प्रतापगढ़ में राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में अधिवक्ताओं की लाइव पिटाई का वीडियो हुआ वायरल, कोतवाली नगर में लूट समेत मारपीट का मुकदमा हुआ दर्ज

प्रतापगढ़। डॉ. सोनेलाल पटेल मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में मंगलवार को पर्चा बनवाने वाले काउंटर पर चिकित्सालय में तैनात स्टाफ और कुछ लोगों के बीच हो रहे विवाद में दखल देने पर अधिवक्ता और उनके साथी को पीट दिया गया। अधिवक्ताओं की पिटाई की खबर सुनकर कचेहरी से कई अधिवक्ता साथी राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय पहुँच गए, परन्तु तब तक मामला शांत हो चुका था और आरोपी चिकित्सक और प्रशिक्षु चिकित्सक भाग चुके थे। पिटाई से घायल अधिवक्ता अपने साथियों संग वहीं धरने पर बैठ गए।

आक्रोशित अधिवक्ताओं को एसडीएम सदर व नगर कोतवाल ने समझा-बुझाकर शांत किया। अधिवक्ताओं ने चेताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर उग्र आंदोलन होगा। बुधवार से अस्पताल गेट पर धरना देंगे। अधिवक्ता जेपी मिश्र, अभिषेक तिवारी, विवेक त्रिपाठी, रणविजय सिंह पटेल, पुष्पराज सिंह, अजीत शर्मा, सोनू ओझा, दीपक मिश्र, दीपू, संजय पांडेय, अभिषेक ओझा, रंजीत शर्मा समेत अन्य अधिवक्ता अस्पताल पहुंचे। लूट सहित मारपीट करने के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद ही अधिवक्ता शांत हुए और धरना प्रदर्शन खत्म किये। 

राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में अधिवक्ताओं और चिकित्सकों के बीच मारपीट की वजह पर पड़ताल करने पर पता चला कि एक अधिवक्ता अपने किसी पारिवारिक सम्बन्धी को दिखाने मेडिकल कॉलेज दिखाने गये थे, उनके अनुसार पर्चा काउंटर पर मौजूद कुछ लोगों में विवाद हो रहा था, जिसे वह शांत करवाने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच डॉक्टर सचिन व अन्य मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों के साथ मिल कर उन्दौहें ड़ा-दौड़ा कर पीटा गया और उनके कोट को भी फाड़ डाले। ऐसा घायल अधिवक्ता का आरोप है।  

अधिवक्ताओं का आरोप है कि डॉक्टर सचिन ने एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों और डॉक्टर लक्ष्मीकांत मिश्र के साथ मिलकर उन पर हमला कर दिया। दोनों की लात-घूंसों से पिटाई की। कपड़े फाड़ डाले। पिटने वाले अधिवक्ताओं में शशिकान्त व नीरज का नाम सामने आया है। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया है कि उनके गले की चेन भी आरोपी चिकित्सकों ने छीन ली। मारपीट से अस्पताल परिसर में भगदड़ मच गई। सूचना मिलने पर कुछ अधिवक्ता कचहरी से भागकर मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। इस बीच मौका पाकर डॉक्टर व प्रशिक्षु चिकित्सक भाग निकले। आक्रोशित अधिवक्ता कार्रवाई की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए।  

करीब डेढ़ घंटे बाद राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. सुरेश सिंह अधिवक्ताओं के बीच पहुंचे। अधिवक्ताओं ने उन्हें खूब खरीखोटी सुनाई। कुछ देर बाद एसडीएम उदयभान सिंह व नगर कोतवाल मौके पर पहुंचे। अधिवक्ता शशिकांत की तहरीर पर पुलिस ने डॉक्टर सचिन, डॉ. लक्ष्मीकांत व 10-12 एमबीबीएस प्रशिक्षु चिकित्सकों के खिलाफ मारपीट, लूट का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। बवाल की आशंका को देखते हुए अस्पताल परिसर में भारी पुलिस बल की तैनात कर दी गई। सवाल यह उठता है कि जो लोग अपना इलाज करने अस्पताल पहुँचते हैं, वह किन परिस्थियों में मारपीट जैसी घटना को अंजाम दे डालते हैं।   

