जॉर्डन में भयंकर ड्रोन हमले में, 3 अमेरिकी सैनिकों की शहादत, 24 जख्मी
इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध ने अमेरिका को बड़ी मुश्किलों में डाल दिया है। सीरिया, इराक, और अब जॉर्डन में भी अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले हुए हैं। हाल ही में जॉर्डन में हुए एक ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई है। गाजा युद्ध के बाद, यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी सैनिक को मिडिल ईस्ट में मारा गया है।
जॉर्डन में यूएस आउटपोस्ट पर हुए हमले का क्षेत्र सीरिया से सीमित है। इस हमले में टावर-22 पर ड्रोन अटैक हुआ, जिसमें तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई। अधिकारियों के अनुसार, यह हमला ईरान समर्थित हथियारबंद समूहों द्वारा किया गया था और यह सीरिया से आयोजित किया गया था। इस हमले में 25 से अधिक कर्मी घायल हो गए हैं, और एयरबेस को भी नुकसान हुआ है।
इराक-सीरिया के बाद एक और हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस हमले को आतंकवाद की नकली कोशिश के रूप में बताया है और कहा है कि इसे बख्शा नहीं जाएगा। बाइडेन ने इस हमले को सीरिया और इराक से संचालित होने वाले ईरान समर्थित चरमपंथी समूहों द्वारा किया गया बताया है।
अमेरिकी ठिकानों पर हमलों का आंकड़ा 158
अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, इराक-सीरिया में 158 हमले हो चुके हैं जिनमें मिसाइल, रॉकेट्स, और ड्रोन्स का इस्तेमाल हुआ है। इन हमलों में बहुत से अमेरिकी सैनिक घायल हो चुके हैं और सैन्य ठिकानों को भी नुकसान हुआ है। जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हुआ हमला एक नया घटना है और इसके बारे में अमेरिका ने स्पष्टता से बात नहीं की है कि इस हमले में कैसे नाकाम हुआ।
हिज्बुल्लाह और हूती का समर्थन करने वाले लेबनान और यमन द्वारा अमेरिका के लिए यह समय कठिन हो गया है। हिजबुल्लाह और हूती ईरान के ताकती समर्थन में कार्रवाई कर रहे हैं और अमेरिकी सेना के खिलाफ ऑपरेशन चला रहे हैं। यह नए गतिविधियों का एक उदाहरण है जो रिजन में तनाव को बढ़ा रहा है।
हूती और हिजबुल्लाह द्वारा की जा रही तंत्रात्मक क्रियाओं के बावजूद, अमेरिका ने उनके साथ मिलकर कड़ा सामरिक कदम उठाने का ऐलान किया है। यह ताकतें इरान के समर्थन में कई राष्ट्रों के साथ मिलकर कार्रवाई कर रही हैं और यह रीजनल स्टैबिलिटी को कमजोर कर रही हैं। लेबनान और यमन के माध्यम से हूती और हिजबुल्लाह का समर्थन इस समय अमेरिका के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
आम तौर पर इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने से अमेरिका नहीं चाहता है, लेकिन विवादों में शामिल होने के बावजूद इसने अपने इराकी और सीरियाई ठिकानों को मजबूत करने का दृढ़ निर्णय लिया है। यह स्थिति सीरिया के संघर्षों, इराक में भूस्खलन और अब जॉर्डन में हमलों के साथ जुड़ी गतिरोधक तंत्रात्मकता की संभावना को और भी बढ़ा देती है।
अमेरिका ने बाइडेन प्रशासन के तहत इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को सुरक्षित करने के लिए नई रणनीतियों की चर्चा की है ताकि वह अपने सामरिक और राजनीतिक हितों को सुरक्षित रख सके।
कुल मिलाकर, मध्य पूर्व क्षेत्र में हो रहे तंत्रात्मक संघर्षों के बीच, अमेरिका को अपने रक्षात्मक और राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मजबूत होकर रहना होगा, जिससे रीजनल स्टेबिलिटी को संरक्षित किया जा सके।