खत्म हुआ इंतज़ार, कौशाम्बी लोकसभा संसदीय सीट से भाजपा ने तीसरी बार विनोद सोनकर को बनाया अपना प्रत्याशी
प्रतापगढ़। बुधवार को जैसे ही भारतीय जनता पार्टी के द्वारा कौशांबी लोकसभा क्षेत्र से विनोद सोनकर को तीसरी बार प्रत्याशी बनाने की सूची जारी हुई। क्षेत्र में कार्यकर्ता खुशी से झूम उठे। बता दें कि पिछले एक महीने से कार्यकर्ता प्रत्याशी का इंतजार कर रहे थे। आए दिन कोई न कोई अफवाह उड़ाई जाती थी। दर्शल इसके पीछे वास्तविक कारणों को पता किया गया तो जो बाते छानकर मिली उसमें सच्चाई भी रही और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक दल से गठबंधन की बातचीत भी चल रही थी जो अंततः फेल हो गई।
लंबे इंतजार के बाद नवरात्रि के दूसरे दिन बुधवार को केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा उत्तर प्रदेश से 7 प्रत्यशियों के नामों पर मोहर लगाई गई। जैसे ही सूची दोपहर 1 बजे आई। कार्यकर्ता एक दूसरे को बधाई देने के साथ एक दूसरे का मुंह मीठा कराके बधाई देने लगें। विनोद सोनकर सामान्य परिवार से मिलन करते हैं। राजनीति में आने से पहले गैस एजेंसी का ब्यवसाय करते थे। आम जनमानस में इनकी छवि अच्छी है। अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में इन्होंने क्षेत्र में कई बड़े कार्य भी किये।
उत्साही कार्यकर्ताओं ने गोला दगा कर अपनी खुशी का इजहार किया। वर्ष- 2014 में पहली बार विनोद सोनकर कौशांबी लोकसभा से कमल खिलाएं। इसके बाद वह बराबर क्षेत्र का भ्रमण कर जन चौपाल लगाकर जन समस्याओं को सुनकर निस्तारण करवाने का प्रयास करते रहे। 2019 में पुनः भाजपा ने उन्हें कौशांबी से प्रत्याशी बनाया। दूसरी बार भी कमल खिलाने में कामयाब रहे। इस बार भी लड़ाई सपा उम्मीदवार की इन्हीं से रहेगी। अब देखना होगा कि खिन राजा भईया भी इंडिया गठबंधन में शामिल होकर कौशाम्बी से अपने उम्मीदवार के रूप में पूर्व सांसद शैलेन्द्र कुमार पर दांव न लगा लें।
साल- 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने तीसरी बार विनोद सोनकर के ऊपर भरोसा जताते हुए कौशांबी लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है। सांसद विनोद सोनकर के मीडिया प्रभारी भूपेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि पिछले दस वर्षों में क्षेत्र का सर्वांगीण विकास किया गया है। आज सांसद विनोद सोनकर के द्वारा कराए गए विकास कार्य दिखाई पड़ रहा है। क्षेत्र की जनता ऐतिहासिक मतों से इस बार सांसद जी को विजयी बनायेगी। उधर सपा और कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी भी इस इन्तजार में थी कि राजा भईया का गठबंधन एनडीए से होता है या नहीं। न होने की दशा में पुनः एक बार चुनावी समीकरण पर गुणा गणित की जा सकती है।