शटरिंग कारीगर ने मोबाइल चोरी का झूठा आरोप नहीं स्वीकारा तो चौकी में दी थर्ड डिग्री, कॉन्स्टेबल सस्पेंड
लखनऊ। मोबाइल फोन चोरी करने का झूठा आरोप स्वीकार न करने पर शटरिंग कारीगर पर पीजीआई पुलिस स्टेशन की वृंदावन चौकी में कॉन्स्टेबल ने उसे थर्ड डिग्री दी। करीब एक घंटे तक पीड़ित कारीगर को अलग-अलग तरीके से बुरी तरह पीटा गया। इसके बाद भी उसने आरोप नहीं कबूला तो उसे पीजीआई पुलिस स्टेशन भेज दिया गया। परिवारीजनों के काफी मिन्नतें करने पर शांतिभंग की कार्रवाई कर उसे छोड़ा गया।
कॉन्स्टेबल की बर्बरता सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो पुलिस के आलाधिकारी हरकत में आए। एसीपी कैंट की शुरुआती जांच के आधार पर डीसीपी पूर्वी ने आरोपी कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया है। मामले की विस्तृत जांच एसीपी गोमतीनगर को सौंपी गई है।
फैजुल्लागंज इलाके में शटरिंग कारीगर रोहित तिवारी परिवारीजनों के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि वह बुधवार सुबह इंजिनियरिंग कॉलेज के पास काम पर गए थे। वह काम कर ही रहे थे कि उनके पास पत्नी वंदना ने कॉल कर बताया कि इलाके में ही रहने वाला अभिषेक कुछ लोगों के साथ घर आया और उन्हें पूछ रहा है। साथ ही अभद्रता कर रहा है। कह रहा है कि चोरी का मोबाइल दिया था।
पत्नी की बात सुनकर रोहित घर पहुंचा तो अभिषक ने उससे कहा कि तुम्हे एक मोबाइल फोन दिया था उसे वापस करो। पीड़ित ने कोई भी चोरी का मोबाइल फोन खरीदने की बात से इनकार कर दिया। अभिषेक के साथ में वह व्यक्ति भी था, जिसका फोन खोया था। पीड़ित के मुताबिक अभिषेक के साथ में सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। पुलिसकर्मी उसे पूछताछ के लिए मड़ियांव स्थित यादव चौराहे के पास चौकी पर ले गए और पूछताछ के बाद छोड़ दिया।
कॉन्स्टेबल ने पूछताछ के लिए वृंदावन पुलिस चौकी बुलाया…
पुलिस से छूटने के बाद रोहित वापस काम पर चला गया। इसी बीच दोपहर करीब 12 बजे उसके पास एक और कॉल आई और कॉल करने वाले ने खुद को पीजीआई पुलिस स्टेशन का कॉन्स्टेबल आशुतोष सिंह बताया। उसने पूछताछ के लिए उसको वृंदावन चौकी आने के लिए कहा। रोहित एक से डेढ़ बजे के बीच वृंदावन चौकी पहुंचा तो वहां पहले से अभिषेक व कुछ अन्य लोग मौजूद थे। कॉन्स्टेबल आशुतोष ने रोहित से चोरी के मोबाइल फोन खरीदने के संबंध में जानकारी मांगी, लेकिन उसने ऐसा कोई मोबाइल फोन खरीदने की बात से इनकार कर दिया।
सात फोन सामने रख चोरी कबूल करने को कहा…
पीड़ित ने बताया कि आरोपित कॉन्स्टेबल उसे अंदर ले गया और उसके सामने सात मोबाइल फोन रखते हुए कहा कि तुमने ये मोबाइल फोन चोरी किए हैं। रोहित ने कोई भी फोन चोरी करने की बात से इनकार कर दिया। आरोप है कि इस पर कॉन्स्टेबल आशुतोष ने उस पर मोबाइल फोन की चोरी की बात स्वीकार करने का दबाव बनाते हुए कहा कि अगर स्वीकार नहीं करोगे तो बड़े आपराधिक मामले में जेल भेज देगा। आरोप है कि रोहित के चोरी न स्वीकारने पर कॉन्स्टेबल आग-बबूला हो गया और उसके सिर को अपनी टांगों के बीच दबाकर उसकी पीठ पर काफी देर तक घूसे मारे। यही नहीं कोहनी से भी रीढ़ की हड्डी पर कई वार किए, इससे उसकी सांस रुकने लगी।
