पीएम मोदी करेंगे जयंत चौधरी से मुलाकात,छपरौली में एनडीए की रैली की तय होगी तारीख
बागपत। राष्ट्रीय लोक दल का भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन होने की बात चौधरी जयंत सिंह ने भले ही खुद कही हो, लेकिन जयंत की जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात होगी। इसके साथ ही गठबंधन की दोनों तरफ से औपचारिक घोषणा होगी। ये जरूर है कि गठबंधन की औपचारिक घोषणा के साथ उन सीटों के नाम की घोषणा नहीं की जाएगी जो रालोद को मिलेंगी।
रालोद का भले ही भाजपा के साथ गठबंधन हो गया हो, लेकिन इसका औपचारिक ऐलान अभी तक नहीं हुआ है। रालोद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार चौधरी जयंत सिंह की जल्द ही पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात होगी।जयंत पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताने के लिए जाएंगे। जहां गठबंधन को लेकर बातचीत होगी और उसके बाद दोनों तरफ से औचारिक ऐलान होगा। यह अगले दो-तीन दिनों में होना है। जिससे दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता उसी तरह चुनावी तैयारी में जुट सके।
उसके बाद ही उन विधायकों को लेकर फैसला होगा, जिनको यूपी के मंत्रीमंडल में शामिल किया जाना है। हालांकि यह तय माना जा रहा है कि एक मुस्लिम व एक जाट को मंत्री बनाया जाएगा और एक लोकसभा सीट से गुर्जर को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा, जिससे मुस्लिम, जाट, गुर्जर का समीकरण बना रहे।
छपरौली में गठबंधन की रैली की तारीख जल्द तय होगी।चौधरी जल्द ही पीएम मोदी से मिलेंगे और गठबंधन की औपचारिक ऐलान के बाद छपरौली में संयुक्त रैली की जाएगी। यह रैली फरवरी के आखिरी सप्ताह में होनी तय मानी जा रही थी,लेकिन किसान आंदोलन को देखते हुए उसकी तारीख तय नहीं की गई।इस तरह मार्च में चुनाव की घोषणा से पहले रैली करने की तैयारी है, जिसमें भाजपा के बड़े नेता भी शामिल होंगे और चौधरी अजित सिंह की मूर्ति का अनावरण करने के साथ ही एकजुटता की ताकत दिखाएंगे।
बता दें कि कैराना लोकसभा समेत पश्चिमी यूपी की सियासत में रालोद का अहम रोल रहा है। हालांकि साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद एक समय ऐसा लग रहा था कि रालोद शायद अब उभरकर सामने नहीं आएगा। रालोद की प्रतिष्ठा एक तरह से दांव पर लग गई थी।रालोद को पुन: पूरी तरह से खड़ा होने में एक दशक से अधिक का समय लगा। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के बहाने भाजपा ने जाट लैंड पर एक तरह से सटीक निशाना लगाया है। सरकार के इस निर्णय का भाजपा के साथ-साथ रालोद और अन्य दलों के नेताओं ने भी स्वागत किया। माना जा रहा है कि भाजपा से गठबंधन के बाद रालोद और भी अधिक मजबूत होगी।