विषाक्त हुई पट्टी की सियासत में क्या अमृत घोल पायेंगे बीजेपी के चाणक्य

प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ लोकसभा चुनाव का मतदान छठे चरण में 25 मई को होगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीआईसी प्रतापगढ़ के प्रांगण में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाकर जा चुके हैं तो प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस नेता प्रमोद कुमार के गढ़ में बीजेपी के पक्ष में हुंकार भरी है। अपना दल एस की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी दुर्गादेई, परसनी, पट्टी विधानसभा में जनसभा की परंतु उनका कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है। क्योंकि पटेल मतदाता बहुत शांतिप्रिय और सर्वप्रथम अपनी जाति के प्रत्यासी का चयन करते हैं। जब उनकी जाति का कोई प्रत्यासी नहीं होता है तभी अपना दल की नेता की बात सुनते हैं। पटेल के ऊपर यादव से बढ़कर लीगी होने का तमगा लग चुका है।

पटेलों की नेता अनुप्रिया पटेल और अपना दल एस के विधायक जीतलाल पटेल और भाजपा प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता…

अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पटेलों की नेता अनुप्रिया पटेल का खतरे में है, राजनीतिक वर्चस्व  

फ़िलहाल प्रतापगढ़ का लोकसभा चुनाव-2024 अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। उनके राजनीतिक भविष्य के लिए भी प्रतापगढ़ की सीट नाक का सवाल बन चुकी है, क्योंकि प्रतापगढ़ में पटेल मतदाताओं को आधार बनाकर साल-2014 में यह सीट अपना दल के खाते में लेकर कुंवर हरिवंश सिंह को उम्मीदवार बनाया था और वह बाहरी होने के बाद भी प्रतापगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए थे। इसी पटेल वोटबैंक के हवाले से प्रतापगढ़ और विश्वनाथगंज विधानसभा भी अनुप्रिया पटेल साल-2017 में लेकर भाजप से गठबंधन करके कप प्लेट के चुनाव निशान से दो विधायक निर्वाचित कराने में सफल रही।

लोकसभा चुनाव साल-2019में बसपा और सपा का गठबंधन हुआ और प्रतापगढ़ में बसपा के सिम्बल से पंडित अशोक त्रिपाठी चुनाव लड़ें और भाजपा के संगम लाल गुप्ता को उन्होंने जोरदार टक्कर दी थी, परन्तु अन्य सीटों पर बसपा का वोटबैंक सपा में ट्रांसफर नहीं हो सका और सपा वही अपनी परम्परागत 5 सीटों पर ही चुनाव जीत सकी, जबकि सपा के वोटबैंक बसपा में ट्रांसफर हुए और सूबे में 10  सीटों पर जीतकर चुनाव बाद गठबंधन भी तोड़ा और सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव पर तोहमत भी लगाई कि सपा का वोटर्स बसपा में ट्रांसफर नहीं हुए।

पल्लवी पटेल के कंधे पर सवार होकर पटेल वोट बैंक साधने की फ़िराक में अखिलेश यादव

सपा सुप्रीमों अखिलेश ने अपना दल कमेरावादी की नेत्री पल्लवी पटेल को पहले सहयोगी बनाया और अब पटेल वोटबैंक पर साधा है, निशाना

अखिलेश यादव साल-2022 का विधानसभा अपना दल कमेरावादी के साथ मिलकर लड़े और उसका फायद उठाते हुए लोकसभा चुनाव में अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल को किनारे कर जहाँ-जहाँ पटेल बाहुल्य क्षेत्र थे, वहां से लोकसभा चुनाव-2024 में पटेल विरादरी के उम्मीदवार उतार कर अपना दल एस के वोटबैंक में सेंधमारी करने का कार्य किया है। अखिलेश यादव के पास यादव वोटबैंक था, मुस्लिम मतदाता खिसकने का डर था, सो कांग्रेस से गठबंधन कर लिया और मुस्लिम और यादव यानि एम-वाई के फैक्टर को सांधने में सफल रहे। साथ ही पटेल वोटबैंक मिल जाने से इस बार सपा मजबूत स्थिति में दिख रही है।

ऐसे में 23 मई को दोपहर 12 बजे भाजपा के चाणक्य देश के गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह का आगमन पट्टी पावर हाउस के सामने तरदहा की बाग में होने जा रहा है। बीजेपी प्रत्यासी संगम लाल गुप्ता को उम्मीद है कि गृहमंत्री के आने से उनका माहौल पट्टी में बन जायेगा। जबकि पट्टी की सियासत में बीजेपी के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री मोती सिंह विधानसभा-2022 का चुनाव लगभग बाइस हजार से भी अधिक मतों से चुनाव हार गए। जबकि इस विधान चुनाव में मंत्री रहते मोती सिंह पीएम मोदी को छोड़ दें तो सभी दिग्गजों के उड़नखटोला पट्टी की धरती पर उतार कर चुनाव जीतने का प्रयास किया, परन्तु असफल रहे।

पट्टी में पटेल जाति के मतदाता बालकुमार और उनके बेटे रामसिंह को मानते हैं, अपना नेता…

दुर्दांत अपराधी ददुआ का भाई बाल कुमार पटेल पट्टी में पटेल जातियों में ऐसा बीजारोपण किया कि वह भाजपा के लिए बन गया, नासूर

