एसडीएम सदर से डाक बंगला में ठहरने और राजस्व अधिकारियों के सरकारी वाहन एवं सरकारी सुरक्षा गार्ड की सुविधा लेने वाला निकला फेंक आईपीएस
धोखाधड़ी के शिकार होने के बाद भी फेंक आईपीएस भूपेंद्र शुक्ला के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना अंतु पुलिस को कटघरे में खड़ा करती है
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में अधिकारियों में प्रतापगढ़ का ही एक शख्स अपने काल्पनिक पद और पोजीशन का ऐसा मायाजाल फैलाया कि उसके झांसे में आकर जिले के आलाधिकारी भी फंस गए। महाराष्ट्र सरकार में बड़ा पुलिस अफसर बताकर प्रतापगढ़ जिले में सालों से अधिकारियों से सुविधा के नाम पर डाक बंगले में रात्रि विश्राम करने की सुविधा लेना और अधिकारियों की गाड़ी सहित उनकी सुरक्षा में लगे सुरक्षा गार्ड लेना उसकी नियत बन चुकी थी। ये पहली बार की घटना नहीं है, इसके पहले भी वह शख्स प्रतापगढ़ के अधिकारियों को बेवकूफ बनाकर उनसे डाक बंगले में ठहरने की सुविधा और अधिकारियों की सरकारी वाहन एवं सरकारी सुरक्षा गार्ड की सुविधा का लाभ उठा चुका है।
सबसे मजेदार बात यह है कि और महंगे गिफ्ट लेना और वह शख्स प्रतापगढ़ का ही रहने वाला है। जनपद प्रतापगढ़ के कोहड़ौर थाना इलाके का रहने वाला एक शख्स जो अपने आपको मुंबई पुलिस का पुलिस अधिकारी बताकर जिले के प्रशनिक व पुलिस के अधिकारियों से गाड़ी, सुरक्षाकर्मी लेकर क्षेत्र में भौकाल बनाकर अपना रूतबा अधीनस्थों पर गाठ रहा था। दो दिन पहले थाना अंतु में सदर तहसील में तैनात नायब तहसीलदार सिटी की सरकारी गाड़ी लेकर पहुँचा और प्रभारी निरीक्षक थाना अंतु से स्वयं को आईपीएस बताकर दो सुरक्षा गार्ड की डिमांड की। प्रभारी निरीक्षक थाना अंतु को उस शख्स के हावभाव और बातचीत से उस पर शक हुआ और उससे पुलिसिया अंदाज में पूँछ ताँछ शुरू की तो पता चला कि वह फेंक आईपीएस बनकर आम आदमी सहित बड़े अधिकारियों को बेवकूफ बनकर उनसे अपनी सुविधाओं को पूरा करवाता था।
इसके पहले भी वह शख्स अंतु पुलिस के एक दरोगा और कुछ सिपाहियों से महंगे गिफ्ट भेंट लेकर बड़े पैमाने पर उन्हें चूना लगा चुका था। चूना लगने के बाद अंतु थाना की पुलिस चौकन्ना थी और अंतु पुलिस को उस शख्स की कई दिनों से तलाश भी थी कि यदि वह शख्स दुबारा थाना आता है तो उसकी इस बार खैर नहीं होगी। इत्तेफाक से वह शख्स अंतु थाने पुनः पहुँच गया और इस बार उसका सामना प्रभारी निरीक्षक से हो गई और बातों-बातों में उसकी दादागीरी व भौकाल उसके चेहरे से गायब होने लगा। भौकाल बनाने के लिए अंतु थाने से दो सुरक्षा गार्ड लेने के लिए पहुँचे फेंक आईपीएस भूपेंद्र शुक्ला की सारी कलीउस समय खुल गई जब उनकी तैनाती स्थल जानने का प्रयास किया गया। जब असलियत सामने आई तो भूपेंद्र शुक्ला प्रभारी निरीक्षक से अनुनय विनय करने लगे और बहन के घर जाने की दुहाई देने लगे। साथ ही स्वयं को माफ कर देने की दुहाई देने लगा। अभी तक उसकी अकड़ गायब हो चुकी थी।
