वृंदावन हादसा: पत्नी का शव देख बोला पति- ‘ओ बांके बिहारी… इतना प्यार किया आपसे कि अपने पास ही बुला लिया
ओ बांके बिहारी… इतना प्यार किया आपसे कि अपने पास ही बुला लिया आपने। यह बात वृंदावन में तीन मंजिला भवन के मलबे में दबकर मरने वाली गीता कश्यप 50 के पति एसएन कश्यप ने कानपुर के खाड़ेपुर में अपने आवास पर ढांढस पहुंचाने पहुंचे परिचितों से कहीं। आंखों में भरे आंसुओं के सैलाब को थामने की कोशिश करते हुए कश्यम ने कहा कि 14 अगस्त को जन्मदिन भी इसलिए नहीं मनाया था कि घर पहुंचकर सबसे साथ मनाएंगे। लेकिन क्या पता था कि होनी को कुछ और ही मंजूर था। अस्थाना बिल्डर्स लिमिटेड फर्म में बतौर कैशियर काम करने वाले कश्यप ने बताया कि 11 अगस्त को वह पत्नी गीता, बेटी अनामिका, दामाद राहुल, एक साल की नातिन परी और कंपनी के अपने सहकर्मी और मित्र धनकुट्टी निवासी जितेंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी रश्मि 40 के साथ बांके बिहारी के दर्शन के लिए ट्रेन से वृंदावन गए थे। 15 अगस्त की सुबह उन्होंने सभी के साथ बांके बिहारी के दर्शन किए और फिर लौटकर धर्मशाला आ गए। शाम को गीता, रश्मि और अनामिका नातिन परी के साथ फिर मार्केट निकल गए। बारिश से बचने के लिए वह एक तीन मंजिला इमारत के नीचे खड़े हो गए जो भरभरा कर नीचे गिर गई। इसी दौरान इमारत के मलबे की चपेट में आने से रश्मि और गीता व कुछ अन्य लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उनकी बेटी अनामिका परी को बचाने की कोशिश करते जख्मी हो गई। जिसे पहले आगरा रेफर किया गया और फिर वहां से कानपुर में एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया है।
घर की परेशानियां दूर करने को बेचा था पुराना घर…
कश्यप के साथ ही कंपनी में काम करने वाले विजय सिंह ने बताया कि पिछला कुछ समय परिवार के लिए अच्छा नहीं गुजरा था। पहले बेटे अभिषेक की बीमारी से वह जूझ रहे थे। तीन साल पहले घर की दूसरी मंजिल से बिटिया शेफाली नीचे गिरकर घायल हो गई। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए उन्होंने बर्रा में आजाद कुटिया स्थित घर बेच दिया और खाडे़पुर स्थित घर में शिफ्ट हुए थे। परेशानियों से राहत दिलाने के लिए वह हर महीने-दो महीने में बांके बिहारी के दर्शन के लिए जाते थे।
भइया आप आए पर आपने बताया नहीं…