UP में 20 लाख रुपये का घूस मांगते IPS का वीडियो हो रहा वायरल फिर डीजीपी ने बैठाई जांच
उत्तर प्रदेश के मेरठ के देहात IPS अनिरुद्ध कुमार का एक वीडियो रविवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है । इसमें देखा जा सकता है कि वाराणसी में तैनात रहने के दौरान IPS अनिरुद्ध कुमार एक स्कूल संचालक को रेप केस से बचाने के लिए 20 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं। 2 साल इस पुराने मामले में IPS अफसर को क्लीन चिट मिल चुकी है। हालांकि, अब एक बार फिर डीजीपी मुख्यालय ने जांच बैठा दी है। डीजीपी ने मामले में वाराणसी कमिश्नर से मामले की जांचकर रिपोर्ट 3 दिन में भेजने को कहा है। बता दें कि वीडियो में जिस साल-2018 बैच के IPS अधिकारी अनिरुद्ध कुमार के रिश्वत मांगने का दावा किया जा रहा है।
वर्तमान में मेरठ में एएसपी ग्रामीण के पद पर तैनात हैं। मेरठ पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि यह वीडियो 2 वर्ष से अधिक पुराना है। इसका संबंध मेरठ से नहीं है। प्रकरण के संबंध में पूर्व में ही जांच हो चुकी है। गौरतलब है कि 2 वर्ष पूर्व यह मामला डीजीपी मुख्यालय के संज्ञान में आने के बाद गोपनीय जांच कराई गई थी। जांच में IPS अधिकारी अनिरुद्ध कुमार को क्लीन चिट मिल गई थी। इतना ही नहीं क्लीन चिट मिलने पर उन्हें पदोन्नति भी मिल गई। हालांकि, जांच में किस आधार पर आईपीएस को क्लीन चिट दी गई थी, इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारी नहीं दे सके।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर साधा निशाना…
हालांकि, यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए यूपी सरकार को निशाने पर लिया है। अखिलेश यादव ने वायरल वीडियो को लेकर ट्वीट में लिखा कि उत्तर प्रदेश में एक IPS की वसूली के इस वीडियो के बाद क्या बुलडोजर की दिशा उनकी तरफ बदलेगी या फिर फरार होगाी। IPS की सूची में एक नाम और जोड़कर संलिप्त भाजपा सरकार ये मामला भी रफा-दफा करवा देगी। प्रदेश की जनता देख रही है कि ये है अपराध के प्रति भाजपा की जीरो टॉलरेंस की सच्चाई।
बता दें कि वीडियो आने के बाद संबंधित अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। वायरल वीडियो में IPS अधिकारी अनिरुद्ध सिंह वीडियो कॉल पर किसी से 20 लाख रुपए की व्यवस्था करने के लिए कहते नजर आ रहे हैं। उक्त वीडियो उस समय का बताया जा रहा है जब IPS अधिकारी अनिरुद्ध सिंह मेरठ जिले में तैनात थे। माना जा रहा है कि संचालक ने इस कॉल को रिकॉर्ड कर लिया था। मामले की उच्चस्तरीय जांच भी हुई थी। इसके बात अफसर को वहां से हटाकर इंटेलिजेंस मुख्यालय में तैनात किया गया था। कुछ समय बाद अफसर को फतेहपुर और फिर मेरठ में तैनाती दे दी गई। इस मामले में उच्चाधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि, मेरठ पुलिस ने ट्विटर पर अपने जवाब में कहा है, “यह वीडियो दो साल से अधिक पुराना है और इसका मेरठ से कोई संबंध नहीं है। मामले की जांच पूरी कर ली गई है।