मेडिकल कॉलेज में कोई अधिवक्ता अपने सगे सम्बन्धियों के इलाज के लिए तीमारदारी में जाता है तो वह अपने यूनिफार्म में जाता है। ताकि उसका इलाज बीआईपी तरीके से हो सके और उसे अधिवक्ता का लाभ मिल सके। ऐसा विचार जूनियर अधिवक्ता ही रखते हैं। सीनियर अधिवक्ता तो अपना यूनिफार्म उतार कर ही कचेहरी के बाहर किसी काम के लिए निकालते हैं। यक्ष प्रश्न यह है कि कभी भी किसी सीनियर अधिवक्ता के साथ किसी चिकित्सालय में ऐसी वारदात देखने व सुनने को नहीं मिलती। जूनियर अधिवक्ताओं को अपने सीनियर अधिवक्ताओं से अपने आचरण को लेकर सीख लेने की आवश्यकता है। ऐसी वारदातों से बचने की जरुरत है।     

सबसे मजेदार पहलू यह है कि अधिवक्ता साथी पिटते रहे और उनके साथ खड़े अधिवक्ता साथी जान बचाकर भाग निकले और कुछ घटना की वीडियो बनाने में मस्त दिखे। वीडियो क्लिप में एक दो अधिवक्ता यह कहते दिखाई पड़ रहे हैं कि कचेहरी फोन कर और साथियों को बुलाओ। फिलहाल राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में अधिवक्ताओं के साथ मारपीट की घटना निंदनीय है। इस घटना से अधिवक्ताओं के मान सम्मान पर चोट पहुँची है। अधिवक्ताओं का कार्य दूसरों को न्याय दिलाना होता है और यहाँ वह खुद ही न्याय की फरियाद करते नजर आ रहे हैं। अधिवक्ताओं को अपने समाज की इज्जत बचाने के लिए अंतर्मन से विचार करना होगा।          

फिलहाल राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में हुई मारपीट के मामले में दो डॉक्टर समेत 14 पर मुकदमा दर्ज हुआ। आरोपियों में रेजीडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं। हंगामे के चलते ओपीडी प्रभावित रही। मरीज और तीमारदार भटकते रहे। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन कुमार पहले भी चर्चा में रह चुके हैं। पूर्व में डॉ. सचिन कुमार अपने सीनियर डॉ. जेपी वर्मा और डॉ. अनुज चौरसिया समेत पांच लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि मुकदमें में दो चिकित्सक समेत तीन लोग दोष मुक्त हो चुके हैं। विवादों के चलते अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन कुमार को अम्बेडकर नगर जनपद में उनका तवादला कर दिया गया, जिससे असंतुष्ट होकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन कुमार ने अपना त्याग पत्र दे दिया था। परन्तु जिले के एक विधायक ने उनकी पैरवी कर उनका त्याग पत्र नामंजूर कराते हुए तवादला निरस्त करवाया और उन्हें जनपद प्रतापगढ़ में पुनः तैनाती करवाई।  

राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में सुबह साढ़े नौ बजे से पौने दस बजे के करीब चिकित्सक अपने ओपीडी चैंबर में बैठते हैं। 11 बजे के करीब मारपीट और बवाल शुरू हो गया। ऐसे में दूर दराज से इलाज कराने आए मरीजों को लौटना पड़ा। इलाज कराने पहंचे गुड्डू कुमार, कालूराम व राहुल खासे परेशान थे। वे किराया खर्च कर जांच रिपोर्ट दिखाने चिकित्सक के पास आए थे। बवाल के चलते 11 बजे से ही ओपीडी बंद हो गई। डॉक्टर उठकर चले गए। डॉक्टरों का कहना है कि जब वह सुरक्षित नहीं हैं तो मरीजों का इलाज कैसे करें ? क्या वास्तव में राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय के चिकित्सक असुरक्षित हैं ? यदि ऐसा है तो यह मामला बहुत ही गंभीर है। चूँकि राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में तो कभी महिला विंग में मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं, जो निंदनीय है। जबकि शासन ने अस्पताल के अन्दर पुलिस चौकी तक स्थापित कराई है, फिर भी वारदात पर अंकुश नहीं लग सका है। 

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