अवैध निर्माणों को ढहाने के वर्षों पहले जारी आदेश पर अब तक अमल क्यों नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ नगर-निगम से मांगा जवाब
जनहित याचिका की सुनवाई पर मांगा जवाब…
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि 10 फरवरी को अगली सुनवाई तक उनका हलफनामा नहीं दाखिल किया जाता है तो वह संबंधित रिकॉर्ड के साथ स्वयं हाजिर रहें। यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल अशोक कुमार की ओर से वर्ष-2012 में दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने आया कि विकास प्राधिकरण व अन्य ने उसके सामने उन निर्माणों का विवरण काफी पहले पेश किया था जो कि अवैध हैं और जिनको ढहाने के बारे में आदेश जारी किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि 2012 में जो अवैध निर्माणों को ढहाने के आदेश दिए गए थे आज तक उन पर अमल नहीं हुआ, यह दुखद स्थिति है।
बिना नक्शा कैसे बन रहीं बहुमंजिला इमारतें…
कोर्ट ने प्रमुख सचिव शहरी नियोजन को यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि यह कैसे हुआ कि अवैध निर्माण होते रहे और संबंधित विभागों को इसकी खबर तक नहीं हुई। वे बताएं कि बिना नक्शा पास हुए किस प्रकार रिहायशी इलाकों में बहुमंजिला इमारतें और व्यवसायिक भवन बन जाते हैं। अब इस प्रकार के अवैध निर्माणों को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाएंगे।
HC ने तत्कालीन DM-SSP को किया तलब…
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाथरस में हुई भगदड़ मामले में जवाब मांगा है। कोर्ट ने दो जुलाई 2024 को गांव फुलरई मुगलगढी में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के अनुयायियों की तरफ से आयोजित सत्संग में हुई भगदड़ में हुई मौतों के मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी व एसएसपी को हलफनामे के साथ 15 जनवरी को तलब किया है।