अंतु एसओ ने एक फेंक आईपीएस को पकड़ा तो परन्तु बिना मुकदमा लिखे और जेल भेजे उसे छोड़ दिया गया। अंतु एसओ की यह बात समझ के परे रही। फेंक आईपीएस भूपेंद्र शुक्ला की पोल खुलने के बाद प्रभारी निरीक्षक थाना अंतु ने सदर तहसील के नायब तहसीलदार सिटी आनंद कुमार यादव के पास फोन किया और पूंछा कि आपकी सरकारी गाड़ी और वाहन चालक कहाँ है ? जिस पर नायब साहेब ने बताया कि एसडीएम सदर का कोई गेस्ट आया है, एसडीएम सदर साहेब के कहने पर वह अपने सरकारी वाहन और वाहन चालक को उन्हीं के साथ भेजा है। नायब साहेब का पक्ष जानने के बाद अंतु एसओ ने सारी दास्तान सुनाया तो नायब साहेब के होश उड़ गए। इसके पहले एसडीएम सदर के ही निर्देश पर तहसीलदार सदर भी अपने सरकारी वाहन और अपने सुरक्षा गार्ड उक्त फेंक आईपीएस को दे चुके हैं।
फेंक आईपीएस भूपेंद्र शुक्ला के सम्बन्ध में जब एसडीएम सदर उदय भान सिंह से जानकारी चाही गई तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि बड़े अधिकारीयों के निर्देश पर ही वह भूपेंद्र शुक्ला को डाक बंगले में ठहरने और सरकारी गाड़ी व सरकारी सुरक्षा की सुविधा दिया करता था। किसी भी VVIP को जब जिले में डाक बंगले में ठहराया जाता है तो सर्वप्रथम उसका वेरीफिकेशन कराये जाने का विधान है, परन्तु भूपेंद्र शुक्ला का वेरीफिकेशन नहीं कराया गया और उसे बराबर डाक बंगले में ठहरने और सरकारी गाड़ी मय सुरक्षा दी जाती रही। जनपद प्रतापगढ़ के अधिकारियों ने यह भी जानने का प्रयास नहीं किया कि जो शख्स स्वयं को आईपीएस बता रहा है और प्रतापगढ़ के कोहड़ौर थाना इलाके का रहने वाला बता रहा है वह गृह जनपद आने पर अपने घर रहेगा कि डाक बंगले में रहेगा ? एक आईपीएस के पास अपना निजी वाहन और रहने के लिए बेहतरीन आवास तो होता ही है। फिर भी प्रतापगढ़ जनपद के अधिकारियों की मति मर गई थी और एक फेंक आईपीएस को VVIP बनाकर अपने अधीनस्थों पर धौंस जमाने और उनकी जेब ढीली करने की योजना को साकार होने दिया गया।
सदर तहसील के नायब तहसीलदार सिटी आनंद कुमार यादव ने बताया कि वह एक दो बार फेंक आईपीएस भूपेंद्र शुक्ला के साथ गया और वह कई जजों सहित पुलिस के बड़े अधिकारीयों से भी मिला था और उसकी आवभगत देखकर ही उसे हम सब VVIP सुविधा दिया करते थे। नायब साहेब ने स्वयं स्वीकार किया कि वह लगभग 20 हजार रूपये का गिफ्ट भूपेंद्र शुक्ला को दे चुके हैं। अब भूपेंद्र शुक्ला के फेंक आईपीएस की कहानी सामने आने पर नायब साहेब स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो फेंक आईपीएस भूपेंद्र शुक्ला अब तक कई राजस्व व पुलिस के अधिकारियो को होटल में रहने व लग्जरी गाड़ी से घूमने की सुविधा लेने और कईयों से महंगे गिफ्ट भी ऐंठ चुका है। यक्ष प्रश्न यह है कि जब अंतु एसओ को भूपेंद्र शुक्ला की सारी हकीकत की जानकारी हो गई तो वह उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया ? उसे जेल भेजने की जगह रात्रि भर थाने में रखने के बाद बाइज्जत जाने क्यों दिया ? स्वयं अंतु पुलिस के सिपाही और एक दरोगा भी फेंक आईपीएस भूपेंद्र शुक्ला की धोखाधड़ी के शिकार होने के बाद भी कोई कार्रवाई न करना अंतु पुलिस को कटघरे में खड़ा करती है।