्थवादी युग में हरि प्रताप सिंह से अधिक जानकार और चालाक शायद ही कोई हो ! पैसा कहाँ से और कैसे पैदा किया जा सकता है, यह बात हरि प्रतापगढ़ के दिलोदिमाग में पूरी तरह बैठ चुकी है।
जिन लोगों ने हरि प्रताप सिंह को अपने सिर पर बिठाया। चार बार उन्हें नपाध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन किया। यहाँ तक वर्ष- 2012 में भाजपा ने उनका टिकट काटा तब भी ब्यापारियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा। उन्हें निर्दलीय चुनाव जिताकर उनके चेहरे पर सेहरा बांधने का कार्य किया। महिला सीट हुई तो हरि प्रताप सिंह की पत्नी प्रेमलता सिंह को नपाध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया। उन्हें क्या पता था कि जिन्हें वह तख्ते ताउस दे रहे हैं, वही उन्हें अपने पैरों से कुचलने के कार्य करेगा। फिलहाल अभी तक हरि प्रताप सिंह के इरादों पर लगातार पानी फिरता रहा है। हरि प्रताप सिंह अभी हाल में हुए एमएलसी के चुनाव में भाजपा से उम्मीदवार रहे। परन्तु जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह के आगे उन्हें धूल चाटना पड़ा। परन्तु मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट देने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बाँटना पड़ा था। अब हरि प्रताप सिंह उसकी भरपाई करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। यदि पैसा पानी की तरह बह गया है तो उसकी रिकवरी करने के लिए हरि प्रताप सिंह कोई भी हथकंडा अपनाने के लिए तैयार हैं और वह एक के बाद एक चाल भी रहे हैं। हरि प्रताप सिंह की एक आदत और भी है। वह दूसरों के कंधे पर बन्दूक रखकर दागने के महारथी हैं। इन दिनों प्रतापगढ़ के सदर विधायक राजेंद्र कुमार मौर्य का कंधा हरि प्रताप सिंह अपने लिए सबसे मुफीद समझ रहे हैं, तभी तो तीन महीने में तीन बार सूबे के मुखिया से विधायक राजेंद्र कुमार मौर्य के साथ मिल चुके हैं। सब्जी मंडी को नेस्तनाबूत करने में सदर विधायक की भूमिका भी संदिग्ध है।