साल-2007 की बात करें तो पट्टी विधानसभा में बीहड़ का दुर्दांत अपराधी ददुआ का भाई बाल कुमार पटेल बांदा से आकर पट्टी में पटेल जातियों में ऐसा बीजारोपण किया कि साल-2007 में उसे किन्ही कारणों से सफलता नहीं मिली, परन्तु भाजपा नेता मोती सिंह की चूले हिल गई थी। भाजपा नेता मोती सिंह साल-2017 में विधानसभा का चुनाव एन-केन-प्रकारेण किसी तरह से चुनाव जीते और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने, परन्तु आदत में कोई बदलाव न हुआ और पट्टी में बदले की भावना से कार्य करने का परिणाम रहा कि महज दो साल बाद हुए  लोकसभा चुनाव- 2019 में भाजपा के उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता लगभग 5000 हजार मतों से पट्टी में पिछड़ गए थे।

पट्टी में विधान सभा के चुनाव में जीता हार के आकड़ों पर यदि नजर डाली जाये तो लगभग 20 साल से जीत-हार महज 500 मतों के अंदर होती रही, परन्तु पट्टी से भाजपा की सियासत करने वाले मोती सिंह इस पर कभी मनन नहीं किये। उन्हें सिर्फ मोहब्बत है तो पट्टी विधानसभा में ब्लाक प्रमुख पदों पर उनके घर से अथवा उनके ख़ास आदमी उस पर विराजमान रहे। अब तो पट्टी टाउन एरिया के साथ-साथ रामगंज और ढखवा में भी टाउन एरिया का गठन कर दिया गया है और वहां भी पूर्व मंत्री मोती सिंह अपना ही कब्जा बनाये रखना चाहते हैं। इसी वजह से पट्टी में पूर्व मंत्री मोती सिंह साल-2012 और साल-2022 का चुनाव हार गए और उन्हें कल का लड़का जो बाहरी है, वह चुनाव हरा दिया।

पट्टी विधान सभा में भाजपा प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता का कौन कर रहा है, जमीनी स्तर पर विरोध…

लोकसभा चुनाव-2024 में पिछड़ा बनाम पिछड़ा की सीधी टक्कर में अगड़ी जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में 

एक तरफ जहां अभी हाल ही में भाई के काफिले पर हमला करने वालों को संगमलाल गुप्ता ने माफ करते हुए थाने में जाकर छुड़वा दिया था तो पट्टी की सियासत में मंत्री रहते हुए भाजपा नेता के कार्यकाल में आसपुर देवसरा के ब्लॉक प्रमुख चुनाव में 11 जुलाई, 2021 को 23 धाराओं में 161 अज्ञात और 200 से 250 अज्ञात पुरुष और महिला पर मुकदमा हो गया था। जिसमें मृतक तक पर मुकदमा कायम कर दिया गया था। पढ़ाई करने वाले बच्चों तक को नहीं छोड़ा गया था। FIR के क्रमांक संख्या-152 पर मौजूद शिव कुमार यादव पुत्र लालमणि यादव का चयन अग्निवीर भर्ती में हुआ, लेकिन इसी एफआईआर के कारण नौकरी नहीं मिल सकी।

ग्राम प्रधानों से पूंछकर एफआईआर में नाम डाला गया। ग्राम प्रधानों ने अपने विरोधियों का नाम एफआईआर में लिखवा दिया। जिसका परिणाम रहा कि पट्टी की सियासत पूर्णतया विषाक्त हो गई। पट्टी की जनता ने एफआईआर में क्रमांक संख्या- 161 पर मौजूद पूर्व विधायक राम सिंह पटेल को 2022 के विधानसभा चुनाव में विधायक बना दिया। गोविंदपुर धुई कांड में ब्राह्मण और पटेलों के मध्य हुए जातीय संघर्ष में पट्टी कई दिनों तक सुलगती रही और पिछड़े वर्ग के नेताओं का पट्टी आना जाना लगा रहा। पट्टी में पटेल/कुर्मी/वर्मा की संख्या काफी है और वह लगभग-लगभग घर पर ही रहते हैं। साथ ही मतदान में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

ओम प्रकाश राजभर और अनुप्रिया पटेल तक ने पट्टी आने का प्रयास किया। इस लोकसभा चुनाव में व्यापारी वर्ग को छोड़कर अन्य पिछड़ा वर्ग में बीजेपी को लेकर जो आक्रोश है, उसे बीजेपी के चाणक्य कैसे दूर करेंगे यह देखना दिलचस्प होगा। पूर्व मंत्री मोती सिंह के करीबी बीडीसी और प्रधान भी बीजेपी प्रत्यासी संगमलाल गुप्ता का खुलेआम विरोध कर रहे हैं। गैर पटेल, यादव, ओबीसी मतदाताओं को उम्मीद है कि बीजेपी के चाणक्य उनको बीजेपी से जोड़ने का पूरा प्रयास करेंगे। शायद इसीलिये अनुप्रिया पटेल की जनसभा पट्टी में लगी, परन्तु उनका उड़नखटोला पट्टी की धरती पर नहीं उतर सका और हवा में घूमकर वापस चला गया था।

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