बिकता है थाना बोलो खरीदोगे, बलिया के इस थाने में छापेमारी में पुख़्ता हुआ पुलिस का दागदार चेहरा
बलिया उत्तर प्रदेश-बिहार बार्डर का बलिया जिला किसी पहचान के लिए मोहताज नहीं है।बलिया वीरों की धरती है। बलिया उत्तर प्रदेश में बागी बलिया के नाम से भी फेमस है। आजादी के पहले बलिया जिले के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की नाक में पानी भर दिया था।आजादी के बाद बलिया के जयप्रकाश नारायण और चंद्रशेखर ने देश को एक नई दिशा दी।आज बलिया एक दूसरी और बेहद शर्मनाक वजह से सुर्खियों में है।बलिया में लोगों की सुरक्षा में तैनात पुलिस ही लोगों को लूटते हुए पकड़ी गई है।
बलिया से समाजवादी पार्टी के विधायक संग्राम सिंह यादव कहते हैं कि अब तक यह कहा जाता था कि बलिया में थाने एवं चौकियों की सार्वजनिक बोली लगती है और जबसे ज्यादा बोली लगाने वाले इंस्पेक्टरों और सब इंस्पेक्टरों को मलाईदार थानों चौकियों में कोतवाल या चौकी इंचार्ज बनाया जाता है। हालांकि पहली बार इस बात की पुष्टि वाराणसी के एडीजी पीयूष मोर्डिया और आजमगढ़ के डीआईजी वैभव कृष्ण की संयुक्त रेड में हुई है।संग्राम सिंह यादव कहते हैं कि जिले में थानों की बिक्री का मामला उन्होंने खुद छह महीने पहले विधानसभा में उठाया था।इस मुद्दे पर खूब चर्चा हुई थी और उनकी ही शिकायत के बाद एडीजी और डीआईजी ने यह रेड बुधवार-गुरुवार की रात बलिया के नरही थाने और कोरंटाडीह चौकी पर डाली है।
बुधवार-गुरुवार की रात एडीजी डीआईजी ने की थी छापेमारी
भरौली चेकपोस्ट पर भी एडीजी वाराणसी पियूष मोर्डिया डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्णा ने छापेमारी की।इसका परिणाम चौंकाने वाला तो है ही,पूरे पुलिस महकमे को शर्मिंदा भी करने वाला हैं।इस छापेमारी में पता चला कि अकेले कोरंटाडीह चौकी पर तैनात पुलिस प्रतिदिन पांच लाख रुपये की वसूली करती है।इस चौकी के सामने से रोजाना लगभग 1000 ट्रक गुजरते हैं और हर ट्रक से 500 रुपये की वसूली की जाती है।इस वसूली को विधिवत डायरी में दर्ज किया जाता है और अगले दिन इस पूरे पांच लाख की रकम की बंदरबांट होती है।
दोनों पोस्ट पर होती है प्रति ट्रक 500 की वसूली
इसी डायरी में विवरण है कि इसमें से कितनी रकम कप्तान को,कितनी एडिशनल और डिप्टी एसपी को तथा यहां तैनात सिपाहियों से लेकर इंस्पेक्टर तक को दी जाती है।ठीक यही स्थिति इसी थाना क्षेत्र के भरौली चेकपोस्ट पर भी बनती है और यहां से भी हर रात गुजरने वाले 1000 ट्रकों से पांच-पांच सौ रुपये की वसूली होती है।अब तक तो हमने वो कहानी बताई जो शुक्रवार की शाम तक पुलिस अधिकारियों ने प्रेस कांफ्रेंस या अन्य माध्यमों से सार्वजनिक कर दी।अब वो कहानी बताएंगे, जो विवेचना के लिए पुलिस ने अपनी केस डायरी में दर्ज किया है।
दलालों ने पूछताछ में किए बड़े खुलासे
यह विवरण छापेमारी के दौरान पकड़े गए पुलिस कर्मियों और उनके दलालों से पूछताछ के आधार पर तैयार किया गया है। पकड़े गए दलालों ने पूछताछ में बताया है कि उनकी ड्यूटी भरौली तिराहे और कोरंटाडीह चौकी के सामने से निकलने वाले ट्रकों से वसूली करने के लिए लगती है।इसी वसूली में मिली रकम को डायरी में नोट किया जाता है,लेकिन वसूली के दौरान वह कुछ रकम बिना रजिस्टर में ही दर्ज किए अपनी जेब में भी रख लेते हैं।ऐसे में हर दलाल रोजाना डेढ़ से दो हजार रुपये कमा लेते थे।इसी तरह मौके से पकड़े गए सिपाहियों ने बताया कि इन दोनों स्थानों पर दलालों और सिपाहियों की रोज शाम को इंस्पेक्टर खुद ड्यूटी लगाते हैं।
एक रात में दरोगा की कमाई 25 हजार रुपये
जिस सिपाही या हेड कॉन्स्टेबल की यहां ड्यूटी लगती है वह बहुत भाग्यशाली होता है। इन दोनों पोस्ट में से किसी पर भी ड्यूटी मिल जाए तो वह सिपाही या हेड कॉन्सटेबल कम से कम 10 से 15 हजार रुपये तो एक रात में पीट ही लेता है। ऐसे में यहां ड्यूटी के लिए हर सिपाही अपने कोतवाल की खुशामद करता रहता है।इसी तरह चौकी इंचार्ज यानी दरोगा की भी कमाई 20 से 25 हजार रुपये तक रोज हो जाती है। चूंकि रात भर वसूली के बाद पूरी रकम इंस्पेक्टर के पास जमा होती है।सिपाही से लेकर दरोगा तक का हिस्सा इसमें से निकालने के बाद यह रकम करीब 3 से साढ़े तीन लाख बचती है।इस रकम का बंटवारा परसेंटेज के हिसाब से होता है।यह परसेंटेज कप्तान से लेकर इंस्पेक्टर तक का होता है।
मुखिया की जानकारी में होता है पूरा खेल:पूर्व पुलिस अफसर
पकड़ी गई डायरी में यह तो विवरण नहीं मिला कि कितने परसेंट कप्तान का और कितना एडिशनल एसपी से लेकर सीओ का है, लेकिन इतना विवरण जरूर है कि इसके आधार पर हिसाब से आसानी से लगाया जा सकता है।रिटायर्ड डिप्टी एसपी पीपी कर्णवाल के मुताबिक थानों में पोस्टिंग के दौरान इस तरह की चीजें तो होती ही हैं।बड़ी बात यह कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है, जो जिला पुलिस के मुखिया को पता ना हो। सबकुछ मुखिया की जानकारी में होता है और उनकी सहमति से होता है।उन्होंने बताया मलाईदार थानों और चौकियों में पोस्टिंग ही खास लोगों की होती है।
मलाईदार थानों में खास लोगों की होती है पोस्टिंग
बलिया पुलिस के ही अति विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक इस तरह की धांधली की शुरुआत किसी भी थाने या चौकी पर कोतवाल या चौकी इंचार्ज की पोस्टिंग से ही शुरू हो जाती है।दरअसल बलिया में नरही,बैरिया,मनियर,उभांव समेत कई थाने ऐसे हैं, जिनकी गिनती मलाईदार थानों में होती है।इन थानों में उन्हीं कोतवालों की तैनाती होती है, जो सबसे ज्यादा एकमुश्त चढ़ावा देते हैं और फिर हर महीने कम से कम एक अच्छी खासी चढ़ावा चढ़ाने के लिए हामी भरते हैं।यह व्यवस्था काफी पहले से है, हालांकि पहली बार एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की छापामारी में इसकी पुष्टि हुई है।