बिहार ट्रेन हादसा:गहराती रात में भीषण आवाज,कांपते यात्रियों की सहायता को दौड़ पड़ा गांव का गांव,समाज ने दिखाई मानवता,हर ओर मची थी चीख-पुकार,जेनरेटर लाकर रोशनी की व्यवस्था,कोई पानी लेकर दौड़ रहा, कोई एंबुलेंस पर चढ़ा रहा
बक्सर। रात गहरा रही थी।पैंट्रीकार के कर्मी यात्रियों को खाना दे चुके थे। यात्री खा-पीकर अब सोने की तैयारी में थे। कुछ लोगों ने चादर भी तान ली थी। आनंद विहार से कामाख्या जा रही नार्थ इस्ट एक्सप्रेस पटरियों पर तेज गति में दौड़ती चली जा रही थी कि अचानक तेज आवाज ने सभी को हिलाकर रख दिया। किसी अनहोनी की आशंका से आंखों की नींद गायब हो गई। जैसे पता चला कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है,वहां अफरातफरी मच गई। चारों ओर चीख-पुकार।नीचे घुप अंधेरा।
कोच हो चुके थे बेपटरी…
कोच बेपटरी हो चुके थे।एसी कोच की हालत यह कि पलटकर डाउन लाइन से अप लाइन पर आ चुका था। ट्रेन हादसा रघुनाथपुर स्टेशन के पश्चिमी गुमटी के पास हुआ था। रात हो चुकी थी, जिससे पास के बाजार भी बंद हो चुके थे,लेकिन ट्रेन हादसे की खबर जंगल में लगी आग की तरह चारों तरफ फैल गई। समाज क्या होता है,मानवता क्या होती है।य ह नजारा घटनास्थल पर दिखाई दे रहा था। जब आसपास पंद्रह-बीस किलोमीटर दूर गांवों से भी लोग दौड़ते-हांफते, जिनको जो साधन मिला उस साधन से घटनास्थल पर पहुंचने लगे।
मदद के लिए दौड़े लोग…
यहां तक कि सहायता के लिए दियारा क्षेत्र से भी लोग पहुंच चुके थे। भरखर, रहथुआ, कांट, कैथी, ढोढनपुर, बाबूडेरा आदि गांवों के लोग बड़ी संख्या में पहुंच चुके थे।इन लोगों के पहुंचने पर घायलों की आंखों में आशा की चमक दिखाई पड़ी। ब्रह्मपुर थानाध्यक्ष रंजीत कुमार घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचे थे। मुख्यालय से प्रशासन की टीम लगभग एक घंटे बाद पहुंची।तब तक ग्रामीण यात्रियों को बाहर निकालने में जुट गए थे। घुप अंधेरे की वजह से राहत कार्य में परेशानी आ रही थी। ग्रामीणों ने पास से जेनरेटर लाकर वहां रोशनी की व्यवस्था की। कोई पानी लेकर दौड़ रहा है, कोई बच्चों को निकाल रहा है,कोई घायलों को एंबुलेंस पर चढ़ाने पर सहायता कर रहा है, जिससे जो बन पड़ रहा था, वह कर रहा था। पूर्व मुखिया विनोद ओझा, शैलेश कुमार, विशाल सिंह, आनंद शर्मा के साथ भारी संख्या में लोग सहयोग को दौड़ रहे थे।
एक ओर लोगों की जान खतरे में थी, उन्हें बचाने का प्रयत्न और दूसरी ओर कुछ ऐसे भी जो आपदा में अवसर तलाश रहे थे। एक व्यक्ति किसी यात्री का बैग लेकर भाग रहा था, जिस पर लोगों की नजर पड़ गई। उसके हाथ से बैग छीनकर पुलिस को सौंप दिया। उसमें जेवर आदि थे।पुलिस ने उसे फटकारते हुए चेतावनी देकर छोड़ दिया। सभी घायलों को बचाने में लगे थे, लेकिन वह व्यक्ति जैसे अपनी आदत से लाचार हो। वह फिर सामान पर हाथ साफ करते देखा गया। इस बार लोगों ने उसकी जमकर पिटाई की। एक नजारा यह भी था। यात्रियों के सामान बिखरे हुए, पटरियां उखड़ी हुईं,कोच पलटे हुए।
जमा थी आधी रात तक भीड़…
यह ट्रेन हादसा भयावहता दर्शा रहा था। रात गहरी होती जा रही थी। 12.30 बजे रात तक भीड़ जमी थी। दानापुर की रहने वाली अंजू देवी वाराणसी से ट्रेन पर सवार हुई थीं। उन्हें क्या पता था कि थोड़ी देर बाद ही यह हादसा होने वाला है। उनके परिवार के लोग भी थे। उन्होंने बताया कि ट्रेन में काफी भीड़ थी। वे अपनी बेटी और पोते-पोतियों के साथ स्लीपर कोच में गलियारे में खड़ी थीं। ट्रेन ने अचानक तेज झटका खाया तो दूसरे यात्री उन पर गिर पड़े और रुकते ही सभी एक-दूसरे पर पांव रखते कूदने लगे।
वे भय से कांप रही थीं। जैसे-तैसे बाहर निकलीं। एंबुलेंस पहुंच चुकी थी। घायलों का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथपुर में इलाज किया जा रहा था। बक्सर भी ले जाया जा रहा था। गंभीर रूप से घायल हुए यात्रियों को पटना भेजा गया। बक्सर स्टेशन पर लोगों की भीड़ हो चुकी थी। ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था। रात के एक बजे तक सायरन बजाती एंबुलेंस दौड़ रही थी, हालांकि इस समय तक स्थिति बहुत हद तक नियंत्रित की जा चुकी थी।