नामांकन के बाद राजा अनिल प्रताप सिंह का भाजपा वाला नामांकन निरस्त कर दिया गया, क्योंकि भाजपा की तरफ से नामांकन प्रपत्र के साथ फार्म A व B नहीं संलग्न था। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में एक सेट पर्चा राजा अनिल प्रताप सिंह का वैध पाया गया और इस तरह नामांकन जाँच की प्रक्रिया से राजा अनिल प्रताप सिंह आगे बढ़ गए। राजा अनिल प्रताप सिंह ने नाम वापसी के एक दिन पहले अपने कटरा स्थित रामप्रिया गार्डन में अपने परिचितों एवं समर्थकों की एक मीटिंग बुलाई। उस मीटिंग में बहुत से लोग एकत्र हुए और राजा अनिल प्रताप सिंह संभवतः यही सन्देश भाजपा शीर्ष नेतृत्व और संघ परिवार को देना चाहते थे कि वह चुनाव लड़ते हैं तो उनकी जीत भले ही न हो, परन्तु भाजपा उम्मीदवार का हार सुनिश्चित होगी। इस सन्देश को राजा अनिल प्रताप सिंह बेहतर ढंग से देने में कामयाब रहे और इससे संघ परिवार और भाजपा में हड़कंप मच गया। बदलते समीकरण से असहज भाजपा और संघ के शीर्ष नेताओं ने राजा अनिल प्रताप सिंह से संपर्क कर नाम वापसी का दबाव बनाना शुरू किया। मुख्यमंत्री योगी जी ने भी राजा अनिल प्रताप सिंह से वार्ता किया और नामांकन वापस लेने के लिए कहा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के आदेश पर प्रतापगढ़ सदर सीट से राजा अनिल प्रताप सिंह का नामांकन वापस कराने काशी प्रांत के अध्यक्ष महेश चन्द्र श्रीवास्तव और प्रदेश सह प्रभारी सुनील भाई ओझा पहुँचे थे। आश्वाशन के साथ राजा अनिल प्रताप सिंह का नामंकन वापस कराया गया।