योगीराज में भाजपा नेताओं के चहेते कोहड़ौर के चर्चित हिस्ट्रीशीटर मदाफरपुर ग्राम प्रधान व उसके गुर्गों पर मारपीट, लूट व रंगदारी मांगने का गम्भीर आरोप
प्रतापगढ़। कुछ दिन पहले कोहड़ौर पुलिस की हिस्ट्रीशीट में आरोपी ग्राम प्रधान मदाफरपुर विपिन जायसवाल उर्फ सोनू का नाम उजागर हुआ था। ये वही सोनू हैं जो कभी प्रतापगढ़ सांसद संगम लाल गुप्ता के साथ तो कभी पूर्व मंत्री मोती सिंह की आवभगत करते नजर आते हैं। यही नहीं सोनू जायसवाल इन्हीं राजनीतिक संबंधों की वजह से गाँजा तस्करी के सरगना होने के बाद भी तत्कालीन एसपी प्रतापगढ़ अभिषेक सिंह ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस के नाम को मीडिया के समक्ष उजागर किया था। फिर भी पुलिस की हिम्मत नहीं पड़ी कि सोनू जायसवाल पर हाथ डाल सके। न्यायालय से राहत लेने का पूरा मौका इसी राजनीतिक रसूखों की वजह से उसे मिला।
तत्कालीन कोहड़ौर थाना प्रभारी प्रवीण कुशवाहा ने सोनू जायसवाल पर गैंगेस्टर की कार्रवाई किया था। तब भी सोनू जायसवाल मीडिया की सुर्खियां बने थे। अब राजस्थान के मजदूर व ठेकेदार को पानी की टंकी का निर्माण करते समय सोनू और सोनू की गैंग उन सबको घेरकर पीटा। मामला जब कंधई थाने पहुंचा तो थाना प्रभारी महोदय के सानिध्य में समझौते की महापंचायत हुई। थाने में लिखित समझौता हुआ। थाने में समझौता किस तरह कराया जाता है ये बात किसी से छिपी नहीं है। जब आरोपी राजनीतिक रसूख का हो और ऊपर से माया की पोटली पेश करने की माद्दा रखता हो तो उसका समझौता तो थाने के अंदर हो ही जाता है।
मामला जब मीडिया में उछला तो डैमेज कंट्रोल के लिए सोशल मीडिया के एक विंग के माध्यम से हिस्ट्रीशीटर सोनू जायसवाल के बचाव और विरोधी की चाल बताकर पल्ला झाड़ते हुए सोनू जायसवाल को राजा हरिश्चंद्र बताने का प्रयास भी किया गया। मामला तूल पकड़ा और एसपी से शिकायत की जानकारी से पहले पुलिस ने पीड़ितों को थाने पर रोका लिया। फिर भी कंधई थाने से पीड़ित पक्ष जब आजाद किये गए तो वह एसपी प्रतापगढ़ के यहाँ अपनी फरियाद लेकर पहुँचे। वहाँ भी पीड़ित पक्ष अपनी बात मीडिया के समक्ष रखा। बड़ा सवाल यह है कि योगीराज में भी नेताओं के चहेते हिस्ट्रीशीटर के कारनामे पर पुलिस मेहरबान हो जाती है। आखिर क्यों…???