अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में कांग्रेस की अग्नि परीक्षा, सपा के वोट बैंक को जोड़कर ग्राफ बढ़ाने की चुनौती
लखनऊ। अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में कांग्रेस की अग्निपरीक्षा है।इसी क्षेत्र में अमेठी,रायबरेली सहित कांग्रेस को 10 लोकसभा सीटें मिली हैं।इसमें रायबरेली कांग्रेस के पास है और अन्य सभी पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा कर रखा है।राहुल गांधी, अजय राय सहित कांग्रेस के अधिकतर दिग्गज नेता भी इसी क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमां रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने सपा वोट बैंक को एकजुट कर ग्राफ बढ़ाने की चुनौती है।ये सीटें कांग्रेस का सियासी भविष्य भी तय करेंगी।यही कारण है कि इन सीटों के चुनाव संचालन के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा खुद चुनाव प्रचार करने में जुटी हैं।
कांग्रेस को सपा गठबंधन के तहत 17 लोकसभा सीटें मिली हैं। इनमें (बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, अमरोहा, सहारनपुर, फतेहपुर सीकरी) में मतदान हो चुका है,जबकि कानपुर में आज मतदान जारी है।रायबरेली से राहुल गांधी अमेठी से गांधी परिवार के सेवक उनके केएल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। सीतापुर में भाजपा से सपा में,सपा से कांग्रेस में आए राकेश राठौर चुनावी मैदान में हैं।बाराबंकी में नौकरशाह से सियासतदां बने पूर्व सांसद पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया चुनावी मैदान में हैं।बांसगांव में बसपा सरकार में मंत्री रहे सदल प्रसाद अब कांग्रेस से चुनावी मैदान में हैं।सदल 2014 और 2019 में बसपा के सिंबल पर चुनावी मैदान में थे।
महराजगंज में फरेंदा से कांग्रेस विधायक वीरेंद्र चौधरी चुनावी मैदान में हैं।प्रयागराज में सपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री प्रज्जवल रमण सिंह और वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पूरी ताकत लगा रहे हैं। देवरिया में राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह और झांसी में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन चुनावी मैदान में हैं।इन सभी लोकसभा सीटों पर अधिकतर प्रत्याशी हाई प्रोफाइल हैं।
खास बात यह भी है कि कांग्रेस के हिस्से आईं इन 10 लोकसभा सीटों में से 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा छह सीट पर 50 फीसदी से अधिक वोटबैंक हासिल कर चुकी है। 2019 में इन सीटों पर सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ीं, लेकिन तब भी वाराणसी, सीतापुर, प्रयागराज, महराजगंज, देवरिया, झांसी में वह वोट शेयर हासिल नहीं कर पाईं, जो उन्हें 2014 में अलग- अलग मिला था। सिर्फ बांसगांव और बाराबंकी में सपा और बसपा का वोटबैंक एकजुट दिखा था।
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र वर्मा का कहना है कि यह चुनाव 2014 और 2019 से अलग है। एक तरफ सत्ता पक्ष की ताकत है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी शक्तियां एकजुट हैं। आंकड़ों के बजाय मुद्दों पर गौर किया जा रहा है। यह सही है कि विपक्ष कई मुद्दों को जनता तक नहीं पहुंचा पाया है, लेकिन प्रदेश की जनता तो सब देख ही रही है। कांग्रेस इस चुनौती को स्वीकार करते हुए उत्तर प्रदेश में सीटें बढ़ाने में कामयाब हुई तो उसके पुनर्जन्म का रास्ता खुलना तय है।
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि हम हर चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं। कांग्रेस का हर कार्यकर्ता पूरी शिद्दत के चुनाव मैदान में डटा है। सपा का सहयोग मिल रहा है। जनता साथ है और बदलाव चाहती है।