योगी सरकार का नजूल भूमि विधेयक पास, राजा भैया ने किया विरोध, नान जेड-ए की भूमि पर स्थिति साफ नहीं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए नजूल भूमि से संबंधित एक नया विधेयक पास कर दिया है, जिससे राज्य के राजघरानों और अन्य प्रभावित पट्टेदारों में नाराजगी है। उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंधन और उपयोग) विधेयक-2024 को भारी विरोध के बावजूद विधानसभा में पारित कर दिया गया है। इस विधेयक के तहत अब नजूल की भूमि किसी को भी पट्टे पर नहीं दी जाएगी और पट्टा समय खत्म होने के बाद पट्टेदार को बेदखल कर भूमि वापस ले ली जाएगी।

सदन में नजूल भूमि विधेयक पर जमकर हुआ हंगामा…

 

जिस कमेटी योगी सरकार को इस विधेयक के बारे में फीड किया, उसे इस बात की इल्म नहीं कि ऐसा करने से अभी तो लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीट आधी से भी कम हो गयी है, जनहित विरोधी निराने से विधानसभा चुनाव-2027 में सत्ता से भी योगी सरकार बेदखल हो सकती है। इस विधेयक के पीछे कहीं सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के विरोधी गुट का हाथ तो नहीं जो इस विधेयक का नफा नुकसान के बारे में मुख्यमंत्री को पूरी तरह समझाया नहीं। चूँकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी से हटाने के लिए एक साथ कई तरह के दांव उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा चला जा रहा है।

कुंडा के विधायक और जनसत्ता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा, लोग सड़कों पर आ जाएंगे। योगी सरकार के इस फैसले से हाहाकार मच जाएगा। राजा भैया ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा, यह कौन सा विकास हो रहा है ? क्या लाखों लोगों को सड़क पर लाने की ये कोशिश की जा रही है ? उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने सरकार को गलत फीडबैक दिया है और यह निर्णय समझ से परे है। अक्सर देखने को मिलता है कि वातानुकूलित बंद कमरे में कुछ अधिकारियों का दिमाग अधिक चलता है और वह ऐसे ही जनता विरोधी निर्णय सरकार से लेने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि वर्तमान सरकार की छवि खराब हो सके।

राजा भैया ने आगे कहा, अगर अंग्रेज जमीनों को फ्री-होल्ड कर सकते हैं तो सरकार, जो जनता के हित के लिए है, क्यों नहीं कर सकती है ? उन्होंने यह भी बताया कि फ्री-होल्ड करने की किस्त लेने के बाद भी इसे रोका गया है, जो कि गलत फैसला है। राजा भैया ने मांग किया है कि इस प्रस्ताव को पहले प्रवर समिति को भेजा जाए। फिर से इस पर विचार किया जाए कि किस अधिकारी ने इस तरह का आदेश लेने के लिए प्रस्ताव तैयार किया। इसके पीछे उस अधिकारी और उससे जुड़े अन्य अधिकारी की मंशा क्या है, इस पर योगी सरकार को विचार करना चाहिए। चूँकि जनता के हित से बड़ा कोई हित दूसरा नहीं हो सकता।

नजूल भूमि क्या है ?  

देश को आजादी मिलने के बाद अंग्रेजों द्वारा राजा-महाराजा और नवाबों की दी गई बहुत सी जमीन खाली कराकर सरकार ने अपने कब्जे में ली थी। इसके अलावा, जिन राजाओं और राजघरानों के पास उनकी स्वामित्व वाली भूमि के उचित दस्तावेज नहीं थे, उन जमीनों को नजूल भूमि के रूप में चिन्हित किया गया था। इन संपत्तियों का अधिकार प्रदेश सरकार के पास है और इसी भूमि को सरकार लोगों को पट्टे पर देती रही है। यक्ष प्रश्न है कि जिस भी आवंटी को नजूल भूमि का पट्टा दिया है और वह उस पर अपना आशियाना बनाकर रहता हो, उसकी पट्टा अवधि समाप्त होने के बाद उससे कैसे खाली कराई जायेगी ? क्या उसका आवास जमींदोज कर दिया जायेगा ?

विधेयक के प्रमुख प्रावधान  

  • पट्टे पर भूमि नहीं देना: अब नजूल भूमि किसी को भी पट्टे पर नहीं दी जाएगी।
  • पट्टा समय खत्म होने पर बेदखली: पट्टा समय समाप्त होने के बाद पट्टेदार को बेदखल कर भूमि वापस ले ली जाएगी।
  • लोक प्रयोजनार्थ प्रबंधन और उपयोग: नजूल संपत्ति का उपयोग लोक प्रयोजनों के लिए किया जाएगा।

विधेयक के संभावित परिणाम

इस विधेयक के पारित होने से राज्य के राजघरानों और पट्टेदारों में व्यापक विरोध हो सकता है। इससे प्रभावित होने वाले लाखों लोगों की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरकार का यह कदम नजूल भूमि के प्रबंधन और उपयोग को सुधारने के लिए उठाया गया है, लेकिन इससे उत्पन्न होने वाले सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। योगी सरकार का यह फैसला राज्य में एक नई बहस को जन्म दे सकता है, जिसमें भूमि प्रबंधन और जनता के अधिकारों को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाएंगे।

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