दिल्ली में इस बार भी सातों सीटों पर विपक्ष सफाचट, AAP-कांग्रेस मिलकर भी भाजपा के सामने क्यों न टिकी? जानिए वजह
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए दिल्लीवासी एक बार फिर से भाजपा के साथ खड़े हुए हैं। लगातार तीसरी बार दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन के साथ आमने-सामने की लड़ाई में भाजपा की जीत का प्रमुख कारण दिल्ली में मोदी सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्य, मोदी की लोकप्रियता और भाजपा का मजबूत संगठन है। राजधानी में आवागमन सुगम करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने मेरठ एक्सप्रेस-वे, ईस्टर्न व वेस्टर्न पेरिफेरल, द्वारका एक्सप्रेस-वे, प्रगति मैदान सुरंग सड़क सहित कई सड़कों का निर्माण कराया है। साथ ही मेट्रो के निर्माण कार्य में तेजी आई है। नमो ट्रेन एनसीआर की नई पहचान बन गई।
और क्या रही वजहें…
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र द्वारा दिल्ली को इलेक्ट्रिक बसें दी गईं। जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन और उस समय हुए विकास कार्यों का असर भी लोकसभा चुनाव में दिखा। पीएम मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में भी इन कार्यों को गिनाकर मजबूत राष्ट्र व भाजपा प्रत्याशियों के लिए वोट मांगा था।
दिल्ली वालों पर चला मोदी की लोकप्रियता का जादू…
इस बार भी दिल्लीवासियों पर मोदी की लोकप्रियता का जादू दिखा। चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में उन्होंने दिल्ली में उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली में दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। प्रचंड गर्मी के बाद भी हजारों की संख्या में लोग उन्हें उत्साह के साथ सुनने पहुंचे थे। मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ विरोधियों पर तीखे प्रहार किए थे। उनकी चुनावी सभा का इन दोनों सीटों के साथ ही पूरी दिल्ली में पर दिखा।
पिछले कई माह से योजनाबद्ध तरीके से की तैयारी…
मजबूत संगठन से भाजपा प्रत्याशियों की जीत की राह आसान हो गई। पार्टी ने एकजुट होकर एक इकाई की तरह काम किया, जिसका परिणाम सामने है। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में कई माह पहले से प्रत्येक बूथ को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया था। प्रत्येक बूथ पर 11 और उससे अधिक समर्पित कार्यकर्ताओं और पन्ना प्रमुखयों की टीम तैनात की गई।
पिछले वर्ष मई-जून में मोदी सरकार की उपलब्धियों को प्रचारित करने के लिए अभियान चला और उसके बाद लाभार्थियों को जोड़ने के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया। चुनाव व प्रत्याशियों की घोषणा से पहले ही पार्टी ने लोकसभा और विधानसभा प्रभारियों की तैनाती व चुनाव प्रबंधन समितियों की घोषणा कर तैयारी शुरू कर दी थी।
मार्च के पहले सप्ताह में प्रत्याशियों की घोषणा…
मार्च के पहले सप्ताह में प्रत्याशियों की घोषणा की गई। उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी को छोड़कर अन्य सभी छह सांसदों का टिकट काटकर पार्टी ने संगठन से जुड़े लोगों को चुनाव मैदान में उतारा। पार्टी का यह दाव सफल रहा।
भुनाए थे ये मुद्दे…
प्रत्याशियों की घोषणा के बाद चुनाव प्रचार में तेजी आई। योजनाबद्ध तरीके से छोटी बैठकों, नुक्कड़ सभाओं व जनसंपर्क से प्रचार शुरू कर अंतिम चरण में प्रधानमंत्री सहित अन्य बड़े नेताओं की रैली व रोड शो आयोजित कर भाजपा अपने पक्ष में हवा बनाने में सफल रही। अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, विश्व में भारत की मजबूत छवि सहित मोदी सरकार की अन्य उपलब्धियों को भाजपा के स्टार प्रचारकों व प्रत्याशियों ने प्रमुखता से उठाया।
भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर विपक्ष की राह की मुश्किल…
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी हुई आम आदमी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया। आप व कांग्रेस के मिलकर चुनाव लड़ने पर प्रश्न खड़ा करते हुए भाजपा नेताओं ने इसे भ्रष्टाचारियों का गठबंधन बताया। मुख्यमंत्री आवास में आप सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट इसके आरोप में केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार की गिरफ्तारी का मामला भी भाजपा नेताओं ने खूब उछाला। प्रचार के अंतिम दिनों में ये मुद्दे अधिक हावी रहे।