तख्त पर लिटा कर प्लास्टिक के डंडे से पीटा…
पीड़ित का दावा है कि हाथों से पीटने के बाद कॉन्स्टेबल ने उसको चौकी में पड़े तख्त पर पेट के बल लिटा दिया। चौकी में मौजूद अन्य लोगों ने उसके हाथ और पैर पकड़े। इसके बाद आरोपित कॉन्स्टेबल ने प्लास्टिक के डंडे से उसके हिप्स और पैरों में पर मारना शुरू कर दिया। इससे उसके हिप्स और पैरों में सूजन आ गई। पीड़ित के मुताबिक आरोपित कॉन्स्टेबल ने करीब एक घंटे तक उसे यातना दी।
दर्द से कराहता देख पीजीआई पुलिस स्टेशन में दी गई दवा…
पीड़ित ने बताया कि इसके बाद भी उसने चोरी की बात नहीं स्वीकारी तो उसे पीजीआई पुलिस स्टेशन ले जाकर लॉकअप में बंद कर दिया गया। वह दर्द से कराह रहा था। उसे तड़पता देख थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने दवा मंगाई और उसे कुछ खाने के लिए देकर दवा खिलाई।
पति के छूटने तक गर्भवती वंदना थाने के बाहर बैठी रही…
बुधवार देर शाम तक रोहित घर नहीं पहुंचा तो उसकी गर्भवती पत्नी वंदना, भाई अमित व अन्य परिवारीजन पीजीआई पुलिस स्टेशन पहुंच गए। वह थाने के बाहर उसके छूटने का इंतजार करती रही। वह हर पुलिसकर्मी से पति की खैरियत पूछ रही थी।पीड़ित ने बताया कि गुरुवार को पूरा दिन वह पीजीआई पुलिस स्टेशन के लॉकअप में ही था। गर्भवती पत्नी उसे छुड़वाने के लिए पुलिसकर्मियों के सामने मिन्नतें करती रही। देर शाम रोहित की तबीयत बिगड़ती देख पुलिसकर्मी हरकत में आए और आनन-फानन में उसके खिलाफ शांतिभंग की कार्रवाई करके छोड़ दिया गया।
दो महीने पहले मिला था मोबाइल फोन चोरी का प्रार्थना पत्र…
पीजीआई इंस्पेक्टर रवि शंकर त्रिपाठी ने बताया कि दो महीने पहले वृंदावन इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति ने मोबाइल फोन चोरी होने का प्रार्थना पत्र दिया था। इसकी जांच कॉन्स्टेबल आशुतोष को दी गई थी। जांच के लिए अभिषेक और रोहित को बुलाया गया था। वृंदावन पुलिस चौकी पर ही दोनों आपस में भिड़ गए। मारपीट करने लगे, जिसके बाद दोनों को पीजीआई पुलिस स्टेशन लाया गया था। दोनों के खिलाफ शांतिभंग की कार्रवाई की गई थी।
सोशल मीडिया पर विडियो वायरल होने पर शुरू हुई जांच…
पीजीआई पुलिस स्टेशन के कॉन्स्टेबल आशुतोष सिंह की बर्बरता के बाद पीड़ित ने सोशल मीडिया पर विडियो वायरल कर अपना दर्द बयां किया तो पुलिस अधिकारी हरकत में आए। डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि उन्होंने इस मामले में एसीपी कैंट से रिपोर्ट मांगी। एसीपी कैंट की आख्या पर डीसीपी पूर्वी ने आरोपित कॉन्स्टेबल आशुतोष को सस्पेंड कर दिया है। इस मामले की विस्तार से जांच करने करने के आदेश एसीपी गोमतीनगर को दिए गए हैं।